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नई दिल्ली 26 जून: भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रतिनिधिमंडल ने अंबेडकर भवन नई दिल्ली में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा रबी की फसलों के दाम निर्धारण हेतु बैठक में शामिल होकर सुझाव दिए। बैठक में एमएसपी को कानून बनाने एवं फसलों के दाम सी2 के आधार पर तय किए जाने की वकालत करते हुए एमएसपी को प्रभावी बनाने पर बल दिया
बैठक में धर्मेन्द्र मलिक राष्ट्रीय प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक, मांगेराम त्यागी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजकुमार तोमर आगरा मंडल अध्यक्ष, अशोक बालियान चेयरमैन पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने भाग लिया। बैठक में निम्न सुझाव दिए
1965 में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की स्थापना की गई थी और भारत में सबसे पहले 1966-67 में गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की गई थी. किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए सरकार को धीरे-धीरे सिस्टम भी विकसित करना चाहिए था. केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती रही और किसानों को बिचौलियों और व्यापारियों के सहारे छोड़ दिया गया.
देश में हर साल दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार प्रयासरत है, क्योंकि देश अभी भी बड़ी मात्रा में इनका आयात करता है. लेकिन जब किसान अपनी लागत लगाकर तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाते हैं, तो उनकी उपज का बाज़ार में उचित मूल्य नहीं मिलता और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर बेचना पड़ता है. इस वजह से वे हिम्मत नहीं जुटा पाते कि तिलहन और दलहन उत्पादन क्षेत्र में आगे बढ़ें.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण सुनिश्चित करने और दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर तुअर, उड़द और मसूर की पूरी खरीदारी के लिए 100 फीसदी प्रतिबद्ध है. इससे किसानों को थोड़ी आशा जगी है, क्योंकि अगर किसान जो फसल उगा रहा है, उसका उचित दाम नहीं मिलेगा तो उनका मोहभंग होगा. इसलिए जरूरी है कि अगर फसलों की एमएसपी की घोषणा की जा रही है, तो किसानों की उपज एमएसपी से नीचे ना बिके. इसके लिए सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से इन दालों की खरीद करने के लिए एक सिस्टम बनाने की प्रयास है, जिससे कि इन दाल फसलों की खरीदारी MSP की दर पर सुनिश्चित की जा सके. इसी तरह दूसरी फसलों के लिए भी एक सिस्टम विकसित करना पड़ेगा जिससे कि MSP का लाभ देश के किसानों को ज्यादा से ज्यादा मिल सके.
इस संबंध में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक निम्न सुझाव देती है:
1न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गणना में तीसरी लागत सी2 (C2) को भी शामिल किया जाये। क्योकि सी2 एक अधिक व्यापक लागत है, जिसमें ए2+ एफएल के साथ भूमि का किराया और बाक़ी खर्चों पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है। इसलिए ए2 (A2)+ एफएल (FL) + सी2 (C2) लागत के ऊपर 50 फ़ीसदी जोड़कर एमएसपी तय किया जाना चाहिए। हर मौसम में एफएल (FL) के तहत केवल आठ दिनों के काम के लिए श्रम की अनुमानित लागत है। -न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय यह भी प्रयास किए जाय कि जो मूल्य तय किया है उतना किसानों को मिले। इसके लिए एक सिस्टम विकसित किया जाय
2-कई वर्षो से सरकारी कागज में किसानों की मामूली उत्पादन लागत में वृद्धि दर्शायी जा रही है।जिसके कारण किसानों को फसलों की कीमत नही मिल पा रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय न्यूनतम उत्पादन लागत को नही अधिकतम उत्पादन लागत को शामिल किया जाय। अगर गेहूं पैदा करने में महाराष्ट्र का खर्च अधिक है तो राजस्थान या पंजाब की लागत से गणना की जानी चाहिए एवरेज की गणना से देशभर के किसानों का नुकसान हो रहा है
3- जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों की लागत में वृद्धि हो रही है। असमय बारिश, ओलावृष्टि,अतिवृष्टि , तेज गर्म – सर्द हवाओं आदि के कारण उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। जलवायु परिवर्तन से लागत में वृद्धि , उत्पादन में कमी की जोखिम भी शामिल की जाय।
4- उत्पादन का डाटा पारदर्शी नहीं है। क्रॉप कटिंग डाटा के पैरामीटर तय किए जाय।
5- हमारे देश में खाद्यान्नों की खरीद एफसीआई (FCI) द्वारा की जाती है और दालों और तिलहनों की खरीद नेफेड (NAFED) द्वारा की जाती है। हालाँकि, बागवानी, सब्जियाँ, फल या डेयरी उत्पादों को ऐसा कोई समर्थन नहीं मिलता है। जबकि बागवानी, सब्जियाँ, फल या डेयरी उत्पादों को भी एमएसपी के दायरे में लाने की आवश्यकता है।
6- -न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय कृषि निवेश को भी शामिल किया जाय
7- सभी फसल के लिए एमएसपी तय किया जाए,।इससे फसल विविधता बढ़ेगी, लोग अलग-अलग फसलें उगाएंगे। और इस प्रकार बाजार में हर फसल की मांग देखी जाएगी और अच्छी मांग के कारण किसान की उपज अच्छे दामों पर बिकेगी।
यूनियन ने आशा व्यक्त किया कि देश के नीति निर्माता किसान समुदाय, किसान हितैषी संस्थाओं के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित कर किसान के लिए बेहतर कार्य करेंगे।