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” कामाख्या का महाकुंभ अंबुवासी मेला ”             – संदीप अग्रवाल

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अंबुवासी मेला कामाख्या मंदिर का बहुत ही महत्वपूर्ण और बड़ा त्योहार या पर्व माना जाता है और यह पर्व हर साल मनाया जाता है। हर वर्ष जून महीने में अंबुवासी मेले का आयोजन होता है। कामाख्या मंदिर ब्रह्मपुत्र नद के किनारे और नीलांचल पर्वत पर स्थित है जो कि पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत अच्छा माना जाता है। पंडित, तांत्रिक और अघोरी साधुओ के लिए यह मंदिर बहुत ही सिद्ध माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि जून के महीने में तीन दिनों के लिए कामाख्या देवी रजस्वला होती है और इन्हीं तीन दिनों के दौरान कामाख्या मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। अम्बुवासी मेला के ये तीन दिन बहुत ही शुभ माने जाते हैं। किसी भी पूजा पाठ, तांत्रिक क्रियाओं के लिए साधु, अघोरी, तांत्रिक लोग इसी समय इस मंदिर में आकर सारी तंत्र मंत्र क्रियाओं की सिद्धि करते हैं।
अंबुवासी मेले के दौरान पूजन कैसे करें या करवाएं ?
जैसा कि आप सभी जानते है कि मां कामाख्या मंदिर में हर साल अंबुवासी मेला मनाया जाता है और हजारों लोग मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। कई लोग वहां पर पूजा करवा लेते है और कई लोगों को मौका नहीं मिल पाता। कामाख्या मंदिर में अंबुवासी मेले के दौरान दो तरीके से आप पूजा करवा सकते हैं मंदिर प्रांगण में उपस्थित होकर या अपने नाम, जन्मतिथि और गोत्र के आधार पर।
मालूम हो कि कामाख्या मंदिर दुनिया एक ऐसा मंदिर है, जहां पर देवी के मासिक धर्म की पूजा होती है। और तीन दिनों तक यह त्योहार मनाया जाता है। जी हां, हमारे असम में स्थित मां कामाख्या देवी का मंदिर इसी बात के लिए जाना जाता है क्योंकि यह मंदिर ५१ शक्ति पीठों में से एक है और यहां पर माता सती का योनांग गिरा था और इसीलिए यहां पर किसी देवी की मूर्ति नहीं है, सिर्फ मूर्ति के रूप में योनांग बना हुआ है। और जून महीने में माता की मासिक धर्म आने की प्रथा मनाई जाती है और इसी दौरान मंदिर को तीन दिनों के लिए बंद किया जाता है। फिर तीन दिनों पश्चात मंदिर को साफ सफाई कर पूजा-अर्चना की जाती है। इन तीन दिनों में भक्त लोग मंदिर परिसर में रहकर पूजा अर्चना करते हैं और इस त्योहार को ” अंबुवासी मेला ” कहा जाता है। इसी दौरान देश-विदेश से बहुत सारे लोग मां कामाख्या का आशीर्वाद प्राप्त करने यहां आते हैं। बहुत सारे नेता-अभिनेता भी इस मंदिर में पूजा अर्चना हेतु समय-समय पर आते रहते हैं। शक्तिपीठ मां कामाख्या धाम में आगामी 22 जून से अंबुवासी पर्व शुरू हो रहा है, इस दौरान अगले तीन दिन के लिए मां कामाख्या मन्दिर का कपाट बंद रहेगा | मालूम हो कि हर साल अम्बुवासी पर्व के दौरान नीलांचल पहाड़ पर साधु – संतों का मेला लगता है | बतातें चले कि अंबुवासी मेले के दौरान नीलाचल पहाड़ के साथ साथ पूरे गुवाहाटी में साधु संतों का लाखों में आगमन होता है , इस दौरान सभी पंथों के साधु – संत यंहा आकर मां की साधना और ध्यान करते हैं | मान्यता है कि अम्बुवासी के दौरान नीलाचल पहाड़ आकर मां की साधना और ध्यान करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है | मालूम हो कि 22 जून को सुबह अंबुवासी मेला प्रवृत्ति की पूजा की जाएगी और 25 जून तक निवृत्ति की पूजा की जाएगी। मंदिर का मुख्य द्वार प्रवृत्ति के बाद बंद कर दिया जाएगा और निवृत्ति की पूजा के बाद ही खुलेगा। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में देवी का मासिक धर्म होता है, इसलिए मंदिर के दरवाजे बंद रखे
जाते हैं। निवृत्ति का समापन 26 जून को सूर्योदय के बाद होगा। 30 जून तक विशेष वीआईपी दर्शन बंद कर आम श्रद्धालुओं को प्राथमिकता दी जाएगी। कोई भी व्यक्ति सामान्य लाइन के माध्यम से मंदिर में जाकर पूजा कर सकता है। सभी कार्यक्रम को सुचारू बनाने और किसी भी समस्या में भक्तों की मदद करने के लिए पुलिस कर्मी, स्वयंसेवक और निजी सुरक्षा गार्ड मौजूद रहेंगे। कामाख्या रेलवे स्टेशन,
सोनाराम हायर सेकेंडरी स्कूल मैदान और पांडु बंदरगाह पर अस्थायी टेंट लगाए जाएंगे।
संदीप अग्रवाल , दत्ता बागान , डिब्रूगढ़ ( असम )
मोबाइल: 9706113523

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