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ईश्वर की विधि न्यारी किसी को लगे मिठी तो किसी को लगे खारी

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संतराम बचपन से ही एक बङे खानदान में घर दुकान में काम करता था अशिक्षित होने के बावजूद मालिक का वफादार एवं इमानदार होने से सभी लोग अपने बच्चों की तरह प्यार करते थे। घर एवं दुकान के काम करने के साथ साथ कुछ काम में सहायक सेल्समैन गाङी स्कूटी चलाने के कारण मालिक ने वोटर लिस्ट में नाम लिखवा दिया तथा गाङी चलाने का लाइसेंस बनवा दिया। सभी का प्रिय संतलाल सबके काम कर देता लेकिन बदले में ना तो कुछ खाता ना ही रूपये लेता। मालिक का कारोबार एवं घर जगह जगह होने के कारण घर एवं संपत्ति की जिम्मेदारी संतलाल को दे दी।  बिमार माँ को साथ रखने के लिए दो कमरे रसोई घर बाथरूम भी दे दिए लेकिन बुढी एवं बिमार माँ की सेवा के लिए कभी मासी कभी दो बहिनों में आती कभी साथ ले जाती । सभी दुखी एवं परेशान थे तो एक दिन गरीब समानस्तर की लङकी से मंगनी करदी।   भाग्य की विडम्बना कि शादी के पहले दिन सभी रिश्तेदार जश्न मना रहे थे कि खबर मिली कि वो लङकी किसी प्रेमी के साथ भाग गयी तो अचानक कोहराम मच गया। सभी तैयारी रिश्तेदारों का जमावड़ा खैर संतोष कर लेने के सिवाय कोई उपाय नहीं था बिमार माँ बहू का इंतजार करती रही उसे काफी धक्का लगा अस्पताल में इलाज कराया गया लेकिन एक दिन चल बसी।  शादी के राशन एवं समान अब माँ के श्राद्ध में काम आ रहा था। रोते पिटते तीनों बहन भाइयों ने कहा कि इतनी विपरीत स्थिति में हम खुश थे लेकिन दोहरी दूर्घटना से हम टूट गये।  हरान परेशान एवं कर्जवान संतलाल सिर पटकते हुए बोलने लगा कि आज मैं हर जंग हार गया।

मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

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