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बजट से विकास का राजपथ लेख- सूर्य प्रकाश अग्रहरि

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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 112, वार्षिक वित्तीय विवरण, जिसे आमतौर पर बजट के नाम से जाना जाता है, का प्रावधान करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश हो चुका है। बजट भारत के आम नागरिक के साथ-साथ अन्य कई वैश्विक और घरेलू हितधारकों का ध्यान केंद्रित करता है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी नीतिगत अनिश्चितताओं से प्रभावित है इससे इतर भारत का आर्थिक विकास एक उत्कृष्ट उदाहरण बना हुआ है। 2024-25 का केंद्रीय बजट वैश्विक अर्थव्यवस्था में संकुचन और निरंतर भू-राजनैतिक जोखिमों की अंतरराष्ट्रीय परिदृश्यों को मद्देनजर रखते हुए तैयार किया गया है। डिजिटल तकनीकी पर आधारित और पूरी तरह से पेपरलेस बजट नई सदी में यह दिखा रहा है कि भारत अब उन चंद देशों में शुमार है जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकी नीतियों को बनाने में सबसे आगे हैं। भारत आज व्यक्तिगत स्तर से लेकर मानव समाज के लिए टेक्नोलॉजी की शक्ति का समुचित लाभ लेने के लिए इनोवेटिव तरीकों को अपना रहा है।
               इस बजट में सत्ता पर दबाव भी देखने को मिला है। नरेंद्र मोदी सरकार के दो कार्यकाल के बाद 2024 के चुनाव में एनडीए के घटक में शामिल दलों का प्रभाव बढ़ा है। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल भाजपा के बाद सबसे बड़े दलों के रूप में जेडीयू और टीडीपी शामिल है। सरकार गठन के बाद से ही दोनों दलों ने क्रमशः बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा प्रदान करने की मांग उठाई है। सरकार ने भले ही संसद सत्र के दौरान बिहार के विशेष दर्जे की मांग को नकार दिया है लेकिन बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों को विशेष आर्थिक पैकेज और अन्य सौगातों को दिया है।
                  2024-25 के बजट से देश को कर संरचना में बदलाव की उम्मीद थी, सरकार ने देश की उम्मीदों के अनुसार कर संरचना में सूक्ष्म बदलाव किया। दुर्भाग्य से आजादी के बाद जो कर व्यवस्था रही उसमें इस छवि को बदलने के लिए जो प्रयास होने चाहिए थे, वो उतने नहीं किए गए। जबकि भारत में पुरातन काल से ही कर के महत्व और लेनदेन को लेकर बहुत स्वस्थ परंपराएं रही हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है- बरसत हरषत लोग सब, करषत लखै न कोइ, तुलसी प्रजा सुभाग ते, भूप भानु सो होइ। अर्थात, सूर्य पृथ्वी से जल खींचता है और फिर वही जल बादल बनकर, वर्षा के रूप में वापस धरती पर आता है, समृद्धि बढ़ाता है। यही सोच केंद्र सरकार की कर व्यवस्था को सहज बनाने वाली है।
               सरकार कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों में नवीन और परिवर्तनकारी कृषि अनुसंधान, उच्च पैदावार और जलवायु अनुकूल बीजों की किस्म, प्राकृतिक कृषि के लिए जैव-आदान संसाधन केंद्रों की स्थापना, दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता, कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, राष्ट्रीय सहकारिता नीति के माध्यम से कृषि क्षेत्र में व्यवस्थित और चहुँमुखी विकास करेगी।
               बजट के माध्यम से कैंसर चिकित्सा को बहुत बड़ी राहत प्रदान की है। कैंसर के लगातार बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सरकार ने कैंसर की तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी को खत्म करने का निर्णय लिया है। यह मांग लंबे समय से की जा रही थी। लेकिन कैंसर इलाज के लिए यह पर्याप्त नहीं है। कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में नए अनुसंधानों की जरूरत है जिससे कैंसर के फैलते हुए पंखों को समाप्त किया जा सके। काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर) टी कोशिका थेरेपी जैसी दुनिया की महंगी और नई तकनीकी थेरेपी को सस्ता करने और भारत में इसके व्यापक प्रसार को लेकर काम करने की आवश्यकता है।
              भारत में  विनिर्माण क्षेत्र, क्रूज पर्यटन, हीरा उद्योग, कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिला हॉस्टलों और शिशु-गृहों की स्थापना के माध्यम से रोजगार सृजन की बात कही गयी है जोकि रोजगार प्रोत्साहन को बढ़ावा देने का काम करेगी। औपचारिक क्षेत्रों में पहली बार नौकरी पाने वाले कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के अंतर्गत सरकार एक महीने में अधिकतम ₹15,000 की धनराशि देगी। महिला विकास, जनजाति विकास, पूर्वोत्तर विकास, शिल्पकारों, कारीगरों, स्व-सहायता समूहों, अनुसूचित जातियों-जनजातियों, स्ट्रीट वेंडर के आर्थिक कार्यकलापों में सहायता प्रदान कर सरकार ने बजट के माध्यम से समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित किया है।
               उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने और इनोवेशन को समर्थन देने के लिए एंजेल टैक्स को समाप्त करना एक स्वागत योग्य कदम है। एंजेल टैक्स को हटाना इसलिए भी महत्त्वपूर्ण था कि इससे स्टार्टअप में बेरोजगारी और निवेशकों की कमी की समस्या उभरने लगी थी। 2023 में 100 स्टार्टअप से लगभग 15,000 लोग बेरोजगारी की कगार पर आ गए थे। निवेश प्रोत्साहन और विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कारपोरेट कर दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत किया गया।
                 शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार के लिए इस वित्त वर्ष में 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें मुख्य रूप से महिलाओं के लिए पहली बार नौकरी पर अतिरिक्त वेतन का प्रावधान, हर साल 25,000 छात्रों की मदद के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए ई-वाउचर हर साल 1 लाख छात्रों को सीधे ऋण राशि के 3% की वार्षिक ब्याज छूट के लिए दिए जाएंगे। भारत उन चंद देशों में शुमार है जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकी नीतियों को बनाने में सबसे आगे हैं। भारत आज व्यक्तिगत स्तर से लेकर मानव समाज के लिए टेक्नोलॉजी की शक्ति का समुचित लाभ लेने के उद्देश्य से इनोवेटिव तरीकों को अपना रहा है।
              ईज ऑफ लिविंग, क्वालिटी ऑफ लाइफ यानी जीवन की सुगमता के साथ गुणवत्तापूर्ण जीवन, केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी सोच के साथ सरकार ने बजट के माध्यम से 9 प्राथमिकताओं को तय किया है- कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनियता, रोजगार और कौशल प्रशिक्षण, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएं, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, अवसंरचना, नवाचार, अनुसंधान और विकास, अगली पीढ़ी के सुधार। इन्हीं प्राथमिकताओं के आधार पर आगामी बजट को तैयार किया जाएगा। इन 9 प्राथमिकताओं पर निरंतर प्रयास करने की परिकल्पना की गई है जिससे सरकार का लक्ष्य 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय हो।
                सम्पूर्ण बजट का सार निकाला जाए तो हम कह सकते हैं कि केंद्रीय बजट 2024-25 में पूरी तरह से जनभागीदारी को स्थान दिया गया है। जनभागीदारी सिर्फ मतदान तक सीमित नहीं हो सकती, वह राष्ट्र की सभी आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए एक सबल सशक्त माध्यम बन सकती है। सरकार की सोच ने देश और दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है। इसमें जनभागीदारी सबसे अहम है जो नवनिर्माण का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। सरकार का मजबूत निर्णायक नेतृत्व भी जवाबदेही के साथ त्वरित और तीव्र गति से निर्णय कर रहा है। भारत में समाज की कतार में आखिरी मे खड़ा व्यक्ति सरकारी योजनाओं का सीधा लाभार्थी लेकर राष्ट्र कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। विज्ञान और तकनीक भारत के विकास का ऐसा उपकरण बन गया है कि प्रशासनिक सुधार, बिजली, रेल सुधार, भ्रष्टाचार पर अंकुश, टैक्स पारदर्शिता, जीएसटी से एक देश-एक टैक्स, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, किसानों-महिलाओं के हित में कदम, ऊर्जा दक्षता, पोत-परिवहन, खनिज मिशन, पीएलआई, एमएसएमई क्लस्टर, मुद्रा ऋण, पूर्वोत्तर विकास, जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान, शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव से लेकर रक्षा आधुनिकीकरण और दशकों से लंबित ऐसी परियोजनाएं साकार हो रहे हैं जो पहले असंभव सा लगता था। सरकार की इन्हीं तैयारियों का नतीजा है कि साल-दर-साल प्रस्तुत होते ऐतिहासिक बजट ‘न्यू इंडिया’ की नींव को मजबूत करने और भारत को आर्थिक महाशक्ति के तौर पर उभारने का विजन दस्तावेज बनकर उभर रहा है।
(लेखक महराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता हैं।)

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