बदलते लाइफ स्टाइल के साथ रिलेशनशिप और फैमिली को लेकर भी लोगों की सोच बदलती जा रही है। आज कल दुनिया में ‘DINKs कपल’ का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। इसका सीधा कनेक्शन डबल इनकम और बच्चों से है, वो कैसे चलिए आपको बताते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है लोग प्यार और अपनी लाइफ जीने में इतना मशगूल हो जाएंगे कि बच्चों के बारे में सोचना ही बंद कर देंगे। जबकि प्यार में पड़ा इंसान ख्यालों में ही शादी से पहले बच्चों की प्लानिंग तक कर लेता है। लेकिन अब वक्त के साथ ही ट्रेंड भी बदलता जा रहा है, दुनिया में हर कोई ‘DINKs कपल’ बनना चाहता है।अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये ‘DINKs कपल’ कौनसे होते हैं। तो आपको बता दें इसका डायरेक्ट कनेक्शन आपकी इनकम और बच्चों से होता है। बच्चे दो ही अच्छे की कहावत तो छोड़ो ये एक बच्चे की ख्वाहिश को भी खत्म कर देता है। वैसे आपको दिमाग पर ज्यादा जोर देने की जरूरत नहीं है। हम आपको ‘DINKs कपल’ के बारे में सब कुछ बता रहे हैं।
क्या है ‘DINKs कपल’ का मतलब
DINKs कपल’ का मतलब है ड्यूअल इनकम नो किड्स (Dual Income No Kids)। यानि की कपल की इनकम दोगुनी होगी और बच्चा एक भी नहीं होगा। माना जाता है कि DINKs शब्द का इस्तेमाल 1980 के दशक से होता आ रहा है। लेकिन कुछ सालों में ये ना सिर्फ पॉपुलर हुआ बल्कि इसका ट्रेंड भी बढ़ रहा है।
कैसे होते हैं DINKs कपल्स
जो कपल्स शादी के बाद बच्चा प्लान करने में जल्दबाजी नहीं करते हैं, करियर ओरिएंटेड होने की वजह से नो किड्स फॉर्मूले को अपनाते हैं। बच्चों की जगह उनका पूरा फोकस पैसा कमाने और अच्छी लाइफस्टाइल पर रहता है। ऐसे कपल्स ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने और घूमने-फिरने के साथ सेल्फ केयर पर ध्यान देते हैं। ये लोग अक्सर वही चीजें करते हैं जो इन्हें खुशी दे। इन्हे ही DINKs कपल कहा जाता है।
DINKs का No Kids लॉजिक
DINKs कपल्स बच्चों के बारे में इसलिए नहीं सोचते ताकि उन्हे फायनेंशियल फ्रीडम रहे, करियर में आगे बढ़ाने का ज्यादा वक्त और अवसर मिले। पर्सनल चॉइस को ज्यादा महत्व दे सकें और खुद को प्राथमिकता देने का मौका मिले। अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें और लाइफ में जिम्मेदारियों का बोझ ना ढोना पड़े।
DINKs कपल के लिए चुनौतियां
वैसे भले ही आपको DINKs कपल की लाइफ जानकर अच्छा लग रही हो लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी होती है। घूमने-फिरने और मनचाही लाइफ जीने की वजह से इनके खर्च ज्यादा होते हैं। समाज से अलग-थलग महसूस करने के साथ ही यह कई बार अकेलापन का भी शिकार होते हैं। ज्यादा दूर की सोचने की इनमें क्षमता नहीं होती और कई दफा गलत इंवेस्टमेंट का भार भी झेलना पड़ता है।