अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव धीरे-धीरे दिलचस्प होता चला जा रहा है। जो बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है। उन्होंने खुद इस बात का ऐलान किया कि वह अब अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके साथ ही, उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नाम का समर्थन किया है।बताया जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को चुनावी रेस से बाहर निकलने का निर्णय व्हाइट हाउस और अपनी पार्टी के सहयोगियों की तरफ से लगातार बनाए जा रहे दबाव के बाद लिया। उसके बाद जो बाइडेन ने भी अपनी जगह कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति हैं। इसके अलावा वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत या दक्षिण एशियाई मूल की व्यक्ति हैं। यदि वह डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनती हैं और नवंबर में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को हरा देती हैं, तो वह अमेरिका की राष्ट्रपति बनने वाल पहली महिला होंगी। हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस का नामांकन पूर्वनिर्धारित नहीं है।
डेमोक्रेटिक पार्टी अगले महीने शिकागो में होने वाले सम्मेलन में अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा करेगी। इससे पहले अन्य उम्मीदवारों पर विचार करने के लिए पार्टी ‘मिनी प्राइमरी’ भी आयोजित कर सकती है। हालांकि, जो बाइडेन के समर्थन करने से पहले भी, कमला हैरिस उनके रिप्लेसमेंट के रूप में डेमोक्रेटिक पार्टी की पहली पसंदीदा के रूप में देखी जा रही थीं। विदेश नीति के अपने अनुभव और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान के साथ, वह अपनी पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार की रेस में कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम, मिशिगन के गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर और पेंसिल्वेनिया के गवर्नर जोश शापिरो सहित अन्य नेताओं से काफी आगे हैं।
अगर कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनती हैं और नवंबर में होने वाले चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को हराकर अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनती हैं तो यह भारत के लिए भी गौरव की बात होगी। बता दें कि हैरिस की जड़ें भारत से जुड़ी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कमला हैरिस के भारतीय मूल के होने की वजह से उनकी राष्ट्रपतिता भारतीय-अमेरिकी संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत कर सकती है। उनकी पृष्ठभूमि और भारत के प्रति उनके सकारात्मक दृष्टिकोण के चलते, अमेरिका-भारत संबंधों में नए और मजबूत पहलू उभरेंगे। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद, भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक सहयोग में वृद्धि की संभावना है। कमला हैरिस की नीतियां भारत के लिए व्यापार, तकनीकी सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर साझेदारी को बढ़ावा दे सकती हैं। कमला हैरिस का राष्ट्रपति बनना न केवल अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा, बल्कि यह भारत-अमेरिका संबंधों के लिए भी एक सकारात्मक अवसर हो सकता है। उनकी भारतीय पृष्ठभूमि और बहुपरकारी दृष्टिकोण से अमेरिका और भारत के बीच सहयोग और समझ बढ़ने की उम्मीद है।
दरअसल, कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन भारतीय और पिता डोनाल्ड जे. हैरिस जमैकन थे। श्यामला गोपालन तमिलनाडु के नागापट्टिनम जिले में स्थित थुलासेंद्रपुरम गांव की रहने वाली थी। उनका जन्म 7 दिसंबर, 1938 को मद्रास में हुआ था। वह पेशे से एक बायोलॉजिस्ट थीं।
कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्केले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे. हैरिस इकोनॉमिक्स में ग्रेजेएशन करके 1961 में जमैका से यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया आए थे। यहीं पर दोनों की मुलाकात हुई और मानवाधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला किया। कमला हैरिस का जन्म 20 अक्टूबर, 1964 को ओकलैंड, कैलिफोर्निया में हुआ था। कमला सात वर्ष की थीं, जब उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए।
कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां श्यामला गोपालन की देखरेख में बड़ी हुईं। उन दोनों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा। कमला और माया की परवरिश के दौरान उनकी मां ने दोनों को अपनी जड़ों से जोड़े रखा। वह अपनी दोनों बेटियों को समय-समय पर भारत ले आती थीं और तमिलनाडु में अपने पैतृक गांव भी ले जाती थीं। उन्होंने कमला और माया को अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया। श्यामला और उनकी दोनों बेटियां भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़ी रहीं।
कमला हैरिस ने अपनी आत्मकथा ‘द ट्रुथ्स वी होल्ड’ में लिखा है कि उनकी मां को पता था कि वह दो अश्वेत बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं और उन्हें सदा अश्वेत के तौर पर ही देखा जाएगा। लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दिए कि कैंसर रिसर्चर और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला गोपालन और उनकी दोनों बेटियों को अमेरिका में ‘श्यामला एंड द गर्ल्स’ के नाम से जाना जाने लगा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद कमला हैरिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के हेस्टिंग्स कॉलेज ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की।
वह 2003 में सैन फ्रांसिस्को की शीर्ष अभियोजक बनीं। 2010 में वह कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं। 2017 में हैरिस कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर चुनी गईं। कमला ने 2014 में जब अपने साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं। उन्होंने अल्मेडा काउंटी के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कार्यालय से अपना लॉ करियर शुरू किया और
कमला हैरिस 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल चुनी गईं और इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं। उन्हें 2014 में फिर इस पद के लिए चुनी गईं। कमला ने 2014 में अपने साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं। हैरिस ने 2017 से 2021 तक कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2016 के सीनेट चुनाव में लोरेटा सांचेज को हराकर अमेरिकी सीनेट में सेवा देने वाली दूसरी अफ्रीकी-अमेरिकी महिला और पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी बनीं।
एक सीनेटर के रूप में, कमला हैरिस ने गन कल्चर पर नियंत्रण से जुड़े कानूनों, ड्रीम एक्ट (गैर-दस्तावेज आप्रवासियों के लिए नागरिकता का मार्ग), कैनेबीज को कानूनी वैधता के साथ-साथ हेल्थकेयर और टैक्सेशन रिफॉर्म की वकालत की। सीनेट की सुनवाई के दौरान डोनाल्ड ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों से तीखे सवाल-जवाब ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दी।कमला हैरिस ने 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक के उम्मीदवार के रूप में अपने नामांकन की मांग की, लेकिन प्राइमरी से पहले रेस से हट गईं। जो बाडडेन ने उन्हें अपने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में चुना।
जो बाइडेन और कमला हैरिस की जोड़ी ने 2020 के चुनाव में तत्कालीन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रंप और माइक पेंस को हराया। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका की पहली महिला, पहली भारतवंशी, पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया। ‘फीमेल ओबामा’ के नाम से लोकप्रिय कमला हैरिस सीनेट की सदस्य भी पहली बार बनी थीं। नवंबर 2020 में जो बाइडेन और अपनी जीत के बाद दिए ऐतिहासिक भाषण में कमला हैरिस ने अपनी दिवंगत मां श्यामला गोपालन को याद करते हुए कहा था कि इस बड़े दिन के लिए उन्हें उनकी मां ने ही तैयार किया था। कमला ने कहा था कि वह अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद पर काबिज होने वाली पहली महिला जरूर हैं, लेकिन आखिरी नहीं।
कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के दृष्टिकोण और नीतियां बहुत अलग हैं। लगभग तीन सप्ताह पहले ट्रंप का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ। जिसने वह कमला हैरिस को एक कठिन प्रतिद्वंदी का दर्जा देते हुए नज़र आए। इस वीडियो से एक बात यह साफ़ हो गई कि कमला हैरिस के मैदान-ए-जंग में आने से अब मुक़ाबला शायद बराबरी का हो गया है। अगर नीतियों की बात करें तो, ट्रंप की विदेश नीति में अमेरिका प्रथम की नीति और सख्त व्यापारिक दृष्टिकोण शामिल है, वहीं कमला हैरिस की नीति बहुपरकारी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर आधारित हो सकती है। कमला हैरिस ने पहले भी जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार और अंतरर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया है। ट्रंप की नीतियों की तुलना में, हैरिस के नेतृत्व में अमेरिका की विदेश नीति में अधिक समन्वय और दीर्घकालिक साझेदारी की संभावना है। हर गुजरते दिन के साथ अमेरिका की राजनीति में जैसे बदलाव और घटनायें हो रही है ये चुनाव को और अधिक रोचक बना रही है।
अशोक भाटिया,
वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार
लेखक 5 दशक से लेखन कार्य से जुड़े हुए हैं
पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड से सम्मानित,
वसई पूर्व – 401208 ( मुंबई )E MAIL – vasairoad.yatrisangh@gmail.com व्हाट्स एप्प 9221232130