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चौराहों पर ग्रामीणों को देख रोक देते थे वाहन, पैदल ही निकल देते थे मिलने
पूर्वांचल के एक ऐसे नेता जो नहीं मांगते थे वोट, हर बार जीत जाते थे चुनाव
बलिया, 25 मई। चुनाव आते ही उम्मीदवार और दावेदार दरवाजे-दरवाजे पर हाजिरी लगाने लगते हैं। पूर्वांचल के एक ऐसे नेता थे, जो चुनाव के समय वोट मांगने नहीं जाते थे लेकिन उनके पक्ष में वोट गिरने लगते थे। युवा तुर्क कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर हर समय जनता की सेवा में जुटे रहते थे, जब चुनाव का समय आए तो वह दिल्ली में रहते थे।
द्वाबा क्षेत्र के रामायण यादव बताते हैं कि वह कभी वोट मांगने नहीं आते थे। जनता खुद उनके पक्ष में प्रचार करती थी और वोट गिरा देती थी। फेफना के शाबिर बताते हैं कि उनसे मिलने पर अपनापन झलकने लगता था। वह भूमि के विवाद को लेकर एक बार उनसे मिला था। वह तत्काल थाने को फोन किए थे। मामले का निस्तारण हो गया।
युवा तुर्क के नाम से थे मशहूर
युवा तुर्क के नाम से मशहूर रहे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का जन्म बलिया के इब्राहिमपट्टी में 17 अप्रैल 1927 को हुआ था। चंद्रशेखर ने आठ जुलाई 2007 में अंतिम सांसें ली थीं। वह पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने सीधे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। चंद्रशेखर अंतिम बार 2006 में बलिया आए थे। बलिया के लोग आज भी उनके उस मानवीय पक्ष को याद कर भावुक हो जाते हैं।
बात 10 अक्टूबर 2006 की है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर आखिरी बार बलिया आए थे। उन्हें बलिया की मिट्टी से कितना लगाव था इसका उदाहरण भी वह अंतिम यात्रा ही थी। अस्वस्थ हाल में ही उन्होंने दिल्ली से बलिया आने का मन बना लिया था।
स्टेशन परिसर भीड़ से खचाखच भरा था। दो घंटे के इंतजार के बाद स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन स्टेशन पहुंची। हजारों की भीड़ ट्रेन के उस डिब्बे की ओर बढ़ चली, जिसमें चंद्रशेखर सवार थे। चंद्रशेखर धीरे-धीरे गेट पर आए और भीड़ को देख ट्रेन के गेट पर ही फफक-फफक कर रो पड़े। कुछ देर के लिए वहां अजीब सा सन्नाटा पसर गया। सबकी आंखें द्रवित हो गईं थीं।