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माओवादी समर्थकों ने विद्यार्थी परिषद के जवानों को श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पहुंचाई बाधा

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व भारती इकाई और बोलपुर इकाई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि कल एबीवीपी विश्व भारती और बोलपुर इकाई के छात्रों ने संयुक्त रूप से भारतीय सेना पर माओवादी हमले की निंदा की बोलपुर और विश्व भारती इकाई ने मिलकर शांतिनिकेतन एसबीआई बैंक के सामने फर्स्ट गेट के पास एक शोक सभा आयोजित किया था।

रतन पल्ली में एबीवीपी की माओवादी विरोधी पोस्टिंग के दौरान अचानक एसएफआई जिसे VBSU भी कहा जाता है के कुछ अराजकतावादी जोकि स्थानीय तृणमूल की मदद से विश्व भारती के ऐतिहासिक गेट और दीवार तोड़ने के जुर्म में शामिल थे तथा कुछ लोग कैंपस तोड़ने की घटना में भी शामिल रहे हैं और बहुत पहले ही विश्व भारती से सस्पेंडेड है। वह अराजक तत्वों के साथ वहां पहुंचकर हमारे पोस्ट्रिंग में बाधा पहुंचाते हैं और धमकी देकर जाते हैं तथा पोस्टर भी फाड़ देते हैं और तो और विश्व भारती में गैर बंगाली छात्र छात्राओं के लिए गलत भाषा का प्रयोग करते है तथा गाली गलौज करने लगते हैं।
एबीवीपी के छात्र छात्राएं इस माओवादी अराजकतावादी लोगों की धमकी में ध्यान ना दे कर रतन पल्ली में पोस्ट्रिंग करते हैं और हमारे चले जाने के बाद यह माओवादी विरोधी पोस्टर को फाड़ देते हैं।

इस बीच हम लोग विश्व भारती फर्स्ट गेट पहुंचते हैं और माओवादी हमले में शहीद सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हैं अचानक फिर से वह वामपंथी अराजकतावादी तत्व आते हैं और हम लोगों द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा को टारगेट करके गाली-गलौज अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं और इस शांतिपूर्ण शोक सभा को तोड़ने की कोशिश करते हैं। इस घटना के समय सीपीआईएम नेता सुदिप्ता भट्टाचार्य जो विश्व भारती के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे जिन्हें लंबे समय से विश्व भारती से कई आरोपों में निलंबित कर दिया गया था उन्हें एसएफआई में अराजकतावादियों के साथ चर्चा करते हुए देखा गया था।
भारत के शहीद सैनिकों की याद में इस शांतिपूर्ण रैली में वामपंथियों द्वारा इस तरह के हमलों का विरोध करने के लिए हमें रास्ता रोकना पड़ा इस बीच बोलपुर शांतिनिकेतन के स्थानीय शांतिप्रिय लोग भी आने लगे और उन्होंने हमारा समर्थन किया बाद में पुलिस पहुंची और उन्होंने हमें आश्वासन दिया तथा हम लोगों ने रास्ता जाम को हटा दिया।

लेकिन आज विश्व भारती बोलपुर तथा पूरे पश्चिम बंगाल के विद्यार्थी समाज और साधारण मनुष्य को यह सोचने का समय है। विश्व भारती में भारत के प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति आने से यह उनका विरोध करते हैं उनके पुतले जलाते हैं और परिसर में गंदी राजनीति करते हैं, लेकिन जब तृणमूल के बीरभूम जिले के एक बड़े नेता परिसर में आते हैं तो यह उनका जोरदार डीजे में स्वागत करते हैं तब कोई कुछ नहीं बोलता है और तो और पूरे परिसर में यह लोग तृणमूल के झंडे लगा देते हैं।

यह लोग तो समानता एकता और शांति की बात करते हैं लेकिन इसी बीच विश्व भारती में बंगालियों और गैर बंगालियों में भेदभाव पैदा करते हैं ब्राह्मण और दलित में राजनीति करते हैं। यही लोग बोलते हैं कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता लेकिन फिर यही लोग आसिफा बलात्कार को मंदिर के साथ जोड़ देते हैं। छात्र और आम जनता जो आज भारत को एक विश्व गुरु के रूप में देखना चाहते हैं उन्हें सोचना होगा कि हम कब तक चुप रहेंगे।

विश्व भारती के छात्रों को यह सोचने की जरूरत है कि क्या हम विश्व भारती को भारत में और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर के रूप में स्थापित करेंगे या फिर विश्व भारती को अराजकतावादियों के लिए एकमात्र राजनीतिक निवास बना देंगे ? हमें सोचना होगा कि क्या विश्व भारती को विश्व भारती ही बना रहने देंगे या फिर इसे जामिया इस्लामिया या जेएनयू या एक जादवपुर यूनिवर्सिटी बना देंगे ?

आज विश्व भारती चुनौती का सामना कर रही है विश्व भारती शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता रखती हैं तो दूसरी ओर यह कम्युनिस्ट टैगोर और नेताजी को पूंजीपति, नेताजी को तोजो का कुत्ता बोलने में व्यस्त है। विश्व भारती को बदनाम करना तथा भारतीय सेना के स्मारकों पर हमला करना एसएफआई के द्वारा यह सब किया जा रहा है।
उपरोक्त जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व भारती इकाई और बोलपुर इकाई के तरफ से प्रदान की गई।

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