कोई गरीब अभाव ग्रस्त बिमार लाचार व्यक्ति कोई अनुचित एवं बिना सहमति कोई काम करे तो अधिकांश लोग समझ जाते हैं कि बेचारा मरता क्या नहीं करता लेकिन सब कुछ होते हुए मृगमरीचिका के भंवरजाल में लोगों को फंसाने के लिए बार बार धोखा दे तो लोग भी अपने आप को दो हाथ दिखाने को मजबूर कर देते हैं। लेकिन वो अपने कुसंस्कार एवं आदतन ऐसा अपने फायदे के लिए करते हैं कि कुछ ना कुछ तो कमा ही लेंगे। ब्याजङिए कभी भी दो रूपये किसी के लिए खर्च नहीं करेंगे बल्कि चवन्नी अठन्नी के लिए अपने जमीर को बेच देते हैं। बदनाम तो पहले से ही होते हैं अब लोगों के वार सहने के लिए ना तो उम्र रही ना ही औकात फिर भी घिसेपीटे अनावश्यक कुचेष्टा करते हैं। कहावत है कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढती क्योंकि वो पहली बार में ही जल जायेगी लेकिन लोग बार बार चढाकर धोखा देने के फिराक में रहते हैं जब उनके हत्थे चढ गये तो बचने एवं प्राश्चित करने का अवसर नहीं मिलता।
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- Admin
- June 24, 2024
- 11:59 am
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काठ की हांडी बार बार चढाने से स्वयं भी जलना होगा प्राश्चित का भी मौका नहीं मिलेगा– मदन सुमित्रा सिंघल
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