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हाइलाकांडी 22 जुलाई: हाइलाकांडी जिले का एक गांव, नुनाई कचारीथल पिछले 50 वर्षों से त्रिपुरी समुदाय के दो हजार से अधिक लोगों का घर है। मुझे यह देखकर गर्व हुआ कि कल बहुत कठिन परिस्थिति के बावजूद भी वे पारंपरिक संस्कृति को कायम रखे हुए हैं। धोलाई चाय बागान से वहां के कुछ हिस्से में जाने के बाद वाहन से जाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। खूब धूप और पैदल चलने के बाद 11 किलोमीटर का रास्ता तय करके मैं उस गांव में पहुंचा, वहां जाने के बाद पता चला कि वहां न तो सरकारी सड़क थी, न पानी की व्यवस्था थी और न ही हर परिवार में बिजली थी। कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं, उनके मुंह से सुना है कि गर्भवती माताएं कठिन परिस्थितियों का शिकार होती हैं, सड़क के अभाव में दुर्घटनाएं होती हैं. कोई समाज सेवी संगठन का प्रोजेक्ट नहीं है. इन हिंदुओं की दुर्दशा , कही अपने धर्म छोड़ने पर मजबूर ना हों समाज के बुद्धिजीवी लोग चिन्तन करें। गुरुदेव का आदेश पाकर मैं विश्वजीत कोइरी के साथ वहाँ गया। साथ में बिश्व हिन्दु परिषद के प्रान्त अध्यक्ष शान्तनु नायक जी तथा अन्य कार्याकर्ता भी उपस्थित रहें। वंहा तक पहुंचने में सहयोग किया राम मनी त्रिपुरा जी ने। उपरोक्त जानकारी एकल अभियान के कार्यकर्ता राजेश हजाम ने एक प्रेस विज्ञप्ति में प्रदान की।