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शिलचर 3 जून: श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र द्वारा पिछले 27 मई को आयोजित फाइल्स आफ राइटार विधान सिन्हा के तहत “मुलुक चलो आन्दोलन : 1921” शीर्षक टाक-शो यानि वार्ता चक्र में मुख्य वक्ता विधान सिन्हा ने केन्द्र सरकार तथा भारत के सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित सरकारों के सामने प्रस्ताव रखकर आग्रह किया कि :-
(१) मुलुक चलो आन्दोलन : १९२१ को लेकर एक कमिशन गठित किया जाए, (२) मुलुक चलो आन्दोलन : 1921 को भारत के आजादी के स्वदेशी आन्दोलन का हिस्सा स्वीकार किया जाए, (३) मुलुक चलो आन्दोलन : १९२१ का डाक टिकट प्रकाशित करना चाहिए, (४) असम के करीमगंज जिलास्थित राताबारी और करीमगंज रेलवे स्टशन तथा करीमगंज जहाज घाट और आधुनिक बांग्लादेश के कुमिल्ला जिला स्थित चाॅदपुर रेलवे स्टशन तथा चाॅदपुर जहाज घाट में मुलुक चलो आन्दोलन : १९२१ के लिए राष्ट्रीय स्तर का शहीद मिनार स्थापित करना चाहिए, (५) मुलुक चलो आन्दोलन : १९२१ निर्मम हत्याकाण्ड के ब्रिटिश सरकार को बिना शर्त माफी मांगना चाहिए, (६) करीमगंज रेलवे स्टेशन और करीमगंज जहाज घाट का नामकरण “मुलुक चलो आन्दोलन रेलवे स्टेशन”, करीमगंज और करीमगंज जहाज घाट का नामकरण “मुलुक चलो जाहाज घाट”, करीमगंज करना चाहिए, (७) करीमगंज जिले का नाम परिवर्तन करके “श्रीभूमि” नामकरण घोषित करना चाहिए, (८) सन १९०३ साल में राताबारी @चरगोला वैली में स्थापित शताब्दी प्राचीन राम-जानकी मन्दिर को “हेरीटेज टेम्पल” (Heritage Temple) घोषित किया जाए,(९) अखण्ड भारत (बर्तमान बांग्लादेश का मौलवी बाजार जिला) के आजादी आन्दोलन का और एक महत्वपूर्ण “भानुबिल कृषक प्रजा आन्दोलन : १९२९-१९३७) को भारत का स्वतन्त्रता आन्दोलन का हिस्सा घोषित करना चाहिए, (१०) मुलुक चलो आन्दोलन : १९२१ के मूल क्रांतिकारी देव शरण त्रिपाठी, गङ्गादयाल दिक्षित और राधा कृष्ण पाण्डेय और भानुबिल कृषक प्रजा आन्दोलन : १९२९-१९३६ के मूल क्रांतिकारी बैकुण्ठ शर्मा, गिरिन्द्र सिंह, लीलावती शर्मा आदि को अखण्ड भारत का स्वतन्त्रता वीर सेनानी घोषित किया जाए।
(११) अखण्ड भारत के “मुलुक चलो आन्दोलन : १९२१” और “भानुबिल कृषक प्रजा आन्दोलन -१९२९-१९३६” इन दोनों आन्दोलनों का कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षानीति के तहत पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाए।