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फिल्म नमक हलाल का गाना पग घुंघरू बांध की रिकॉर्डिंग कैसे हुई?

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फिल्म ‘नमक हलाल’ के गाने ‘पग घुंगरू बांध’ की. ये वो समय था जब अमिताभ बच्चन अपने करियर की पीक पर थे. इस साल ‘नमक हलाल’ के अलावा उनकी ‘खुद्दार’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘शक्ति’, ‘देश प्रेम’ जैसी फिल्में आईं. इसी साल कुछ अच्छे गाने भी आए. मगर बप्पी दा के कम्पोज़ किए हुए गाने के आगे सब फीका ही रहा.
‘पग घुंघरू बांध’ गाना बहुत लम्बा है. शुरुआत के लम्बे म्यूजिक पीस को मिलाकर करीब 12 मिनट का. जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था उस समय. गाने को किशोर कुमार की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया कहते हैं कि ये पहला ऐसा गाना था, जिसमें डिस्को के साथ बप्पी दा ने फ्यूजन किया था. इसी गाने क अंतरे में डिस्को म्यूज़िक के साथ सरगम का इस्तेमाल किया गया है. कहा जाता है कि ये गाना अपने समय का पहला गाना था, जिसमें मॉर्डन बीट पर सरगम का यूज़ हुआ.
बप्पी लहरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्होंने इस गाने की कम्पोज़िंग अपने मामा यानी किशोर कुमार को दिखाई, तो उन्होंने कहा था-
”बप्पी, क्या तुमने मुझे तानसेन समझ रखा है, ये सब सरगम कैसे होगा?”
बप्पी लहरी ने ये भी बताया था कि गाने को पूरा देखने के बाद किशोर कुमार परेशान भी हो गए थे. कि 12 मिनट लंबा गाना रिकॉर्ड कैसे किया जाएगा?
चार दिनों में पूरी हुई थी रिकॉर्डिंग
‘नमक हलाल’ के डायरेक्टर प्रकाश मेहरा ने बप्पी दा से कहा कि उनकी फिल्म में एक गाना 12 मिनट का है. जिसे किशोर दा की आवाज़ में रिकॉर्ड किया जाना है. बप्पी दा को ये निर्देश थे कि गाने में डिस्को इस्तेमाल करना है. मगर बप्पी दा चाहते थे कि वो इस गाने को क्लासिकल टच दें.
बप्पी दा ने इसी गाने में खूब एक्सपेरिमेंट किया और फाइनल रिज़ल्ट के तौर पर ये बेहतरीन गाना निकलकर सामने आया.
इसकी रिकॉर्डिंग पर बात करते हुए बप्पी दा ने बताया था,
उस वक्त किशोर दा के साथ अमिताभ बच्चन भी रिकॉर्डिंग में आते थे. महबूब स्टूडियो में ये गाना रिकॉर्ड हुआ था. 12 मिनट में कई वेरिएशन में इसे गाया जाना था. इसकी रिकॉर्डिंग पूरे चार दिनों तक चली. उस वक्त एक ही माइक से सारे सिंगर गाते थे. एक के बाद एक हटते जाते थे और लाइव रिकॉर्डिंग भी होती थी. सब कुछ वहीं होता था.
..अमिताभ बच्चन ने पुराने दिन याद करते हुए बताया कि ‘पग घुंघरू’ की शूटिंग के दौरान उनक हालत खराब हो गई थी. उन्होंने कहा, ‘काम करते समय जो हालत हुई थी, वो बयां नहीं कर सकते. नाचना-वाचना हमें आता नहीं और ये सच है. इतने डंडे मार-मार के जितने हमारे डांस टीचर्स है, उन्होंने हमें बोला ऐसा करो, वैसे करो. हालत खराब हो गई.’
ये कहना गलत नहीं कि किशोर कुमार से ये करिश्माई गीत कोई गवा सकता था, तो वो सिर्फ बप्पी दा ही थे. उनके गानों में इतनी एनर्जी होती कि बंदे के पैर आप ही थिरकने लग जाया करते थे. ये गाना किशोर दा ने 2-3 घंटे की रिहर्सल के बाद एक ही बार में पूरा गाना गाया था बप्पी दा और किशोर दा भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं मगर अपने संगीत के माध्यम से वो हमेशा अमर रहेंगे.

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