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आहोम युग चली आ रही 340 वर्षीय विरासत परंपरा आज भी कायम
विश्वनाथ,15 अप्रैल :- असम के सबसे प्राचीन स्थल गुप्तकाशी विश्वनाथ घाट में अहोम युग से चली आ रही परंपरा आज भी 340 साल की विरासत को कायम रखते हुए गोसाईं फुरूआ उत्सव मनाया गया। इस त्योहार की शुरुआत आहोम राजा गदाधर सिंह ने की थी और इस बार भी बिश्वनाथ मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया गया। वास्तव में गोसाईं बिहू के दिन गोसाईं को केकड़े के झूले पर बिश्वनाथ मंदिर से 5 कि.मी पैदल चल भगवान को कंधे में लेकर भीरगांव के काइधाप में दिन के लिए स्थापित किया जाता है,जहाँ पर आहोम युग के पाइक अथवा पूजा अर्चना करने वाले देउरी लोगों के गाँव है। पुन: संध्या में गोसाईं को विश्वनाथ मंदिर में ले आया जाता है। समय और क्षेत्र के लोगों ने इस परंपरा और विरासत को देखा है।सुबह से ही अनगिनत भक्तों की समावेश और उत्सव मुखी वातावरण से समग्र विश्वनाथ अंचल मं मंत्रमुग्ध हो उठा। उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर इस अंचल में विराट मेला का भी आयोजन होता है, जिसमें असंख्य श्रद्धालु आनंद का लुप्त उठाता है।।




















