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रोज की तरह एक दादी सब्जी बेचने आई, घर पर
गली में चिल्ला चिल्ला कर सब्जी बेच रही थी,
तभी मैने बोला क्या लिया है दादी, उन्होंने कहा लहसुन है
अंदर बुलाया, बोला दिखाइए कैसी है लहसुन, तो अंदर आके बोला
बेटा टोकरी उतरवा दो, मैने उतरवादी,
अब भाव बताया, जो बाजार से थोड़ा महंगा था, लगभग 5 रूपये प्रीति किलो
तभी एक लड़का जिसकी उम्र महज 9 साल होगा, वो आता है और बोलता है, 5 रूपये का देदो
दादी उसे देखती हैं और बोलती है
पगला 5 रूपये में कहा मिलेगा, कुछ 1 दाना भी नहीं मिलेगा, भाव 110 किलो है
बच्चा बड़े मासूमियत से खड़ा रहता है, इस आस में की शायद 5 का कुछ कलिया लहसुन मिल जाए
जब भी मिलता तो जाने लगता है, तभी बुढ़िया दादी उसे चिल्ला के बुलाती है
“हरे लड़कवा एहर आओ “
वो भाग के आता है तभी और दादी पूरा एक पुत्ती लहसुन उठा के उसे दे देती हैं
और जब वो 5 रूपये देता है तो बोलती हैं
जो भग, मसाला ले लिए ( भाग जाओ मसाला ले ले लेना )
मैने टोकरी वापस सिर पर रखते हुए पूछा
बताओ दादी घाटा करा ली आप
तो उन्होंने बोला नफा नुकसान क्या, क्या पता उसके घर क्या हालत होंगे
फिर बताया, की वो दूसरी की जमीन पर किसानी करती हैं, जिसके बदले मालिक को 60% उत्पाद देना पड़ता है, और 40 % में वो बेचती हैं और खुद खाने के लिए रखती हैं
खाद, सिंचाई, कीटनाशक ये सब उन्हें बाजार से खरीदना पड़ता है
और इसी के साथ उन्होंने ये भी बोला गरीबी के कारण उन्होंने ने भी ये दिन देखा है, की जब अपने बच्चों को समान लेने बाजार भेजती थी, तो दुकानदार भगा देते थे
लेकिन कुछ ऐसे भी होते थे जो 2 रूपये 1 रूपया के समान भी पुड़िया में बांध के देते थे, पर खभी भगाते नहीं थे
बिना समान घर आने पर कैसा लगता है वो हम जानते हैं
इस लिए किसी को जरूरत होती है तो पहले ही दे देते हैं
और बोलकर चली गई दूसरे दरवाजे पर, मैने भी ना जाने क्यों उन्हें देखता रहा,
और फिर वो एक दरवाजे पर खड़ी हुईं, उन्होंने समान देखा और मोल भाव किया, फिर बोला कम नहीं कर रही हो नहीं लेंगे
ऐसे ही 4-5 घर गई और सबका यही हाल था,
फिर मैने सोचा ये वही लोग हैं जो दिन में कम से कम 2 बार खाना ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं
प्रत्येक ऑर्डर पर 20 रूपये extra देते हैं
अमेजन और फ्लिपकार्ट से 50 रूपए के छोटे समान मंगाते।हैं और 40 रूपये extra देते हैं
फिल्म देखने के लिए टिकट ऑनलाइन बुक करते हैं और 25 रूपये एक्सट्रा देते हैं
दर्शन करने जाते हैं तो 500 हजार एक्स्ट्रा देते हैं ताकि लाइन ना लगानी पड़े
ऑनलाइन सब्जी मांगते हैं तो extra फ्रेश charge 20 रूपये quick डिलीवरी के लिए 60 रूपये extra dete hain
लेकिन बात जब इनके जैसे छोटे सेलर की आती है, जो कड़ी धूप में सिर्फ पर 15 किलो भार उठाए आप के घर तक पैदल 5 से 7 किलोमीटर का सफर तय करती हैं
उनसे मोलभाव कराने में हम सब अपने आप को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ खरीदार समझते हैं
आप बड़ी कंपनी में कोई भी extra charges देते हैं तो सीधे तौर पर उनके इन्वेस्टर को लाभ देती है और सभी बड़ी कम्पनी में अमेरिका और चाइना मुख्य इन्वेस्टर हैं
पर अगर आप एक्स्ट्रा नहीं सिर्फ वही मूल्य दें जो ये मांग रहे हैं तो हो सकता है, कुछ साल बाद इनकी स्थिति सुधर जाए
अभी भी भारत में अमीरी और गरीबी के बीच अत्यधिक अंतर है हम चाहते हैं किनी अन्तर खत्म हो पर हम करते नहीं है
क्यों की 2 रूपये बचा कर हम राजा हो जाएंगे और एक दिन पूरे भारत पर राज करेंगे
मेरा मानना है ऐसे किसी गरीब से कभी मोल-भाव ना करें।
साभार फेसबुक