तेल अबीब। नार्वे, आयरलैंड और स्पेन ने फिलिस्तिन को देश की मान्यता देने की मांग का समर्थन किया है वहीं इजरायल ने फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने पर आपत्ति जताई है. जिसके बाद नाराज इजरायल ने इस देशों से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है. इजरायल ने कहा कि ये मांग आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसा है. कुछ यूरोपियन देश ऐसा कर के पूरी दुनिया को संकट में डालना चाहते हैं.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने का कई यूरोपीय देशों का इरादा आतंकवाद के लिए इनाम देने जैसा है. यहूदिया और सामरिया (वेस्ट बैंक) में 80 प्रतिशत फिलिस्तीनी 7 अक्टूबर के भयानक नरसंहार का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि फिलिस्तिन एक आतंकी देश होगा. वह हर बार नरसंहार करने की कोशिश करेगा. दुनिया में आतंकवाद को इनाम देने से शांति नहीं आएगी. हम हमास से लड़ रहे हैं और उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं.
इजरायल फिलिस्तिन को एक आतंकी राज्य मानता है. उसे अलग-थलग करने के प्रयास में हमेशा लगा रहता है. नार्वे के पीएम जोनस गार ने कहा कि 28 मई को हम फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने जा रहे हैं. गार ने कहा, ‘जब तक फिलिस्तीन राज्य को मान्यता नहीं होती है, मध्य पूर्व में शांति नहीं हो सकती. इसके बाद स्पेन और आयरलैंड के नेताओं ने भी फिलिस्तिन को मान्यता देने की बात कही. स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने संसद में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता शांति, न्याय और सामंजस्य के लिए एक फैसला है.
आयरलैंड ने स्पेन और नार्वे के साथ सुर मिलाया. इस फैसले को एतिहासिक बताया और कहा कि ये न्याय संगत फैसला है. उधर अमेररिका इजरायल के साथ खड़ा है. अमेरिका ने आयरलैंड, नार्वे और स्पेन के फैसले को खारिज कर दिया. अमेरिका का कहना है कि किसी कोई भी फैसला बातचीत के माध्यम से होनी चाहिए. यह ताजा घटनाक्रम तब सामने आया है, जब गाजा में युद्ध लगातार जारी है. युद्ध से हमास के कब्जे वाले क्षेत्र में मानवीय तबाही मच गई है. हजारों लोग मारे गए. हजारों लोग को वहां से विस्थापित होना पड़ा है.