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बारिश के समय से ही गांव में कद्दू यानि कोहड़ा की बहार रहती है। हमारी तरफ कद्दू को बेटा का प्रतीक मानते है और लौकी को बेटी का प्रतीक मानते है इसलिए जिसके पास बड़ा बेटा होता वो माता पिता ज्येष्ठ माह का कद्दू और जिनके बेटी बड़ी हो वो ज्येष्ठ माह की लौकी नहीं खाते है।
कद्दू कभी साबुत काटा नहीं जाता है उसे पटक कर पहले फोड़ते है फिर सब्जी कटती है।
किसी छप्पर के किनारे पर ढेर सारा गोबर की खाद मिट्टी मिलाकर आप कद्दू के बीज बो दीजिये कभी कभार पानी डाल दे ताकि बीज और मिट्टी नम रहे। कुछ दिन में ही सर पर छतरी ताने इसके पौधे उठ खड़े होंगे। पौधे जब एक हाथ बड़े हो जाये तो लकड़ी गाड़कर उन्हें सहारा देकर ऊपर की तरफ जाने को कहिये। कुछ दिन में वो आपकी बात मानकर ऊपर की तरफ रुख करेगे और छप्पर को अपनी सम्पत्ति समझकर उस पर पूरी तरह फ़ैलकर उस पर कब्जा जमा लेंगे।
धीरे धीरे उनमें ढेर सारी कलिया, फूल आने शुरू हो जाते है। सब फूल में कद्दू लगे ये जरूरी नहीं है। दस में से दो फूल ऐसे होते है जिनमे कद्दू का फल लगता है। तो बाकी के जिन फूलों में कद्दू नहीं लगने वाले उन्हें खराब होने से पहले तोड़ लीजिये और उनकी बढ़िया मस्त पकौड़े बनाये और चाय के साथ आंनद ले।
कद्दू की बेल जितनी फ़ैलनी होती है फ़ैल जाती है सो उनकी बाकी जो नई नई कोपल निकलती है उन्हें और जिन कलियों में फल नहीं लगने वाले है उन्हें तोड़ कर साफ करके बढ़िया सा साग बनाये रोटी या भात के साथ खाये।
जिन फूलों में कद्दू की बतिया लग गई है उन्हें छूने से बचे क्योंकि ये छूने से मर जाती है। इनका वैज्ञानिक कारण मुझे नहीं पता है लेकिन इसका जिक्र तो लक्ष्मण जी भी उस समय करते है जब धनुष भंग होने से परशुराम जी क्रोधित होते है तब लक्ष्मण जी कहते है कि —इहा कोम्ह्ड़ बतिया कोउ नाही
जे तर्जनी देखी मर जाहि
मतलब ये माना गया है कि तर्जनी उंगली दिखाने पर कद्दू की बतिया मर जाती है।
जब कद्दू थोड़ा बड़ा हो जाता है लेकिन नरम ही रहता है तबसे आप तोड़ तोड़कर बनाना शुरू कर सकते है नरम कद्दू को आप छिलका सहित काट ले और सरसो दाने हींग हरी मिर्च के साथ तड़का लगाए गल जाने पर तीखा चटपटा नमक डालकर बनाये बहुत स्वादिष्ट बनता है।
थोड़ा बड़े होने पर छिलका कड़ा हो जाता है बीज कड़े हो जाते है तो छिलका उतार कर बनाये बीज रखना निकालना आपकी मर्जी है लेकिन मुझे तो सब्जी में इसके बीज पसंद है इसलिए मै तो रखती हूँ। बड़े लेकिन कच्चे कद्दू को भी सादा बनाइये या फिर कच्चा मसाला पीस कर बनाये दोनों तरह से स्वादिष्ट बनता है।
पकने पर ये छिलका गुदा समेत पीला हो जाता है। पका कद्दू तोड़कर आप काफ़ी समय तक ऱख सकते है जल्दी खराब नहीं होता है।
पके कद्दू के बड़े बड़े टुकड़े करके भाप से पका कर यू ही हम सब बचपन में खाया करते थे बहुत स्वादिष्ट लगता था। यदि फीका लगे तो थोड़ा सा गन्ने का रस डालकर पकाये।
पके कद्दू की तो कई प्रकार की सब्जी बनती है। आप सिर्फ नमक डालकर सादी सब्जी बनाइये, कच्चा मसाला डालकर बनाइये या फिर थोड़ा सा गुड और खटाई डालकर खट्टी मिट्ठी बनाये इस खट्टी मिट्ठी सब्जी में आप किशमिश डालकर शाही सब्जी बना ले। लखनऊ में ज्येष्ठ माह के मंगलवार के भंडारे की कद्दू की सब्जी और पूड़ी तो सबकी पसंदीदा है।
पकने के बाद कद्दू की सब्जी जब बनती है तब बीज निकाल दिये जाते है इन बीजो को तवे पर सेक कर खाइये बहुत स्वादिष्ट बहुत स्वास्थ्यवर्धक होते है। इन्हे सुपर सिड्स के नाम से जाना जाता है। काफ़ी ऊँची क़ीमत पर इनकी गिरी बिकती है।
मेरी कद्दू के बारे में बस इतनी ही जानकारी थी बाकी आप सब लोग कॉमेंट में बताये।
अरूणिमा सिंह