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“कर्म-पथ”
राहगीर हो तुम अगर,
तो तुम्हें कर्म पथ पर चलना होगा,
माना आँधिया बहती है बहुत,
मगर मसाल बनकर तुम्हें जलना होगा,
यहाँ ठोकर बहुत मिलेगी तुम्हें राहों में
मगर खुद को यहां संभालना होगा,
कभी काटे हैं तो कभी फूल यहाँ
मगर इन कांटों के बीच तुम्हें खिलना होगा!
राहगीर हो तुम अगर,
तो तुम्हें कर्म पथ पर चलना होगा!
यहाँ कभी बारिश है तो कभी धूप
मगर इसके बीच तुम्हें चलना होगा,
अगर चाह हैं कुछ कर गुजरने की तो
इस आग की दरिया से गुजरना होगा,
यहाँ सपने देखे हो तूने खुली आंखों से तो
कड़ी संघर्ष की राह से तुम्हे गुजरना होगा,
अगर चाह हो जग में मानव बनने की तो
तुम्हें मानवता को अपनाना होगा !
राहगीर हो तुम अगर,
तो तुम्हें कर्म पथ पर चलना होगा !
तो तुम्हें कर्म पथ पर चलना होगा !!
– आकाश सिंह “अभय”
कर्बीआंगलांग,असम
M-8638555070