नई दिल्ली: 1 जून 2024 की शाम करीब 6:30 बजे एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हुए। किसी को अंदाजा नहीं था कि एग्जिट पोल में बीजेपी और एनडीए को इतना भारी बहुमत मिलेगा। ज्यादातर एग्जिट पोल ने एनडीए को 350 से ऊपर सीटें दी। कई एग्जिट पोल के नतीजों में तो एनडीए को 400 का आंकड़ा छूते हुए बताया गया। ठीक इसी तरह तीन दिन बाद आए चुनाव नतीजों ने भी अब हर किसी को हैरान कर दिया है। अभी तक की मतगणना के आंकड़े देखें, तो बीजेपी को बहुत बड़ा झटका लगता हुआ नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में बीजेपी बुरी तरह पिछड़ रही है। वहीं, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित विपक्ष के कई दलों ने जबरदस्त वापसी की है। आइए जानते हैं कि आखिर किन वजहों से बीजेपी उम्मीद के मुताबिक सीटें हासिल करने से चूक गई।
1- केवल मोदी मैजिक के सहारे रहना
पिछले दो महीनों में बीजेपी और एनडीए में उसके सहयोगी दलों का चुनाव प्रचार देखें, तो एक बात साफ तौर पर नजर आती है कि इन्होंने केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा। चुनावी रैलियों और सभाओं में पार्टी के छोटे-बड़े सभी नेता स्थानीय मुद्दों से बचते हुए नजर आए। पूरा प्रचार केवल और केवल पीएम मोदी के करिश्मे पर टिका था। बीजेपी के प्रत्याशी और कार्यकर्ता भी जनता से कनेक्ट नहीं हो पाए, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। दूसरी तरफ, विपक्ष लगातार महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों के जरिए सरकार के प्रति नाराजगी को जोर-शोर से उठाता रहा।
2- बीजेपी के वोटर्स की नाराजगी
लोकसभा चुनाव के नतीजे इस बात के भी संकेत दे रहे हैं कि कई बड़े मुद्दों पर बीजेपी को अपने ही वोटर्स की नाराजगी झेलनी पड़ी। अग्निवीर और पेपर लीक जैसे मुद्दे साइलेंट तौर पर बीजेपी के खिलाफ काम करते रहे। वोटर्स के बीच सीधा मैसेज गया कि सेना में चार साल की नौकरी के बाद उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा? पेपर लीक के मुद्दे पर युवाओं की नाराजगी को समझने में बीजेपी ने चूक की। पुलिस भर्ती परीक्षा के मुद्दे पर यूपी के लखनऊ में हुआ भारी विरोध प्रदर्शन इसका गवाह है। पार्टी के नेता ये मान बैठे थे कि केवल नारेबाजी से वो अपने समर्थकों और वोटर्स को खुश कर सकते हैं।
3- महंगाई
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि महंगाई के मुद्दे ने इस चुनाव पर बहुत ही गहरा असर डाला। पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने की चीजों पर लगातार बढ़ रही महंगाई ने सरकार के खिलाफ एक माहौल पैदा किया। विपक्ष इस मुद्दे के असर को शायद पहले ही भांप गया था, इसलिए उसने हर मंच से गैस सिलेंडर सहित रसोई का बजट बढ़ाने वाली दूसरी चीजों की महंगाई को मुद्दा बनाया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बढ़ती महंगाई के लिए आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कई बार प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला बोला। दूसरी तरफ, बीजेपी नेता और केंद्र सरकार के मंत्री महंगाई के मुद्दे पर केवल आश्वासन भरी बातें करते हुए नजर आए।
4- बेरोजगारी
2024 के इस लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे ने एक बड़े फैक्टर के तौर पर काम किया। विपक्ष ने हर मंच पर सरकार को घेरते हुए बेरोजगारी के मुद्दे पर जवाब मांगा। यहां तक कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा कर दिया कि अगर उनकी सरकार केंद्र में बनती है, तो तुरंत 30 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी। मंगलवार को घोषित चुनाव नतीजे साफ तौर पर संकेत दे रहे हैं कि राम मंदिर, सीएए लागू करने की घोषणा और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दे भी बीजेपी को बेरोजगारी के खिलाफ बने माहौल के नुकसान से नहीं बचा पाए।
5- स्थानीय नाराजगी का नुकसान
बीजेपी को इस चुनाव में स्थानीय स्तर पर भी भारी नाराजगी झेलनी पड़ी। कई सीटों पर टिकट बंटवारे की नाराजगी मतदान की तारीख तक भी दूर नहीं हो पाई। कार्यकर्ताओं के अलावा सवर्ण मतदाताओं का विरोध भी कुछ सीटों पर देखने को मिला। कुल मिलाकर कहा जाए तो बीजेपी इस चुनाव में केवल उन मुद्दों के भरोसे रही, जो आम जनता से कोसों दूर थे।