नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 11,859 करोड़ की लागत से बने पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के 401 किलोमीटर लंबे न्यू खुर्जा जंक्शन-साहनेवाल रेल खंड का उद्घाटन किया. इसके साथ ही 13,363 करोड़ की लागत से बने पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) पर 244 किमी लंबे न्यू मकरपुरा जंक्शन से न्यू घोलवड रेल खंड का भी उद्घाटन किया.
प्रधानमंत्री ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के सात स्टेशनों से सात विशेष मालगाडिय़ों को हरी झंडी भी दिखाई. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने गुजरात के अहमदाबाद से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी परियोजनों का लोकार्पण और शिलान्यास किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे के इतिहास में इतना बड़ा कार्यक्रम कभी नहीं हुआ होगा. 700 जगहों से लाखों लोग इस कार्यक्रम में जुड़े हुए हैं. 100 साल में सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा. इस कार्यक्रम के लिए मैं रेलवे को भी बधाई देता हूं. विकसित भारत के लिए ये बड़ा कार्यक्रम है. प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर साल 2024 की ही बात की जाए तो अभी तक मात्र 75 दिन हुए हैं और इन 75 दिनों में 11 लाख करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हो चुका है. पिछले 10 से 12 दिनों में 7 लाख करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है. विकसित भारत की दिशा में आज भी एक बड़ा कदम उठाया गया है आज इस कार्यक्रम में एक लाख करोड रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है. आज अकेले 85,000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास रेलवे के लिए किया गया है. इसके साथ-साथ पेट्रोलियम का भी एक कार्यक्रम जुड़ गया है. प्रधानमंत्री ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज जो कार्यक्रम हुआ है, वह युवाओं के लिए है. यह आपके भविष्य को और बेहतर बनाएगा.प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले आप रेल के 25 से 30 बजट देख लीजिए. रेल मंत्री क्या कहते थे कि हम ट्रेन का इस जगह स्टॉपेज दे देंगे. इन भाषणों पर तालियां भी बजती थी. आज हमने रेल बजट को भारत सरकार के बजट में जोड़ दिया और अब भारत सरकार के पैसे रेल के परियोजनाओं में लगने लगे हैं. 2014 से पहले रेलवे में सुरक्षा, सफाई, अन्य चीजें पैसेंजर की किस्मत पर छोड़ दिया जाता था. 10,000 से ज्यादा बिना फाटक के क्रॉसिंग होते थे. एक्सीडेंट होते थे. नौजवानों को खोना पड़ता था. 2014 तक सिर्फ रेलवे में रेललाइन का 35 प्रतिशत ही विद्युतीकरण हुआ था. रेलवे लाइनों के दोहरीकरण का काम अन्य सरकारों की प्राथमिकता में ही नहीं था. रेलवे रिजर्वेशन के लिए लंबी-लंबी लाइन, दलाली सब चल रही थी.
प्रधानमंत्री ने बताया कि हमने अब 2014 से लेकर अब तक रेल बजट को पहले की अपेक्षा 6 गुना ज्यादा बढ़ाया है. देशवासियों को यह गारंटी दे रहा हूं कि अगले 5 साल में वो रेलवे का ऐसा कायाकल्प देखेंगे जिसकी कोई मिसाल नहीं होगा. यह देश का नौजवान तय करेगा कि उन्हें कैसी सरकार चाहिए, कैसी रेल चाहिए, यह तो अभी ट्रेलर है, मुझे तो अभी बहुत आगे जाना है. कई राज्यों में वंदे भारत का नेटवर्क पहुंच चुका है और भारत के 250 जिलों से ज्यादा में वंदे भारत का नेटवर्क हो चुका है. आज वंदे भारत का शतक भी लग गया है. 13,000 से ज्यादा स्टेशनों का कायाकल्प हो रहा है. नमो भारत, वंदे भारत, अमृत भारत जैसी सेकंड जनरेशन की ट्रेन आधुनिक रेल कोच फैक्ट्रियां यह सब 21वीं सदी में रेलवे की तस्वीर बदल रही हैं. हम रेलवे के सत प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन की तरफ बढ़ रहे हैं. हम सौर ऊर्जा से चलने वाले स्टेशन बना रहे हैं. स्टेशन पर जन औषधि केंद्र बना रहे हैं. ट्रेन, स्टेशन और पटरियां ही नहीं बन रहे, बल्कि इनसे मेक इन इंडिया का एक पूरा इकोसिस्टम बन रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे इन कामों को लोग चुनावी चश्मे से भी देखते हैं, लेकिन हमारा यह काम सरकार बनाने का नहीं बल्कि देश बनाने का है. पहले की पीढिय़ों ने जो कुछ भी भुगता है, वह हमारे नौजवानों और उनके बच्चों को नहीं भुगतना पड़ेगा. ये मोदी की गारंटी है. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की मांग बहुत पहले से हो रही थी, लेकिन कांग्रेस की सरकार में यह प्रोजेक्ट लटकता रहा. भारतीय रेल अब वोकल और लोकल का एक सशक्त माध्यम है. आज सभी धर्म के लिए अलग-अलग ट्रेन लगातार चल रही हैं. दिन में आस्था ट्रेन देश के कोने-कोने से राम भक्तों को राम मंदिर के दर्शन करवाने ले जा रही हैं.
पीएम मोदी ने कहा, 401 किलोमीटर लंबा न्यू खुर्जा जंक्शन से न्यू साहनेवाल रेल खंड पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) उत्तर भारत के प्रमुख कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करता है. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का यह रेल खंड तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के 12 जिलों, अलुधियाना, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला, अंबाला, यमुना नगर, सहारनपुर, बुलंदशहर, हापुड, मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और गौतमबुद्ध नगर से होकर गुजरता है. डीएफसीसीआईएल ने इस रेल खंड के लिए 86 पुल बनाए हैं, जिनमें यमुना, मारकंडा, टांगरी और घग्गर नदियों पर प्रमुख पुल शामिल हैं, और 115 लेवल क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया है.