फॉलो करें

काठ की हांडी बार बार चढाने से स्वयं भी जलना होगा प्राश्चित का भी मौका नहीं मिलेगा– मदन सुमित्रा सिंघल

37 Views

कोई गरीब अभाव ग्रस्त बिमार लाचार व्यक्ति कोई अनुचित एवं बिना सहमति कोई काम करे तो अधिकांश लोग समझ जाते हैं कि बेचारा मरता क्या नहीं करता लेकिन सब कुछ होते हुए मृगमरीचिका के भंवरजाल में लोगों को फंसाने के लिए बार बार धोखा दे तो लोग भी अपने आप को दो हाथ दिखाने को मजबूर कर देते हैं। लेकिन वो अपने कुसंस्कार एवं आदतन ऐसा अपने फायदे के लिए करते हैं कि  कुछ ना कुछ तो कमा ही लेंगे। ब्याजङिए कभी भी दो रूपये किसी के लिए खर्च नहीं करेंगे बल्कि चवन्नी अठन्नी के लिए अपने जमीर को बेच देते हैं। बदनाम तो पहले से ही होते हैं अब लोगों के वार सहने के लिए ना तो उम्र रही ना ही औकात फिर भी घिसेपीटे अनावश्यक कुचेष्टा करते हैं। कहावत है कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढती क्योंकि वो पहली बार में ही जल जायेगी लेकिन लोग बार बार चढाकर धोखा देने के फिराक में रहते हैं जब उनके हत्थे चढ गये तो बचने एवं प्राश्चित करने का अवसर नहीं मिलता।

मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल