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हल्दी मतलब , मेघालय के लकाडोंग की हल्दी

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शिलांग 12 जूलाई: नॉर्थ ईस्ट का छोटा सा ही खूबसूरत राज्य है, मेघालय जो 1972 में आसाम जैसे बड़े राज्य से काटकर बनाया गया था। मेघालय का अर्थ है मेघो अर्थात बादलों का घर। मेघालय भारत ही नहीं दुनिया का सर्वाधिक नम, बारिश वाला स्थान है… चेरापूंजी, मासिनराम मेघालय में ही स्थित है जहां रिकॉर्ड 1200 सेंटीमीटर वर्षो वर्षा होती है। मेघालय में 7 जिले हैं जिनमें 6  जिलों का नामकरण उन जिलों के पर्वतों के नाम पर किया गया है, जैसे- गारो हिल्स, जयंतिया हिल्स,  खासी हिल्स, खासी, गारो जयंति मेघालय की जनजातियां भी है जो महिला प्रधान है। अब क्योंकि मेघालय पर्वतराज हिमालय का हिस्सा है तो यह जड़ी-बूटी वन्य जीव जंतुओं से  समृद्ध है……।
 यह प्रकृति का व्यापक नियम है पर्वतों की उपज मैदानों की उपज से उत्कृष्ट होती है… स्वाद औषधीय प्रभाव गुणवत्ता के मामले में… बात मेघालय की जयंतिया हिल्स पर उगाई जाने वाली लकाडोंग हल्दी की करते हैं। हल्दी में जो भी औषधीय गुण सुगंध रंग रूप है  करक्यूमिन नामक केमिकल कंपाउंड के कारण होता है…। करक्यूमिन नेचुरल स्टेरॉइड है जो………………….. anti-cancer ,anti-inflammatory anti-diabetic एंटी अर्थराइटिस होता है…..। हल्दी सर्वश्रेष्ठ नेचुरल इम्यूनिटी बूस्टर है। हल्दी  घाव को भर देती है, उसमें यह गुण इसी स्टेरॉयड के कारण है…। आयुर्वेद की भाषा में कहें तो हल्दी का सार तत्व करक्यूमिन ही है….। हल्दी में अनेकों तत्व पाए जाते हैं। आम साधारण हल्दी में जो हम गंगा जमुना के  दोआब क्षेत्र देश के अन्य मैदानी भागों दक्षिणी राज्य केरला  में  उत्पादित करते हैं उसमें करक्यूमिन की मात्रा दो से ढाई प्रतिशत होती है…। आपको आश्चर्य होगा मेघालय की lakadong हल्दी में  करक्यूमिन  की मात्रा 7% तक होती है…। मेघालय में सालाना 30,000 मीट्रिक टन इसी हल्दी का उत्पादन होता है, पूरी दुनिया में जबरदस्त मांग है। बाजार में इसका मूल्य 150 रुपए किलो से लेकर ₹1500 किलो तक… है। औषधीय गुणों में मैदानी हल्दी से बहुत आगे है। जैविक लाकडोंग हल्दी का मूल्य अधिक होता है, वह गोमूत्र गाय के गोबर की खाद कीटनाशक के रूप में  इस्तेमाल से मेघालय में उत्पादित की जाती है…। वह तो मानो अमृत ही है, यह हल्दी स्वाद के मामले में भी बेजोड़ है।
वर्ष 2020 में ही मेघालय की जयंतिया हिल्स डिस्टिक की आदिवासी महिला ट्रिनिटी सय्यो को जैविक lakadong Turmeric  के उत्पादन के लिए मोदी सरकार ने पदम विभूषण पुरस्कार से विभूषित किया है।
 उन्होंने 800 परिवारों को कोयले के अवैध खनन से हटाकर महिलाओं का स्वसहायता समूह बनाया तथा मेघालय की शान इस परंपरागत हल्दी के उत्पादन से जोड़ा। उन परिवारों की आय  तीन गुनी हो गई…। हमारे देश की आदिवासी माताएं-बहने लोकल से  वोकल  से  को बड़ी तन्मयता से विश्व में स्थापित कर रही है। आज यह हल्दी इंटरनेशनल ब्रांड बन गई है…। सभी ई-कॉमर्स साइट पर यह ऑनलाइन उपलब्ध है…। वर्षा ऋतु में जब संक्रमण फंगल इनफेक्शन बहुत से रोग फैलते हैं, दूध में इसका सेवन आयुर्वेद सम्मत है….।
साभार फेसबुक

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