छोटे-छोटे लोन के लिए लोगों को बैंक में दौड़ते दौड़ते चप्पल घिस जाती है, कागजात मांगने का सिलसिला खत्म नहीं होता है और एक-एक साल, दो-दो साल तक दौड़ाकर लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दिया जाता है। बैंक मैनेजर बड़े गर्व से सीना फुला कर आदमी को टका सा जवाब दे देता है, रुखा व्यवहार करता है, सिविल स्कोर की दुहाई देता है। लेकिन अभी जो घटना सामने आई हैै, उससे बैंक वालों के दोहरे चरित्र, बेईमान और भ्रष्ट रवैया का खुलासा हो रहा है।
प्राप्त विवरण के अनुसार जानीगंज के सामाजिक कार्यकर्ता मनीष कुमार कुमत के पिता झंवरलाल कुमत के नाम फर्जी बीमा पॉलिसी बनाकर, फर्जी फोटो, फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बना कर कारपोरेशन बैंक हॉस्पिटल रोड शिलचर जो अब यूनियन बैंक में मर्ज हो चुका है, उस बैंक से 2013 में ₹814000 का लोन लिया गया है। किसी बप्पा दास नाम के व्यक्ति ने फर्जी तरीके से भंवरलाल कुमत को गारंटर बनाकर यह रूपया निकाला है। बैंक के वकील ने 24 मार्च को उन्हें नोटिस भेजा की बप्पा दास नामक व्यक्ति लोन नहीं चुका रहा है, डिफाल्टर हो गया है, आपने उसकी गारंटी ली है, इसलिए उसका लोन का भुगतान कीजिए। कुमत परिवार में किसी को भी इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि 8 साल पहले कोई लोन निकाला गया है।
25 मार्च को उन्होंने बैंक जाकर पूरी जांच की तो तो उनके होश उड़ गए। पूरी घटना सामने आई की बैंक और जीवन बीमा के कर्मचारियों की मिलीभगत से यह लोन निकाला गया है। आज उन्होंने सदर थाने में जाकर एफ आई आर दर्ज कराया है और पूरे घटना की जांच करने की मांग की है। उन्होंने जिलाधिकारी को भी इस घटनाक्रम से सूचित किया है। मनीष कुमार ने बताया कि पता नहीं और कितने ही बैंकों से इस प्रकार से फर्जी लोन निकाले गए हैं। इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए, यह बहुत बड़ा घोटाला लगता है। मुकदमा संख्या 975 /2021 भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी/ 420 /468 और 475 के तहत मामला दर्ज करके पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। अब देखना यह है कि इसमें कितने बैंक वाले, कितने जीवन बीमा वाले शामिल है और कितना बड़ा यह गिरोह है, जो इस प्रकार के फर्जी लोन की निकासी करके जनता के पैसे पर मौज उड़ा रहा है।