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पेपर लीक का रायता – सुनील महला

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गर्मी का सीजन है। जमकर गर्मी पड़ रही है। गर्मी में रायते का सेवन सेहत के लिए अच्छा माना जाता है और इन दिनों पेपर लीक का रायता बिखरा पड़ा है। परीक्षा में रायता फैल रहा है लेकिन ये लीकेज अच्छे हैं। अब सरकार की इससे भले ही सियासी फजीहत हो लेकिन गर्मी में रायता बहुत जरूरी है। अजी पेपर में अनियमितताएं हों तो क्या फर्क पड़ता है, सेहत का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है। भविष्य दांव पर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, वर्तमान दांव पर नहीं होना चाहिए। जय जय नीट, जय जय रीट, जय जय एनटीए। पेपर लीक हो गया लेकिन पेपर लीक का रायता तो खाने को मिल रहा है। भले ही सिस्टम वीक है लेकिन रायता लीक है। ये चूक नहीं पेपर प्राप्त करने की भूख है। ये प्यास है बड़ी, तुमको भला क्या है पड़ी, पेपर लीक की है ये झड़ी। अब पेपर लीक पर बेचारे अभ्यर्थी छिप छिप अश्रु बहा रहे हैं। आंसुओं के मोती व्यर्थ बहा रहे हैं लेकिन उनको गोपालदास नीरज की कविता से प्रेरणा लेनी चाहिए जो कहते हैं -‘कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। रायता बिखर गया तो क्या है, खुद ही हल हो गयी समस्या, आंसू ग़र नीलाम हुए तो समझो पूरी हुई तपस्या, रूठे दिवस मनाने वालों, कुछ दीपों के बुझ जाने से आंगन नहीं मरा करता है।’ चहुंओर बिखरा है पेपर लीक का रायता, जिसमें है फायदा ही फायदा। पेपर लीक से आत्मनिर्भरता आ रही है। ऐसे लोगों को भी डाक्टर, इंजीनियर, टीचर बनने का मौका मिल रहा है, जिनको बेचारों को स्टेज नहीं मिल पा रही थी। पेपर लीक का रायता बिखरने से ‘अयोग्य’ को भी मौका मिल रहा है। ये विकास नहीं तो क्या है ? इससे अधिक आत्मनिर्भरता भला क्या कभी आ सकती है ? दलालों को धंधा मिला है, विकसित देश का सिलसिला है, यही तो जलजला है, इससे हर कोई फला-फूला है। डार्कनेट पर पेपर लीक का रायता फैला। इससे साबित होता है कि हम वाकई डिजीटलीकरण की ओर बढ़ रहे हैं और शेष हाथ मल रहे हैं।  स्साला अब तक हमें दुख होता था कि हम डिजीटलीकरण की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहे हैं। अब तक हमें लगता था कि विकास सोया पड़ा है और आत्मनिर्भरता तो एक सपना है। पेपर लीक के रायते ने तो एकदम से वक्त बदल दिया, जज़्बात बदल दिया, अजी ! पूरी की पूरी जिंदगी ही बदल दी। अजी! पेपर लीक का रायता क्या फैला एंटी पेपर लीक कानून लागू हो गया है। विकास में कोई कमी है क्या ? अजी ! जब से पेपर लीक का रायता मिला है तब से पेट नहीं फूल रहा है। गर्मी में शरीर पूर्णतया हाइड्रेट रह रहा है। पाचन में तो कोई दिक्कत है ही नहीं। और हां,  गैस कब्ज का तो नामोनिशान मिट गया है। ये है रायते का असली फायदा। पेपर लीक का रायता, फायदा ही फायदा। गर्मी बहुत है, भीषण गर्मी को देखते हुए हम भी अब रायता पीने के लिए निकल रहे हैं। जय राम जी की। गुस्ताख़ी माफ़।
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर कालमिस्ट व युवा साहित्यकार उत्तराखंड।

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