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कहां से आया बच्‍चों पर मौत बनकर टूट रहा चांदीपुरा वायरस? कितना खतरनाक? वायरोलॉजिस्‍ट ने बताई कुंडली, ये हैं लक्षण और इलाज

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कोरोना वायरस के चंगुल से छूटने के बाद अब भारत का स्‍वदेशी वायरस, चांदीपुरा वायरस बच्‍चों पर कहर बनकर टूट रहा है. गुजरात में चांदीपुरा वायरस से 6 बच्‍चों की मौत के बाद इस बीमारी को लेकर देशभर में हड़कंप मच गया है. हालांकि इस वायरस का नाम जरूर बहुत से लोगों ने अभी सुना है लेकिन हेल्‍थ एक्‍सपर्ट की मानें तो यह वायरस भारत में करीब 60 सालों से अपनी पैठ बनाकर जब तब कुछ राज्‍यों में महामारी फैलाता रहा है. खास बात है कि यह पूरी तरह स्‍वदेशी वायरस है, जो भारत में ही पैदा हुआ है, यहीं इसका नाम रखा गया और यह यहीं पर बच्‍चों को संक्रमित कर उन्‍हें मौत के घाट उतारता रहता है.

डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च नई दिल्‍ली के डायरेक्‍टर और जाने-माने वायरोलॉजिस्‍ट प्रोफेसर सुनीत के सिंह का कहना है कि यह वायरस काफी खतरनाक है. ब्रेन पर असर करता है. इससे कौमा में जाने के अलावा मौत भी हो जाती है. आइए सवाल-जवाब के माध्‍यम से डॉ. सुनीत के सिंह से जानते हैं इस वायरस की पूरी कुंडली.

सवाल- यह वायरस कहां से आया और इसका नाम चांदीपुरा क्‍यों पड़ा?
जवाब- इस वायरस का सबसे पहले आउटब्रेक साल 1964-65 में महाराष्‍ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में हुआ था. यह वायरस दुनिया में और कहीं नहीं था. इसी वजह से इसका नाम चांदीपुरा वायरस रखा गया.

सवाल- अभी तक इस बीमारी के कितने केस आ चुके हैं? कितनी मौतें हुई हैं?
जवाब. इसके पहली बार आउटब्रेक के बाद से इसके छिटपुट केसेज आते रहते थे. जैसा कि मीडिया रिपोर्ट्स में आया है कि अभी इस सीजन में इस बीमारी से 6 बच्‍चों की मौत हो चुकी है.

सवाल. चांदीपुरा वायरस भारत के अलावा दुनिया में कहां-कहां फैला है?
जवाब- यह सिर्फ भारत में ही है. विश्‍व के किसी देश में चांदीपुरा वायरस के केस नहीं मिले हैं. भारत में भी महाराष्‍ट्र के नागपुर के चांदीपुरा गांव में इसका आउटब्रेक हुआ था. उसके बाद यह आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्‍थान में भी संक्रमण फैला रहा है.

सवाल- किस उम्र में यह वायरस ज्‍यादा शिकार बनाता है?
जवाब- यह 15 साल या उससे छोटे बच्‍चों को ज्‍यादा प्रभावित करता है.

सवाल- इसके लक्षण कैसे होते हैं?
जवाब- चांदीपुरा वायरस के लक्षण आमतौर पर कुछ कुछ फ्लू या बहुत हद तक जापानीज इंसेफेलाइटिस जैसे होते हैं. इससे संक्रमित होने पर गर्दन में ऐंठन, तेज बुखार, उल्‍टी आदि होगी और अगर बहुत एडवांस स्‍टेज में मरीज चला जाएगा तो वह कौमा में चला जाता है. कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है.

सवाल- क्‍या यह वायरस ब्रेन पर असर करता है?
जवाब- यह वायरस इसलिए भी खतरनाक है क्‍योंकि यह सीधे ब्रेन पर असर करता है. इस वायरस के इन्‍फेक्‍शन के दौरान ब्रेन के माइक्रोफेजेज का इंप्रेशन बढ़ जाता है, यह वायरस ब्रेन में इन्‍फ्लेमेशन बढ़ा देता है, जिसकी वजह से मरीज कौमा तक में चला जाता है.

सवाल. चांदीपुरा वायरस किस फैमिली से जुड़ा है?
जवाब. यह रेबीज वायरस वाली फैमिली RHAPDOVIRIDAE से जुड़ा है.

सवाल- चांदीपुरा वायरस कैसे फैलता है?
जवाब- यह वैक्‍टर बॉर्न डिजीज है. मुख्‍य रूप से यह करीब 3 मिमी लंबी सुनहरे और भूरे रंग की छोटी व्‍यस्‍क मक्‍खी से फैलता है. इस वायरस से संक्रमित मक्‍खी जब किसी बच्‍चे को काट लेती है और उसके सलाइवा से यह वायरस ब्‍लड में पहुंच जाता है तो बच्‍चा इन्‍फेक्‍टेड हो जाता है. हालांकि कुछ केसेज में यह भी देखा गया है कि यह मच्‍छरों से भी फैला है. इसे फैलाने वाली प्रमुख वाहक सेंड फ्लाई है. जबकि मच्‍छरों की प्रजातियां एडीज और क्‍यूलेक्‍स से भी चांदीपुरा वायरस के केस सामने आए हैं.

सवाल- क्‍या इस वायरस से मौतें ज्‍यादा होती हैं?
जवाब- साल 1964-65 से लेकर अभी तक देखा गया है कि इस वायरस की मृत्‍यु दर ज्‍यादा है. बहुत सारे बच्‍चों में इसके संक्रमण के बाद कौमा में चले जाने की परेशानी सामने आती है. इस वायरस के इतना खतरनाक होने के पीछे वैज्ञानिक तथ्‍य ये है कि जैसे अन्‍य वायरस, कभी न कभी हमें संक्रमित करते हैं तो उनके खिलाफ हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, लेकिन चूंकि यह सिर्फ एक राज्‍य की एक ही जगह पर फैला हुआ था और आइसोलेटेड था और इसने बहुत सारे लोगों में इन्‍फेक्‍शन नहीं फैलाया, तो इससे लड़ने के लिए मजबूत इम्‍यूनिटी शरीरों में नहीं बन पाई और जब यह बाहरी राज्‍यों में फैलने लगा तो इससे मौतें भी होने लगीं.

सवाल- क्‍या इसका इलाज है?
जवाब. इसका सिर्फ सिम्‍टोमैटिक इलाज है. जो लक्षण दिखाई देता है डॉक्‍टर उसी के अनुसार दवा देता है. इसकी न कोई वैक्‍सीन है, न बहुत ज्‍यादा दवाएं हैं. ऐसे में कुछ एंटीवायरल ड्रग हैं जो डॉक्‍टर मरीजों को ठीक करने के लिए देते हैं.

सवाल- क्‍या भारत में सब जगह फैल सकता है..
जवाब- बिल्‍कुल. पहले यह सिर्फ महाराष्‍ट्र के एक गांव में फैला था लेकिन अब देखा जा रहा है कि इसका स्‍प्रैड हो रहा है. इससे संक्रमित वाहक जहां जहां जाते हैं, वहां वहां यह फैल सकता है. जैसे पहले डेंगू सिर्फ साउथ एशिया में ही रिपोर्ट होता था लेकिन अब यह अमेरिका में इसके केस मिल रहे हैं. ठीक इसी तरह यह वायरस है और फैल सकता है.

सवाल- वायरस का किसी जलवायु से लेना देना है?
जवाब. चूंकि यह मक्‍खी-मच्‍छरों से फैलता है ऐसे में जिस मौसम में मक्‍खी-मच्‍छरों का प्रकोप रहता है, उनकी ब्रीडिंग ज्‍यादा होती है, उस मौसम में ये वायरस अपना असर दिखा सकता है.

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