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जे॰आर॰डी॰ टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 पेरिस, फ्रांस मे हुआ। वे रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सुज़ेन्न ब्रीरे (en:Suzanne Briere) के पांच संतानो मे से दुसरे थे।
जेआरडी टाटा वायुयान उद्योग और अन्य उद्योगो के अग्रणी थे। 10 फरवरी 1929 को टाटा ने भारत में जारी किया गया पहला पायलट लाइसेंस प्राप्त किया। सन् 1932 में उन्होंने भारत की पहली वाणिज्यिक एयरलाइन, टाटा एयरलाइंस की स्थापना की जो बाद में वर्ष 1946 में भारत की राष्ट्रीय एयरलाइन , एयर इंडिया बनी। बाद में उन्हें भारतीय नागर विमानन के पिता के रूप में जाना जाने लगा।
सन् 1925 में वे एक अवैतनिक प्रशिक्षु के रूप में टाटा एंड संस में शामिल हो गए।वर्ष 1938 में उन्हें भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा एंड संस का अध्यक्ष चुना गया। दशकों तक उन्होंने स्टील, इंजीनियरिंग, ऊर्जा, रसायन और आतिथ्य के क्षेत्र में कार्यरत विशाल टाटा समूह की कंपनियों का निर्देशन किया। वह अपने व्यापारिक क्षेत्र में सफलता और उच्च नैतिक मानकों के लिए बहुत प्रसिद्ध थे।
उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह की संपत्ति $ 1000 लाख से बढ़कर 5 अरब अमरीकी डालर हो गयी। उन्होंने अपने नेतृत्व में 14 उद्यमों के साथ शुरूआत की थी ,जो 26 जुलाई 1988 को उनके पद छोड़ने के समय,बढ़कर 95 उद्यमों का एक विशाल समूह बन गया।उन्होंने वर्ष 1968 में टाटा कंप्यूटर सेंटर(अब टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) और सन् 1979 में टाटा स्टील की स्थापना की।
वे 50 वर्ष से अधिक समय तक , सन् 1932 में स्थापित सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी थे। उनके मार्गदर्शन में इस ट्रस्ट ने राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थनों की स्थापना की , जैसे टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस, 1936),टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान( टीआईएफआर, 1945), एशिया का पहला कैंसर अस्पताल, टाटा मेमोरियल सेंटर और प्रदर्शन कला के लिए राष्ट्रीय केंद्र।
सन् 1945 में उन्होंने टाटा मोटर्स की स्थापना की। जेआरडी टाटा ने सन् 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में एयर इंडिया इंटरनेशनल का शुभारंभ किया। सन् 1953 में भारत सरकार ने उन्हें एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस के बोर्ड का निर्देशक नियुक्त किया। वे इस पद पर 25 साल तक बने रहे। जेआरडी टाटा ने अपने कम्पनी के कर्मचारियों के हित के लिए कई नीतियाँ अपनाई। सन् 1956 में, उन्होंने कंपनी के मामलों में श्रमिकों को एक मजबूत आवाज देने के लिए ‘प्रबंधन के साथ कर्मचारी एसोसिएशन’ कार्यक्रम की शुरूआत की।उन्होंने प्रति दिन आठ घंटे काम , नि: शुल्क चिकित्सा सहायता, कामगार दुर्घटना क्षतिपूर्ति जैसी योजनाओं को अपनाया।
जेआरडी टाटा को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। भारतीय वायु सेना ने उन्हें ग्रुप कैप्टन की मानद पद से सम्मानित किया था और बाद में उन्हें एयर कमोडोर पद पर पदोन्नत किया गया और फिर 1 अप्रैल 1974 को एयर वाइस मार्शल पद दिया गया। विमानन के
लिए उनको कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया -मार्च 1979 में टोनी जेनस पुरस्कार ,सन् 1995 में फेडरेशन ऐरोनॉटिक इंटरनेशनेल द्वारा गोल्ड एयर पदक,सन् 1986 में कनाडा स्थित अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन द्वारा एडवर्ड वार्नर पुरस्कार और सन् 1988 में डैनियल गुग्नेइनिम अवार्ड। सन् 1955 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके नि: स्वार्थ मानवीय प्रयासों के लिए ,सन् 1992 में जेआरडी टाटा को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
29 नवंबर 1993 को गुर्दे में संक्रमण के कारण जिनेवा में 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु पर भारतीय संसद उनकी स्मृति में स्थगित कर दी गई थी।