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बिना परोल के 24 साल से जेल में बंद हैं रवींद्र पाल उर्फ दारा सिंह, 60+ हो चुकी है उम्र: रिहाई की संस्तुति के बावजूद फाइल दबाए रही ओडिशा सरकार, अब सुप्रीम कोर्ट से आस

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कुल 4 केसों में 1 से लेकर उम्रकैद की सजा काट रहे रवींद्र कुमार पाल उर्फ़ दारा सिंह की रिहाई के लिए उनके भाई ने 9 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। अरविन्द कुमार पाल की तरफ से दायर की इस याचिका में वकील के तौर पर विष्णु शंकर जैन पेश होंगे। ऑपइंडिया की टीम ने रविवार (14 जुलाई 2024) को पिछले 24 साल से ओडिशा की जेल में बंद दारा सिंह के घर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की और इस संबंध में जानकारी ली।

दारा सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के रहने वाले हैं। दिल्ली से हम ट्रेन से उनके गृहनगर के नजदीकी स्टेशन फफूँद पहुँचे। यहाँ से हम एक प्राइवेट वाहन से औरैया शहर वाले मार्ग पर पड़ने वाले बाजार ककोड़ गए, जो लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। रास्ते में हमने एक जगह एक बाइक सवार से रास्ता पूछा तो उसने हताशा भरे स्वर में तुरंत सवाल दाग दिया।

उसने कहा, “अरे वही दारा सिंह क्या जो हिन्दुओं को ईसाई बनाने वाले पादरी को मारे थे? उनके साथ तो बहुत गलत हुआ।” बहरहाल उन्होंने रास्ता बताया और ककोड़ मुख्य कस्बे में सड़क से 200 मीटर अंदर दारा सिंह के घर पर उनके भाई अरविन्द कुमार मौजूद मिले। अरविन्द कुमार ने दारा सिंह के लिए 24 साल तक लड़ी गई कानूनी लड़ाई के अधिकाँश कागजात सहेज कर रखे है।

कई बार रिहाई की संस्तुति, पर ओडिशा सरकार द्वारा नजरअंदाज

आखिरकार हम रवींद्र पाल उर्फ दारा सिंह के घर पहुँचे। वहाँ उनके भाई अरविन्द कुमार पाल से मुलाकात हुई। उन्होंने हमें बताया कि ओडिशा की जेल से औरैया के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को दारा सिंह की रिहाई के संबंध में समय-समय पर पत्र आते रहे हैं। इन पत्रों के जवाब में यहाँ के DM और SP ने उनकी रिहा की संस्तुति की। इसके बावजूद ओडिशा की तत्कालीन सरकार ने इसकी अनदेखा की।

बार दारा सिंह को रिहा किए जाने की रिपोर्ट लगाने के बावजूद तत्कालीन ओडिशा सरकार ने उन पत्रों को अनदेखा किया। उन्होंने ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजू जनता दल की सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।प्रधानमंत्री से माँगे जवाब को भी ओडिशा सरकार ने घुमाया

दारा सिंह के छोटे भाई ने हमें आगे बताया कि उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों की आख्या को ओडिशा सरकार द्वारा लगातार अनदेखा करने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से गुहार लगाई। अरविन्द पाल ने 19 मई 2021 को प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली को पत्र भेज कर दारा सिंह की रिहाई की माँग की।

ऑपइंडिया ने 9 जुलाई 2021 को क्योंझर जेल ओडिशा के सुपरिंटेंडेंट द्वारा दाखिल उस रिपोर्ट की पड़ताल की। अपनी इस रिपोर्ट में जेल सुपरिंटेंडेंट ने स्वीकार किया है कि जुलाई 2021 तक दारा सिंह ने छूट सहित 25 साल 3 महीने से अधिक समय की सजा काट ली है।

आगे की कार्रवाई के लिए जेल अधीक्षक ने उच्चाधिकारियों को अधिकृत बताया है। हालाँकि अरविन्द कुमार पाल का आरोप है कि इस रिपोर्ट पर अब तक ओडिशा शासन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया और फ़ाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

 

बिना परोल के 24 साल से जेल में बंद हैं रवींद्र पाल उर्फ दारा सिंह, 60+ हो चुकी है उम्र: रिहाई की संस्तुति के बावजूद फाइल दबाए रही ओडिशा सरकार, अब सुप्रीम कोर्ट से आस छूट के सरकारी नियम से अब तक 28 साल से अधिक जेल काट चुके हैं दारा सिंह (चित्र साभार- pragativadi.com)

कुल 4 केसों में 1 से लेकर उम्रकैद की सजा काट रहे रवींद्र कुमार पाल उर्फ़ दारा सिंह की रिहाई के लिए उनके भाई ने 9 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। अरविन्द कुमार पाल की तरफ से दायर की इस याचिका में वकील के तौर पर विष्णु शंकर जैन पेश होंगे। ऑपइंडिया की टीम ने रविवार (14 जुलाई 2024) को पिछले 24 साल से ओडिशा की जेल में बंद दारा सिंह के घर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की और इस संबंध में जानकारी ली।

दारा सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के रहने वाले हैं। दिल्ली से हम ट्रेन से उनके गृहनगर के नजदीकी स्टेशन फफूँद पहुँचे। यहाँ से हम एक प्राइवेट वाहन से औरैया शहर वाले मार्ग पर पड़ने वाले बाजार ककोड़ गए, जो लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर है। रास्ते में हमने एक जगह एक बाइक सवार से रास्ता पूछा तो उसने हताशा भरे स्वर में तुरंत सवाल दाग दिया।

उसने कहा, “अरे वही दारा सिंह क्या जो हिन्दुओं को ईसाई बनाने वाले पादरी को मारे थे? उनके साथ तो बहुत गलत हुआ।” बहरहाल उन्होंने रास्ता बताया और ककोड़ मुख्य कस्बे में सड़क से 200 मीटर अंदर दारा सिंह के घर पर उनके भाई अरविन्द कुमार मौजूद मिले। अरविन्द कुमार ने दारा सिंह के लिए 24 साल तक लड़ी गई कानूनी लड़ाई के अधिकाँश कागजात सहेज कर रखे है।

कई बार रिहाई की संस्तुति, पर ओडिशा सरकार द्वारा नजरअंदाजआखिरकार हम रवींद्र पाल उर्फ दारा सिंह के घर पहुँचे। वहाँ उनके भाई अरविन्द कुमार पाल से मुलाकात हुई। उन्होंने हमें बताया कि ओडिशा की जेल से औरैया के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को दारा सिंह की रिहाई के संबंध में समय-समय पर पत्र आते रहे हैं। इन पत्रों के जवाब में यहाँ के DM और SP ने उनकी रिहा की संस्तुति की। इसके बावजूद ओडिशा की तत्कालीन सरकार ने इसकी अनदेखा की।

अरविन्द पाल ने हमें सबूत के तौर पर 28 फरवरी 2018 का एक पत्र दिखाया, जिसमें औरैया के जिलाधिकारी की साइन और मोहर लगी थी। यह पत्र क्योंझर जेल ओडिशा से 18 नवम्बर 2017 को माँगी गई एक आख्या पर जवाब के तौर पर भेज गया था। उसमें जिले के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जिलाधिकारी ने पत्र संख्या 821 में लिखा था, “रवींद्र कुमार पाल उर्फ़ दारा सिंह को समय पूर्व रिहाई (प्रीमच्योर रिलीव) पर रिहा करने की संस्तुति की जाती है।”

ऑपइंडिया के पास 18 जनवरी 2018 को पुलिस अधीक्षक औरैया द्वारा जारी आख्या भी मौजूद है। इस आख्या में SP औरैया ने भी दारा सिंह को रिहाई योग्य माना है। इसके बाद 22 सितंबर 2022 को एक बार फिर से SP औरैया ने ओडिशा की क्योंझर जेल द्वारा माँगी गई आख्या पर अपना जवाब दाखिल किया। इसमें भी पुलिस अधीक्षक औरैया ने दारा सिंह की समय पूर्व रिहाई की संस्तुति की थी

ऑपइंडिया से बात करते हुए अरविन्द कुमार पाल ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा बार-बार दारा सिंह को रिहा किए जाने की रिपोर्ट लगाने के बावजूद तत्कालीन ओडिशा सरकार ने उन पत्रों को अनदेखा किया। उन्होंने ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजू जनता दल की सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।

प्रधानमंत्री कार्यालय से माँगे जवाब को भी ओडिशा सरकार ने घुमायादा रा सिंह के छोटे भाई ने हमें आगे बताया कि उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों की आख्या को ओडिशा सरकार द्वारा लगातार अनदेखा करने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से गुहार लगाई। अरविन्द पाल ने 19 मई 2021 को प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली को पत्र भेज कर दारा सिंह की रिहाई की माँग की।

अपने पत्र में अरविंद कुमार पाल ने तर्क दिया कि पिछले 21 सालों में उनके बड़े भाई रवींद्र कुमार पाल उर्फ दारा सिंह को कभी परोल नहीं मिला। इसके अलावा, भी उन्होंने कई बिंदुओं पर सरकार का ध्यान खींचा। अरविन्द का आरोप है कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जब इस पत्र पर ओडिशा सरकार से जवाब तलब किया गया तो उधर से बस मामले को टालने जैसे जवाब मिलते रहे।

प्रधानमंत्री से भी गुहार अरविन्द कुमार पाल ने हमें 14 जुलाई 2021 का एक पत्र दिखाया, जो ओडिशा के DIG जेल द्वारा जारी किया गया था। इस पत्र में उन्होंने ओडिशा के गृह सचिव को बताया है कि 9 जुलाई 2021 को पूरे मामले की रिपोर्ट क्योंझर जेल के सुपरिंटेंडेंट दखिल कर चुके हैं। आगे की गेंद DIG जेल ने राज्य सरकार के पाले में डाल दी थी।

अब 28 साल से ज्यादा समय तक जेल में

ऑपइंडिया ने 9 जुलाई 2021 को क्योंझर जेल ओडिशा के सुपरिंटेंडेंट द्वारा दाखिल उस रिपोर्ट की पड़ताल की। अपनी इस रिपोर्ट में जेल सुपरिंटेंडेंट ने स्वीकार किया है कि जुलाई 2021 तक दारा सिंह ने छूट सहित 25 साल 3 महीने से अधिक समय की सजा काट ली है।

आगे की कार्रवाई के लिए जेल अधीक्षक ने उच्चाधिकारियों को अधिकृत बताया है। हालाँकि अरविन्द कुमार पाल का आरोप है कि इस रिपोर्ट पर अब तक ओडिशा शासन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया और फ़ाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

जेल सुपरिंटेंडेंट की आख्या

स्थानीय थाने में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं

दारा सिंह मूलत: औरेया जिले के दिबियापुर थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। ओडिशा जेल से उनकी रिहाई के लिए जो आख्या माँगी गई थी, उसके बाद जिला प्रशासन ने स्थानीय थाने से दारा सिंह के रिकॉर्ड निकलवाए थे। 15 सितंबर 2022 को थाना दिबियापुर के सब इंस्पेक्टर शेर सिंह ने अपनी जाँच रिपोर्ट पेश की थी।

इस जाँच रिपोर्ट में सब इंस्पेक्टर शेर सिंह ने कहा था कि थाना दिबियापुर में दारा सिंह का कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। अपनी इस जाँच आख्या में स्थानीय थाने के अधिकारी ने भी दारा सिंह को समय पूर्व रिहा करने की संस्तुति की थी।

 

जेल के कैरेक्टर सर्टिफिकेट में भी उत्तम व्यवहार

ओडिशा की क्योंझर जिला जेल के सुपरिटेंडेंट ने 10 जून 2022 को रवींद्र कुमार पाल उर्फ़ दारा सिंह का चरित्र प्रमाण पत्र जारी किया है। इस प्रमाण पत्र में उन्होंने बताया है कि क्योंझर जेल में दारा सिंह पिछले 15 वर्षों से जेल काट रहे हैं।

इसमें से 3 साल की सजा तो प्रमाण पत्र जारी करने वाले तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट की मौजूदगी में काटी गई है। जेल सुपरिंटेंडेंट की इस आख्या में दारा सिंह के जेल स्टाफ व अन्य कैदियों के प्रति व्यवहार को अच्छा और संतोषजनक बताया गया है।

सब कुछ सही होने पर नहीं हुई सुनवाई तो अंतिम सहारा सुप्रीम कोर्ट

अरविन्द कुमार पाल ने हमें बताया कि उत्तर प्रदेश के थानेदार से लेकर SP और DM लगातार उनके भाई को रिहा किए जाने की संस्तुति कर रहे थे। जेल के सर्टिफिकेट में भी उनका व्यवहार अच्छा बताया गया। ओडिशा प्रशासन की आख्या में उनकी सजा 25 साल से अधिक (छूट सहित) गिनी गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय तक के पत्र को ओडिशा की राज्य सरकार घुमाती रही। ऐसे में उनको अंतिम उम्मीद और सुप्रीम कोर्ट से ही दिखी।

अरविन्द कुमार पाल की इस याचिका में ओडिशा राज्य सरकार, वहाँ के जेल DG और जेल सुपरिंटेंडेंट क्योंझर को विपक्षी बनाया गया है। याचिका पर अगली सुनवाई 27 अगस्त 2024 को हो सकती है। दारा सिंह के परिजनों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा। अरविन्द कुमार के मुताबिक ओडिशा की राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में यह बताना ही पड़ेगा कि उनके हिसाब से उम्रकैद की सजा कितने साल की है और वो भी तक जब कई नसक्ली और अन्य दुर्दांत अपराधी प्रदेश में 15 साल की सजा के बाद छोड़े जा चुके हैं।

 

बिना परोल के 24 साल से जेल में बंद हैं रवींद्र पाल उर्फ दारा सिंह, 60+ हो चुकी है उम्र: रिहाई की संस्तुति के बावजूद फाइल दबाए रही ओडिशा सरकार, अब सुप्रीम कोर्ट से आस

 

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