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मणिपुर: फिर भड़की हिंसा, भीड़ ने घरों, सरकारी दफ्तरों में लगाई आग

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नई दिल्ली. असम की सीमा से लगे मणिपुर के जिरीबाम जिले में ताजा हिंसा का मामला सामने आया है. उपद्रवियों की भीड़ ने कई घरों, दो पुलिस चौकियों और वन विभाग के दफ्तर समेत कुछ सरकारी कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया. मोंगबंग, लामलाई खुनौ और आस-पास के गांवों के 230 से ज़्यादा लोग अपने घर छोड़कर जिरीबाम जिला मुख्यालय के दो राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं. स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद से राज्य पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी को जिले में भेजा गया है.

जिले में हिंसा का ताजा दौर गुरुवार को तब शुरू हुआ जब 59 साल के सोइबाम सरतकुमार सिंह नाम के व्यक्ति की लाश मिली. उसके शरीर पर किसी नुकीली चीज से चोट के निशान थे. इसके बाद हुई भीड़ की हिंसा के बाद जिरीबाम प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी. जिरीबाम मणिपुर के सबसे पश्चिमी छोर पर है, जो राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 220 किलोमीटर दूर है. ये असम के कछार जिले की सीमा से सटा हुआ है.

हिंसा बढ़ने पर मणिपुर के नवनिर्वाचित कांग्रेस सांसद बिमोल अकोईजाम ने संयम बरतने की अपील की है. आंतरिक मणिपुर सीट से निर्वाचित सांसद अकोईजाम ने कहा कि शांति बहाल करने के लिए हमें सक्रिय ताकतों से सावधान रहना चाहिए और हिंसा को जारी रखने की किसी भी साजिश के आगे नहीं झुकना चाहिए.

अकोईजाम ने कहा कि उन्होंने जिरीबाम जिला प्रशासन से बात की है ताकि जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने यह भी आश्चर्य जताया कि क्या कोई जातीय बहिष्कारवादी एजेंडा चल रहा है. इस बीच, वर्तमान में जिरीबाम के चिंगडोंग लेईकाई प्राथमिक विद्यालय में एक राहत शिविर में रह रहे लमलाई खुनौ के एक ग्रामीण ने बताया कि बुधवार रात को हिंसा की खबरें आने के बाद उनके गांव के लोग हाई अलर्ट पर थे. उन्होंने कहा कि हिंसा बढ़ने के कारण उनके परिवार को गुरुवार को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा, लेकिन आखिरकार असम राइफल्स ने उन्हें बचा लिया.

जिले के सूत्रों ने बताया कि जिले के कई हिस्सों में आगजनी गुरुवार आधी रात से लेकर शनिवार सुबह तक जारी रही. कथित तौर पर 70 से ज़्यादा इमारतों को आग लगा दी गई. कई लोग फिलहाल जिले के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और चिंडोंग लेइकाई स्कूल में शरण ले रहे हैं. मणिपुर में पिछले साल 3 मई से ही तनाव है. दरअसल, उस वक्त मैतेई और कुकी-ज़ोमिस के बीच पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी. हिंसा में 200 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 50,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.

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