167 Views
पूर्वांचल में भेड़िया को हुणार कहा जाता है । हुणार शब्द की व्युत्पति हूण शब्द से हुआ है । हूण एक बर्बर जाति थी , जो कि बहुत लड़ाकू थे । वे जिस देश पर आक्रमण करते थे , उस देश का समूल विनाश करके छोड़ते थे । वे उस देश के बच्चों तक को भी जीवित नहीं छोड़ते थे । उन्हें भी मार देते थे । भेड़िया भी बच्चों को उठाकर ले जाते थे । इसलिए पूर्वांचल में भेड़िए हुणार कहे जाने लगे । माताएं रोते हुए बच्चों को चुप कराने के लिए कहा करतीं थीं – चुप हो जाओ , बरना हुणार आ जाएगा ।
गाजीपुर जनपद में गाजीपुर बनारस हाइवे के समीप औड़िहार नगर स्थित है । यहीं स्कंद गुप्त ने हूणों का सामना किया था । जब वह हूणों से समर ले रहा था तब उसके पिता कुमार गुप्त मृत्यु शय्या पर थे । दुःखी मनःस्थिति में होते हुए भी स्कंदगुप्त ने हूणों से डटकर लोहा लिया था । वह युद्ध भूमि में जमीन पर सोता था । सेना राजा को अपने बीच पाकर एक नयी ऊर्जा से लवरेज थी । दो लाख की हूण सेना को गाजर मूली की तरह काटकर फेंक दिया था स्क॔दगुप्त की सेना ने । उसके पास चतुरंगिणी सेना थी ।
हूण हार गये थे । इस जगह का नाम ” हूणहार ” रखा गया , जो कालांतर में औड़िहार बना । हूण सेना के बचे खुचे लोगों में से कुछेक स्वदेश लौट गये थे अपनी पराजय की कहानी बताने के लिए । मरे हुए लोगों की कहानी सुनाने के लिए उनकी विधवाओं को । कुछेक यहीं बस गये थे । आज भी राजस्थान , हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर हूण रहते हैं । ये अपना गोत्र हूण रखते हैं । ये हूण यहाँ की संस्कृति में रच बस गये हैं ।
जीत के बाद स्कंदगुप्त ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी । उसने औड़िहार ( हूणहार ) के नजदीक स्थित सैदपुर भीतरी गाँव के पास एक विजय स्तम्भ बनवाया । उसने इस स्तम्भ पर अपनी विजय गाथा लिखवाई थी । सैदपुर भीतरी गाँव को अपने आराध्य देव को अर्पण किया था ।।
( मान्यताओं पर आधारित )
#गाजीपुर
#औड़िहार
राहुल सिंह