65 Views
रणजीत सिंह अहीर का जन्म 1802 में तत्कालीन शाहाबाद , बिहिया परगना के शाहपुर गांव में हुआ था।इनके पिता जी नाम शिव परसन अहीर था। ये साढ़े छः फीट के गठीला बदन के शख्स थे।
1857 स्वतंत्रता संग्राम में जगदीशपुर शाहाबाद के कुंवर सिंह के फौज में रणजीत सिंह अहीर मुख्य सेनापति और चौगाईं डिवीजन के हेड थे।कुंवर सिंह
के वीरगति के उपरांत उन्हें फिरंगियों के खिलाफ मोर्चा को बाध्य होकर संभालना पड़ा क्योंकि अंग्रेजों से भयभीत और स्वाभिमान को दांव पर लगाकर
कुंवर सिंह के धरोहर स्थल को गिरवी रखकर उनके तीनों अनुजों (दयाल सिंह, राजपति सिंह और अमर सिंह) ने अधीनता स्वीकार कर लिए और भूमिगत हो गए।
रणजीत सिंह अहीर का ऐसा खौफ पैदा हुआ कि अंग्रेज अधिकारी भी थर थर कांपते थे। उनके भय से शाहाबाद और निकतवर्ती जिले में बसने वाले इलाकों के अहीरों से कर लेना ही बंद कर दिए।
रणजीत सिंह अहीर को फुलवा ,आरा के जगन्नाथ सिंह यादव और सुअर मरवा ,मनेर के संत गगन बाबा के पुत्र अनूप राउत का भरपूर सहयोग मिला।
अंग्रेजों ने छल पूर्वक रणजीत सिंह अहीर और जगन्नाथ सिंह अहीर को पकड़ लिया और उन्हें काले पानी की सजा दी गई। जगन्नाथ सिंह अपने आप को बचते– बचाते गिरमिटिया मजदूर के रूप में मॉरीशस पलायन हो गए और सुअर मरवा मनेर निवासी अनूप राउत किसी तरह गंगा किनारे से होते हुए अंग्रेजों के चंगुल से बचते हुए अपने गांव चले आए। गांव में उनके शहीद हो जाने या पकड़े जाने का अफवाह फैल चुका था।
उक्त तीनों कुंवर सिंह के फौज में महा नायक थे और कुंवर सिंह के नेतृत्व में 1854 से पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
कैसी विडंबना है कि प्रतिवर्ष जगदीशपुर में “विजय दिवस” पर कुंवर सिंह की चर्चा तो खूब किया जाता है लेकिन वहीं उनके योद्धाओं के बारे में नाम मात्र का भी चर्चा नहीं किया जाना,स्मरण नहीं करना,श्रद्धांजलि अर्पित नहीं किया जाना पर थोड़ा प्रश्न चिन्ह लग ही जाता है। जबकि उक्त तीनों महान योद्धाओं के नाम सुनते ही अंग्रेजी हुकूमत कांप उठती थी। उन लोगों ने कुंवर सिंह के साथ क्रांति के मशाल को आगे बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रणजीत सिंह अहीर कुंवर सिंह लके बहुत ही विश्वासी सेनापति के साथ ही साथ मुख्य संरक्षक भी थे। श्रोतों से ज्ञात हुआ है कि आज भी इनके सगे संबंधी गांव में भी हैं और अधिकतर चौगाईं में बस गए है।
प्रथम भारतीय स्वतंत्रता 1857 में इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराने में रणजीत सिंह अहीर का नाम स्वर्णाक्षरों में अकित है और रहेगा।