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महुआ चौधरी, प्रो. सुब्रत देव, सुषमा पारेख, इंजि. खालिक चौधरी, रूपम नंदीपुरकायस्थ व सुतापा चक्रवर्ती सम्मानित
विशेष प्रतिनिधि शिलचर 21 जूलाई: बराक नागरिक संसद द्वारा सिलचर प्रेस क्लब में 21 जुलाई भाषा शहीदों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर “सभ्य समाज में भाषा को लेकर संघर्ष कब तक?” विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार श्रीमती महुआ चौधरी, प्रोफेसर सुब्रत देव, हिंदी कवियत्री सुषमा पारेख, इंजि. खालिक चौधरी, आकसा के मार्गदर्शक तथा वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रूपम नंदीपुरकायस्थ व राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त बांग्ला साहित्यकार सुतपा चक्रवर्ती को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में 1986 में करीमगंज में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रफुल्ल महंत की उपस्थिति में भाषा आंदोलन कार्यों पर हुई फायरिंग में शहीद हुए जगन यीशु के बलिदान को विशेष रूप से स्मरण किया गया।
अपने प्रस्ताविक वक्तव्य में प्रेस क्लब के सचिव तथा बराक नागरिक सांसद के प्रमुख शंकर दे ने कहा कि सभी मातृ भाषाओं का सम्मान है लेकिन जबरन दूसरी भाषा थोपा जाना स्वीकार नहीं है। मुख्य अतिथि अतीन दास ने कहा कि मातृभाषा का स्थान दूसरी भाषा नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि भाषा की चर्चा के साथ ही मातृभाषा माध्यम में बच्चों को शिक्षा देना भी जरूरी है। पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार ने कहां की यह विडंबना है कि संविधान में मातृभाषा का मौलिक अधिकार दिया गया है फिर भी विभिन्न राज्यों में भाषायी अल्पसंख्यकों के ऊपर दूसरी भाषा थोपने का बार-बार प्रयास किया जाता है।
अन्य वक्ताओं में विजय भट्टाचार्य, हिमाशीष भट्टाचार्य और रूपम नंदी पुरकायस्थ ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वरिष्ठ समाजसेवी संजीव देवनाथ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम का संचालन आयोजनकर्ता शंकर दे ने किया।