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बिहार का सबसे बड़ा सपना मोदी सरकार ने तोड़ा, राज्य को नहीं मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा

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नई दिल्ली. बिहार काफी लंबे समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 के बाद जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार बनाने के लिए बीजेपी को समर्थन दिया तो हर किसी ने कयास लगाया कि शायद केंद्र सरकार बदले में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी. बीते दिन सर्वदलीय बैठक में भी बिहार ने पुरानी मांग दोहराई, जिसके बाद ये मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया. हालांकि अब बिहार की इस मांग पर पानी फिर गया है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का सीएम नीतीश का सपना पूरा नहीं हो सकेगा.

दरअसल संसद में बिहार ने विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई थी. इस मांग पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जवाब दिया है. पंकज चौधरी का कहना है कि नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल (एनडीसी) की बैठक में पहले ही स्पेशल स्टेटस कैटेगरी पर चर्चा हो चुकी है. जिन राज्यों को इसकी जरूरत थी, उन्हें पहले ही ये दर्जा दिया जा चुका है. राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए कुछ पैमानों पर खरा उतरना पड़ता है. बिहार इन पैमानों पर फिट नहीं बैठता है.

IMG ने नकारा था प्रस्ताव

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का कहना है कि बिहार पहले भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर चुका है. 30 मार्च 2012 को इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप (आईएमजी) ने बिहार की इस मांग पर विचार किया था. आईएमजी इस नतीजे पर पहुंची की बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है.

सर्वदलीय बैठक में उठाई थी मांग

बीते दिन सर्वदलीय बैठक में जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी. जेडीयू की इस मांग को विपक्षी पार्टी आरजेडी ने भी समर्थन दिया था. इसके अलावा लोजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस मांग को सही ठहराया था. साथ ही जीतन राम मांझी ने भी इस पर सहमति जताई थी. बिहार के बाद ओडिशा और आंध्र प्रदेश ने भी केंद्र सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग की थी.

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