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व्यवस्था की खामियों को उजागर करता पूजा खेड़कर मामला– (मनोज कुमार अग्रवाल -विभूति फीचर्स)

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विवादों से घिरीं ट्रेनी आइएएस पूजा खेड़कर के मामले में उच्चस्थ सरकारी सेवा की चयन प्रक्रिया की खामियों की कलई खुल गईं हैं। अब पूजा के खिलाफ संघ लोक सेवा आयोग  ने साख बचाने के लिए कार्रवाई की है। आयोग ने पूजा खेड़कर से उनका आईएएस पद छीना है साथ ही उन पर भविष्य की सभी परीक्षाओं के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। उक्त जानकारी आयोग ने दी है। यूपीएससी ने इस बात के संकेत पहले ही दे दिए थे। यूपीएससी का कहना था कि अगर पूजा खेडकर पर लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।पूजा पर तो कार्रवाई शुरू कर दी गई है लेकिन इस तमाम गड़बड़ी के लिए संघ लोकसेवा आयोग को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती है।यह सारा प्रकरण व्यवस्था में मौजूद खामियों को बेपर्दा करता है।
महाराष्ट्र कैडर की आइएएस ट्रेनी पूजा खेडकर का विवाद लम्बे समय से चल रहा है।अब यूपीएससी ने पूजा खेडकर की अस्थायी उम्मीदवारी खत्म कर दी है।पूजा खेडकर के ऊपर एक दो नहीं बल्कि धोखे से इस पद को हासिल करने के कई आरोप लगे हैं।
यूपीएससी ने पूजा को नोटिस जारी करके उनका चयन रदद करने को लेकर जवाब मांगा था।यूपीएससी ने कहा था कि पूजा के खिलाफ जांच में पाया गया कि उन्होंने अपना नाम, माता-पिता का नाम, सिग्नेचर, फोटो, ईमेल आइ डी, मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलकर यूपीएससी का एग्जाम दिया।दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और डिसेबिलिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।
पूजा खेडकर ने अपनी पर्सनल कार में लाल बत्ती और महाराष्ट्र सरकार लिखवा रखा था।पूजा खेडकर की इसी गलती की वजह से वह सुर्खियों में आईं और जब जांच हुईं तो उनके सारे झूठ सामने आ गए।सबसे पहले पुणे के डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया था।पता चला कि पूजा ने यूपीएससी के कोटे में आने के लिए ओबीसी कैटेगरी का फर्जी सर्टिफिकेट दिखाया था जबकि वह एक क्रीमी लेयर ओबीसी हैं। इसके अनुसार, जिस परिवार की सालाना इनकम 8 लाख से ऊपर होती है उन्हें क्रीमी लेयर ओबीसी की कैटेगरी में रखा जाता है। क्रीमी लेयर ओबीसी के लिए यूपीएससी में कोई कोटा नहीं है।हाल ही में उनके पिता लोकसभा चुनाव में उतरे तो सामने आया कि असल में उनकी इनकम 8 लाख से कहीं ज्यादा है।दर असल चुनाव के दौरान दिलीप खेडकर ने अपनी आय का ब्यौरा दिया तो पता चला कि उनका पूरा परिवार अरबपति है और क्रीमी लेयर ओबीसी में आता है।इसके बाद ही पता चला कि पूजा खेडकर नॉर्मल नहीं बल्कि एक क्रीमी लेयर ओबीसी हैं।
इस मामले में जब केंद्र सरकार ने पुणे पुलिस को आईएएस प्रशिक्षु की जां के आदेश दिए तो पता चला कि पूजा खेडकर ने यूपीएससी में ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कोटे का गलत इस्तेमाल करते हुए झूठा दावा किया कि उसके माता-पिता अलग हो गए हैं। अपने मॉक इंटरव्यू के दौरान उसने दावा किया कि उसके माता-पिता का तलाक हो गया है और वह अपनी मां के साथ रहती है। बाद में पता चला कि यह पूरी तरह सच नहीं था। प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के माता-पिता – दिलीप और मनोरमा खेडकर ने 2009 में पुणे के पारिवारिक न्यायालय में आपसी सहमति से तलाक के लिए अर्जी दी थी। 25 जून, 2010 को तलाक को अंतिम रूप दिया गया। तलाक के बावजूद, दोनों कथित तौर पर पुणे के बानेर इलाके में एक बंगले में साथ रह रहे थे। एक रिपोर्ट के अनुसार, बंगले की मालकिन मनोरमा खेडकर थीं।इसके अलावा, दिलीप खेडकर ने अपने लोकसभा चुनाव हलफनामे में मनोरमा को अपनी पत्नी बताया और उन्हें अविभाजित हिंदू परिवार घोषित किया। दिलीप और मनोरमा के विवाहित जोड़े के रूप में सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने का भी उल्लेख किया गया है।उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 40 करोड़ रुपये से अधिक बताई तथा अपने हलफनामे में दंपत्ति की साझा संपत्तियों का भी ब्यौरा दिया।
उधर पूजा की मां मनोरमा खेडकर फिलहाल आपराधिक धमकी के आरोप में जेल में बंद हैं। पुणे ग्रामीण पुलिस ने उन्हें 2023 में एक किसान को बंदूक दिखाकर धमकाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। दिलीप खेडकर भी इसी मामले में आरोपी हैं। उन्हें पुणे की एक अदालत से 25 जुलाई तक अंतरिम संरक्षण मिला हुआ था ।
पूजा खेडकर के आइएएस चयनित होने पर जांच हुई तो और झूठ की परतें खुलती गईं। पूजा खेडकर ने सिर्फ ओबीसी ही नहीं, दिव्यांग होने का भी झूठा सर्टिफिकेट यूपीएससी में दिखाया हुआ था। पूजा खेडकर ने यूपीएससी में खुद को मानसिक दिक्कत होने और नजरें कमजोर होने की बात कही थी।इसके अलावा बांये घुटने में लोकोमोटर दिव्यांगता की बात भी कही थी। मानसिक दिक्कत के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें चीज़ें याद नहीं रहती। यूपीएससी मे ऐसे छात्रों के लिए  दिव्यांग कोटा होता है। इसके बाद यूपीएससी ने बाकायदा एम्स में पूजा की जांच कराने का फैसला किया। यूपीएससी सिर्फ सरकारी अस्पतालों की रिपोर्ट को ही मानता है। यूपीएससी इस रिपोर्ट के जरिए इस बात की तस्दीक करना चाहता था कि पूजा को सचमुच मानसिक बीमारी है और उनकी नजरें कमजोर हैं।पूजा के मेडिकल टेस्ट के लिए यूपीएससी ने कुल छह बार एम्स में डॉक्टरों से अप्वाइंटमेंट लिया पर आपको जानकर हैरानी होगी कि पूजा हर बार बहाना बनाकर टेस्ट से बचती रही।जब जांच हुई तो पूजा के मानसिक सर्टिफिकेट को भी फर्जी माना गया।
इसी बीच उनकी मां की एक फोटो वायरल होने लगी, जिसमें उनके हाथ में बंदूक थी। पूजा खेडकर की यूपीएससी में 821 रैंक आई। अगर वे सामान्य ओबीसी कैटगरी का सर्टिफिकेट दिखाती और कोई कोटा नहीं होता तो वह आईएएस नहीं बन पातीं।विवादों में घिरीं पूजा खेडकर की ट्रेनिंग 16 जुलाई को रोक दी गई और उन्हें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी  वापस बुला लिया गया हालांकि वे 23 जुलाई की डेडलाइन खत्म होने तक अकादमी नहीं पहुंचीं।
मिली जानकारी के अनुसार पूजा खेडकर मामले की जांच के लिए यूपीएससी ने पिछले 15 साल के डेटा की समीक्षा की। इसके बाद सामने आया कि खेडकर का इकलौता केस था जिसमें यह पता नहीं लगाया जा सका कि खेडकर ने कितनी बार यूपीएससी का एग्जाम दिया क्योंकि उन्होंने हर बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था।अब भविष्य में ऐसा न हो सके,इसके लिए यूपीएससी एसओपी को और मजबूत करने की तैयारी कर रही है।
पूजा खेडकर पर आरोप लगाया गया कि प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में उसने उन सुविधाओं की मांग की जिनकी वे हकदार नहीं थीं। इसके अलावा उन पर एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने का भी आरोप है। खेडकर पर अपने पद का बेजां दुरुपयोग करने का भी आरोप है।
पूजा की यूपीएससी में गड़बड़ी के मामले में और भी कई खुलासे हुए हैं। सामने आया है कि पूजा ने यूपीएससी के अटेम्प्ट बढ़ाने के लिए न सिर्फ अपने नाम बल्कि उम्र में भी बदलाव किया था। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल  में पूजा की तरफ से लगाए गए 2020 और 2023 के दो आवेदनों में पूजा के अलग-अलग नाम हैं।पूजा ने 2020 के आवेदन में अपना नाम ‘खेडकर पूजा दिलीपराव’ और उम्र 30 साल बताई थी। वहीं, 2023 में कैट के आवेदन में उन्होंने अपना नाम ‘पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर’ और उम्र 31 साल बताई। सवाल उठाया जा रहा है कि तीन साल के अंतराल में उनकी उम्र एक ही साल कैसे बढ़ सकती है।
अब सवाल उठता है कि भारत सरकार की सबसे उच्च स्तरीय भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए अभ्यर्थियों की चयन प्रक्रिया को संघ लोक सेवा आयोग संचालित करता है पूजा खेड़कर के मामले ने आयोग की प्रक्रिया में मौजूद कई खामियों को सामने लाने का काम किया है ।सवाल यह है कि जब पूजा ने आयोग की चयन प्रक्रिया की इन तमाम कमजोरियों का दुरुपयोग कर आइएएस पद हासिल कर लिया तो क्या आयोग की कार्यप्रणाली में और भी ऐसी कमजोरी और भ्रष्टाचार के छिद्र होने की संभावना नहीं है? जिनका पता नही कितने अभ्यर्थियों ने फायदा उठा कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश हासिल कर लिया होगा।संघ लोक सेवा आयोग  की चलनी में अब इतने छेद हैं कि अकेली पूजा नहीं कई और पूजा व चंदन होंगे। अब जाँच हो ही रही है तो 2022 एवं 2023 समेत पिछले कुछ सालों में  सफल सभी अभ्यर्थियों की छान-बीन की जाए। निश्चित तौर पर पूजा अकेली नहीं होगी ऐसे बहुत सारे अभ्यर्थी मिलेंगे जो फर्जीवाड़ा कर यूपीएससी की खामियों का फायदा उठाकर कलेक्टर व अन्य उच्च पदों पर आसीन होंगे।
पूजा खेड़कर ने देश की सबसे प्रतिष्ठित उच्चस्थ सरकारी सेवा की चयन प्रक्रिया की खामियों का लाभ उठा कर इन्हें उजागर किया है इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि इस सिस्टम में जब सबसे प्रतिष्ठित सेवा की चयन प्रक्रिया में इतने छेद हैं तो बाकी सब भी राम भरोसे ही होगा। (विभूति फीचर्स)

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