मैं स्तब्ध हूं, वाणी अवरुद्ध हो गई है, क्या लिखूं शब्द नहीं मिल रहे! विधाता ने कैसी भयानक विनाश लीला रचाई है? चिकित्सालयों में जगह नहीं मिल रही है जगह मिलती है तो आईसीयू खाली नहीं है ऑक्सीजन के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं। सरकार, प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग सब वेवश है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता, राबर्टसगंज निवासी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता और मेरे घनिष्ठ मित्र श्री संतोष कुमार शुक्लाजी के पिताजी जो मुझे भी पुत्रवत स्नेह करते थे, का इन्हीं विषम परिस्थितियों में देहांत हो गया। मेरा मन आकुल हो रहा है, आज मुझे लग रहा है कि मनुष्य परिस्थितियों का दास होता है मैं चाह कर भी संतोष जी का किसी प्रकार की मदद इन संकटमय परिस्थितियों में नहीं कर पा रहा हूं। बस ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं कि वह संतोष जी तथा उनके पूरे परिवार को शक्ति प्रदान करें जिससे वह लोग इस दुख को झेल सकें। दिवंगत आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं।
– दिलीप कुमार, प्रकाशक प्रेरणा भारती हिंदी दैनिक