नई दिल्ली. देश में पुरानी पेंशन को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है. नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के पदाधिकारियों ने ओपीएस बहाली के लिए एक मई से देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था और एनजेसीए द्वारा केंद्र सरकार को हड़ताल का नोटिस देने के लिए 19 मार्च की तिथि निर्धारित की गई थी. 14 मार्च को नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी और नेशनल काउंसिल/जेसीएम (स्टाफ साइड) के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में हड़ताल पर जाने का निर्णय रद्द कर दिया गया. यानी अब, केंद्रीय कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर नहीं जाएंगे.
सरकार को जल्द रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी
इस संबंध में वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) व एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी कामरेड मुकेश गालव ने बताया कि नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी और नेशनल काउंसिल/जेसीएम (स्टाफ साइड) के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में एआईआरएफ के अध्यक्ष शिव गोपाल मिश्रा, एनएफआईआर के गुमान सिंह, कन्फेडरेशन की तरफ से रूपक सरकार, आईएनडीडब्ल्यूएफ के आर. श्रीनिवासन, एआईडीईएफ के श्री कुमार और ऑल इंडिया अकाउंट्स एंड ऑडिट एसोसिएशन के तपन बोस शामिल हुए थे.
स्ट्राइक कॉल वापस लेन का काम. मिश्रा ने यह पत्र जारी किया
शिव गोपाल मिश्रा द्वारा स्ट्राइक की कॉल वापस लेने का जो पत्र जारी किया गया है, उसमें लिखा है, श्री कुमार के साथ बैठक के एजेंडे पर बात हुई है, लेकिन वे किन्हीं कारणों से बैठक में उपस्थित नहीं हो सके. वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी ने बैठक में उन कारणों के बारे में बताया, जिनके चलते वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट पेश होने में देरी हुई है. डिप्टी सेक्रेटरी ने बताया कि कमेटी, कर्मियों के मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रही है. वह कमेटी जल्द ही सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
सरकार को दिया था छह सप्ताह का अल्टीमेटम
डिप्टी सेक्रेटरी ने जेसीएम (स्टाफ साइड) के सदस्यों से अपील की है कि वे कमेटी पर विश्वास रखें. वित्त मंत्रालय की कमेटी फाइनल निर्णय पर पहुंचे, इसके लिए जेसीएम को कुछ समय देना चाहिए. इसके चलते 19 मार्च को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने की प्रक्रिया रद्द कर दी गई है. साथ ही विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने एक मई से देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का जो एलान किया था, उसे वापस लिया जाता है. देश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे कर्मचारी संगठनों ने फरवरी में केंद्र सरकार को ओपीएस लागू करने के लिए छह सप्ताह का अल्टीमेटम दिया था. यह अहम निर्णय, सात फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित हुई नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया था. केंद्र सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने और स्ट्राइक की तिथि घोषित करने के लिए एक कमेटी गठित की गई.
टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में गठित कमेटी
गत वर्ष 24 मार्च को संसद सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कर्मचारियों के पेंशन सिस्टम की समीक्षा के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की थी. छह अप्रैल को समिति का गठन कर दिया गया. वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव, व्यय विभाग के विशेष सचिव एवं पेंशन फंड नियामक विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के अध्यक्ष, इस कमेटी के सदस्य बनाए गए थे. यह समिति इस बात को लेकर सुझाव देगी कि सरकारी कर्मचारियों पर लागू एनपीएस के मौजूदा ढांचे में किसी तरह का कोई बदलाव जरूरी है या नहीं. समिति जो भी सुझाव देगी, उसमें राजकोषीय निहितार्थों और समग्र बजटीय प्रभाव को ध्यान में रखा जाएगा.
ओपीएस बहाली के लिए लगातार होता रहा आंदोलन
देश में ओपीएस बहाली की मांग के लिए केंद्र एवं राज्यों के अनेक कर्मचारी संगठन, लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे. रेलवे, रक्षा, डाक, आयकर, अकाउंट एंड ऑडिट, केंद्रीय सचिवालय, इसरो व डीएई के अलावा स्वायत्तता प्राप्त संगठन, सीएपीएफ, सभी राज्यों के सरकारी कर्मचारी, यूटी क्षेत्रों के कर्मी, प्राथमिक टीचर, हाई स्कूल टीचर, उच्च शिक्षा विभाग, कालेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर भी ओपीएस बहाली के प्रयासों में लगे थे. नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन, नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत, कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाइज एंड वर्कर्स और नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) द्वारा पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर दिल्ली में रैलियां आयोजित की गईं.
बैठक के बाद नए सिरे से आगे बढ़ेगा आंदोलन : का. गालवडबलूसीआरईयू के महामंत्री काम. मुकेश गालव ने बताया, नए सिरे से आंदोलन शुरू करने पर चर्चा होगी. संगठन की बैठक बुलाई जाएगी. केंद्र की नई सरकार के समक्ष मजबूती से ओपीएस व दूसरे लंबित पड़े मुद्दे रखे जाएंगे. केंद्र सरकार में रिक्त पदों को नियमित भर्ती के जरिए भरना, निजीकरण पर रोक लगाना, आठवें वेतन आयोग का गठन करना और कोरोनाकाल में रोके गए 18 महीने के डीए का एरियर जारी करना, ये बातें भी कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल हैं. सरकारी कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर चरणबद्ध तरीके से प्रदर्शन किया जाएगा. कर्मियों की मांगों में पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन करना या उसे पूरी तरह खत्म करना, भी शामिल है. जब तक इस एक्ट को खत्म नहीं किया जाता, तब तक ओपीएस की राह मुश्किल ही बनी रहेगी. वजह, एनपीएस के तहत कर्मियों का जो पैसा कटता है, वह पीएफआरडीए के पास जमा है. केंद्र सरकार, कह चुकी है कि वह पैसा राज्यों को नहीं लौटाया जाएगा.