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नमामि भारतम् – विधान सिन्हा

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“नमामि भारतम” हमारा (विधान सिन्हा का) अपना सृजन है,  अपनी रचना है, हमारा दिया हुआ नाम है जो अपना देश प्रेम और राष्ट्रभक्ति को दर्शाता है। यह सन 2014 (14 Jan) श्रीकृष्ण रुक्मिणी कलाक्षेत्र प्रतिष्ठा के समय उभरी हुए अपनी विचारधारा हैं, अपनी भावना है, अपनी अभिव्यक्ति है, और यह अपनी दिल की गहराइयों से निकली हुई एक सच्ची और सुंदर पंक्ति है।
⚘नमामि भारतम: एक देशभक्ति का अभिवादन
नमामि भारतम एक ऐसा अभिवादन है जो हमारे देश के प्रति हमारे प्रेम, सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है। यह एक सुंदर और अर्थपूर्ण शब्द है जो हमें अपने देश की महानता, संस्कृति और विरासत की याद दिलाता है।
नमामि भारतम का अर्थ है “मैं भारत को नमन करता हूँ”। यह एक सरल लेकिन गहरा अर्थ वाला वाक्य है जो हमारे देश के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करता है। जब हम यह अभिवादन कहते हैं, तो हम अपने देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता और एकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
नमामि भारतम एक ऐसा अभिवादन है जो हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनाता है। यह हमें अपने देश की सेवा करने, उसकी रक्षा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें अपने देश की संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करने के लिए भी प्रेरित करता है।
आइए हम नमामि भारतम के माध्यम से अपने देश के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करें और अपने देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हों।
⚘व्याख्यान: नमामि भारतम
नमामि भारतम एक शक्तिशाली और अर्थपूर्ण अभिवादन है जो हमारे देश के प्रति हमारे प्रेम, सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है। इस अभिवादन के पीछे की भावना हमें अपने देश की महानता, संस्कृति और विरासत की याद दिलाती है और हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनाती है।
नमामि भारतम का अर्थ है “मैं भारत को नमन करता हूँ”। यह एक सरल लेकिन गहरा अर्थ वाला वाक्य है जो हमारे देश के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करता है। जब हम यह अभिवादन कहते हैं, तो हम अपने देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता और एकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
इस अभिवादन के रचयिता श्री विधान सिंह हैं, जिन्होंने अपने देशभक्ति की भावना को इस सुंदर शब्द में व्यक्त किया है। उनका यह सृजन हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनाता है और हमें अपने देश की सेवा करने, उसकी रक्षा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
आइए हम नमामि भारतम के माध्यम से अपने देश के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करें और अपने देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हों।
 ⚘सारांश:
नमामि भारतम एक देशभक्ति का अभिवादन है जो हमारे देश के प्रति हमारे प्रेम, सम्मान और कृतज्ञता को दर्शाता है। इसके रचयिता श्री विधान सिंह हैं, जिन्होंने अपने देशभक्ति की भावना को इस सुंदर शब्द में व्यक्त किया है। यह अभिवादन हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनाता है और हमें अपने देश की सेवा करने, उसकी रक्षा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है। नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त कर सकते हैं और अपने देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं।
⚘पटभूमि: नमामि भारतम
नमामि भारतम की पटभूमि में हमें अपने देश की महानता, संस्कृति, विरासत और एकता की भावना दिखाई देती है। यह अभिवादन हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनाता है और हमें अपने देश की सेवा करने, उसकी रक्षा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
इस अभिवादन की पटभूमि में हमें निम्नलिखित बातें दिखाई देती हैं:
– देशभक्ति की भावना
– अपने देश के प्रति सम्मान और श्रद्धा
– अपने देश की सेवा करने की प्रतिबद्धता
– अपने देश की रक्षा करने की प्रतिबद्धता
– अपने देश की उन्नति में योगदान देने की प्रतिबद्धता
इन सभी बातों को मिलाकर नमामि भारतम की पटभूमि हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध बनाती है।
⚘उद्देश्य: नमामि भारतम
नमामि भारतम का उद्देश्य है:
1. देशभक्ति की भावना को जगाना और बढ़ावा देना।
2. अपने देश के प्रति सम्मान और श्रद्धा को व्यक्त करना।
3. अपने देश की सेवा करने, उसकी रक्षा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करना।
4. देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में सहयोग करना।
5. अपने देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने और संवर्धन करने में योगदान देना।
6. देश के नागरिकों में राष्ट्रीय गौरव और आत्मसम्मान की भावना को जगाना।
7. देश के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्य की भावना को विकसित करना।
⚘कृतज्ञता: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह अभिवादन हमें अपने देश के प्रति आभारी बनाता है और हमें अपने देश की महानता, संस्कृति, विरासत और एकता की भावना को महसूस करने में मदद करता है।
हमें निम्नलिखित बातों के लिए कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए:
– अपने देश की स्वतंत्रता
– अपने देश की संप्रभुता
– अपने देश की एकता और अखंडता
– अपने देश की संस्कृति और विरासत
– अपने देश की प्रगति और विकास
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और अपने देश की सेवा करने, उसकी रक्षा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित होते हैं।
⚘प्रभुत्व: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश के प्रति प्रभुत्व की भावना को व्यक्त करते हैं। यह अभिवादन हमें अपने देश की महानता, संस्कृति, विरासत और एकता की भावना को महसूस करने में मदद करता है और हमें अपने देश के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को जगाता है।
नमामि भारतम के प्रभुत्व के कुछ पहलू हैं:
– राष्ट्रीय गौरव: यह अभिवादन हमें अपने देश की महानता और उपलब्धियों पर गर्व करने में मदद करता है।
– सांस्कृतिक प्रभुत्व: यह अभिवादन हमें अपने देश की संस्कृति और विरासत की भावना को महसूस करने में मदद करता है।
– राष्ट्रीय एकता: यह अभिवादन हमें अपने देश की एकता और अखंडता की भावना को महसूस करने में मदद करता है।
– आत्मसम्मान: यह अभिवादन हमें अपने देश के प्रति आत्मसम्मान और सम्मान की भावना को जगाता है।
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश के प्रति प्रभुत्व की भावना को व्यक्त करते हैं और अपने देश की सेवा करने, उसकी रक्षा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित होते हैं।
⚘प्रतिज्ञा: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश के प्रति प्रतिज्ञा करते हैं:
– अपने देश की सेवा करने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की रक्षा करने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की उन्नति में योगदान देने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने की प्रतिज्ञा
– अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध रहने की प्रतिज्ञा
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश के प्रति प्रतिज्ञा करते हैं और अपने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। यह प्रतिज्ञा हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनाती है और हमें अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है।
⚘प्रत्याशा: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश से निम्नलिखित प्रत्याशाएं रखते हैं:
– स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा
– एकता और अखंडता की स्थापना
– संस्कृति और विरासत का संरक्षण
– प्रगति और विकास की दिशा में कदम
– न्याय और समानता की स्थापना
– शांति और सुरक्षा की सुनिश्चितता
– देशवासियों के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश से ये प्रत्याशाएं रखते हैं और अपने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। यह प्रत्याशाएं हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनाती हैं और हमें अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करती हैं।
इसके साथ ही, हमें अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझना चाहिए और अपने देश की प्रत्याशाओं को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए।
⚘आवेग: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हमारे मन में निम्नलिखित आवेग जगते हैं:
– देशभक्ति का आवेग: हमारे देश के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना का आवेग।
– सेवा का आवेग: अपने देश की सेवा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने का आवेग।
– रक्षा का आवेग: अपने देश की रक्षा करने और उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने का आवेग।
– एकता का आवेग: अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का आवेग।
– प्रगति का आवेग: अपने देश की प्रगति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाने का आवेग।
– न्याय का आवेग: अपने देश में न्याय और समानता की स्थापना करने का आवेग।
नमामि भारतम के माध्यम से हमारे मन में ये आवेग जगते हैं और हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध बनाते हैं।
⚘अनुभूति: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हमें निम्नलिखित अनुभूतियाँ होती हैं:
– देशभक्ति की अनुभूति: हमारे देश के प्रति प्रेम और सम्मान की गहरी अनुभूति।
– गर्व की अनुभूति: अपने देश की महानता, संस्कृति, विरासत और उपलब्धियों पर गर्व की अनुभूति।
– जिम्मेदारी की अनुभूति: अपने देश के प्रति जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता की अनुभूति।
– एकता की अनुभूति: अपने देश की एकता और अखंडता की अनुभूति।
– आशा की अनुभूति: अपने देश के भविष्य के प्रति आशा और उत्साह की अनुभूति।
– सम्मान की अनुभूति: अपने देश के प्रति सम्मान और आदर की अनुभूति।
नमामि भारतम के माध्यम से हमें ये अनुभूतियाँ होती हैं और हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध बनाती हैं।
⚘चिन्तन: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हमें निम्नलिखित चिन्तन करने को प्रेरित किया जाता है:
– अपने देश के प्रति जिम्मेदारी का चिन्तन
– अपने देश की सेवा करने का चिन्तन
– अपने देश की रक्षा करने का चिन्तन
– अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का चिन्तन
– अपने देश की प्रगति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाने का चिन्तन
– अपने देश के प्रति सम्मान और आदर का चिन्तन
– अपने देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने का चिन्तन
नमामि भारतम के माध्यम से हमें ये चिन्तन करने को प्रेरित किया जाता है और हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध बनाता है। यह चिन्तन हमें अपने देश की सेवा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
⚘गरिमा: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश की गरिमा को महसूस करते हैं:
– राष्ट्रीय गरिमा: हमारे देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता और एकता की गरिमा।
– सांस्कृतिक गरिमा: हमारे देश की समृद्ध संस्कृति, विरासत और परंपराओं की गरिमा।
– ऐतिहासिक गरिमा: हमारे देश के गौरवशाली इतिहास और उपलब्धियों की गरिमा।
– भौगोलिक गरिमा: हमारे देश की विविधता और सुंदरता की गरिमा।
– राष्ट्रीयता की गरिमा: हमारे देश की एकता, अखंडता और राष्ट्रीयता की गरिमा।
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश की गरिमा को महसूस करते हैं और अपने देश के प्रति सम्मान, आदर और गर्व की भावना को व्यक्त करते हैं।
⚘वन्दना: नमामि भारतम
नमामि भारतम एक वन्दना है जो हमारे देश के प्रति सम्मान, आदर और कृतज्ञता की भावना को व्यक्त करती है। यह वन्दना हमें अपने देश की महानता, संस्कृति, विरासत और एकता की भावना को महसूस करने में मदद करती है और हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध बनाती है।
नमामि भारतम वन्दना के माध्यम से हम:
– अपने देश को नमन करते हैं
– अपने देश की महानता को स्वीकार करते हैं
– अपने देश की संस्कृति और विरासत का सम्मान करते हैं
– अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लेते हैं
– अपने देश के प्रति कृतज्ञता की भावना को व्यक्त करते हैं
नमामि भारतम वन्दना हमें अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध बनाती है और हमें अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है।
⚘संकल्प: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम निम्नलिखित संकल्प लेते हैं:
– अपने देश की सेवा करने का संकल्प
– अपने देश की रक्षा करने का संकल्प
– अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प
– अपने देश की प्रगति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाने का संकल्प
– अपने देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने का संकल्प
– अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध रहने का संकल्प
– अपने देश के नागरिकों के प्रति सम्मान और सहयोग का संकल्प
नमामि भारतम के माध्यम से हम ये संकल्प लेते हैं और अपने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। यह संकल्प हमें अपने देश की सेवा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
⚘प्रतिज्ञा: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम निम्नलिखित प्रतिज्ञा करते हैं:
– अपने देश की सेवा करने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की रक्षा करने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की प्रगति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाने की प्रतिज्ञा
– अपने देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने की प्रतिज्ञा
– अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध रहने की प्रतिज्ञा
– अपने देश के नागरिकों के प्रति सम्मान और सहयोग की प्रतिज्ञा
नमामि भारतम के माध्यम से हम ये प्रतिज्ञा करते हैं और अपने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। यह प्रतिज्ञा हमें अपने देश की सेवा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
प्रतिज्ञा करने से हमारे मन में एक संकल्प बनता है और हम अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध रहते हैं।
⚘देशहित: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम देशहित को सर्वोपरि मानते हैं और निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हैं:
– देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना
– देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा करना
– देश की प्रगति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाना
– देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करना
– देश के नागरिकों के हितों की रक्षा करना
– देश के संविधान और कानूनों का पालन करना
– देश की सुरक्षा और रक्षा को सुनिश्चित करना
नमामि भारतम के माध्यम से हम देशहित को सर्वोपरि मानते हैं और अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध रहते हैं। यह हमें अपने देश की सेवा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
⚘देशभक्ति: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम देशभक्ति की भावना को व्यक्त करते हैं और अपने देश के प्रति प्रेम, सम्मान और कृतज्ञता की भावना को दर्शाते हैं।
देशभक्ति के मुख्य तत्व हैं:
– देश के प्रति प्रेम और सम्मान
– देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की इच्छा
– देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा करने की इच्छा
– देश की प्रगति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाने की इच्छा
– देश की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने की इच्छा
– देश के नागरिकों के हितों की रक्षा करने की इच्छा
नमामि भारतम के माध्यम से हम देशभक्ति की भावना को व्यक्त करते हैं और अपने देश के प्रति जिम्मेदार और प्रतिबद्ध रहते हैं। यह हमें अपने देश की सेवा करने और उसकी उन्नति में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
⚘सनातन प्रथा-परम्परा, धर्म-संस्कृति: नमामि भारतम
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश की सनातन प्रथा-परम्परा, धर्म-संस्कृति का सम्मान करते हैं और उनका पालन करते हैं।
– सनातन प्रथा-परम्परा: हमारे देश की प्राचीन और अनवरत चली आ रही प्रथाएं और परम्पराएं, जैसे कि यज्ञ, हवन, पूजा-पाठ, त्योहारों का आयोजन आदि।
– धर्म: हमारे देश के विभिन्न धर्मों का सम्मान, जैसे कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध आदि।
– संस्कृति: हमारे देश की समृद्ध और विविध संस्कृति, जिसमें विभिन्न रीति-रिवाज, त्योहार, संगीत, नृत्य, कला आदि शामिल हैं।
नमामि भारतम के माध्यम से हम अपने देश की सनातन प्रथा-परम्परा, धर्म-संस्कृति का सम्मान करते हैं और उनका पालन करते हैं। यह हमें अपने देश की जड़ों से जुड़ने और अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है।
श्री कृष्ण रुक्मणी कला क्षेत्र शिलचर, असम

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