पटना. बिहार में जिउतिया पर्व के दौरान नदी और तालाबों में नहाने के दौरान हादसों में अब तक 43 की मौत हो गई. इनमें 37 बच्चे व 6 महिलाएं शामिल हैं. इन सभी के शव बरामद कर लिए गए हैं.
जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड व पूर्वी उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्से में होता है. महिलाएं इस दिन अपनी संतान की लंबी उम्र व बेहतर स्वास्थ्य के लिए 24 घंटे तक बिना कुछ खाए-पी, व्रत रखती हैं. इसमें भगवान जीमूतवाहन की विधिपूर्वक पूजा होती है. व्रत के दिन सुबह उठकर नहाने के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है. घर के मंदिर में एक थाली में सूर्य नारायण की मूर्ति को स्थापित किया जाता है. उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है. भगवान को दीपक व धूप अर्पित करके उनको भोग लगाकर आरती करते हैं. औरंगाबाद जिले के बारुण थाना क्षेत्र के ईटहट में 5 किशोरियां व्रती महिलाओं के साथ तालाब में नहाने गई थीं. महिलाएं स्नान कर पास के मंदिर में पूजा करने चली गईं. किशोरियां नहाती रहीं. इसी दौरान एक किशोरी निशा डूबने लगी. उसे बचाने सगी बहन अंकू गई. वह भी डूबने लगी. दोनों को डूबता देख बाकी किशोरियां आगे बढ़ीं. सूचना पर स्थानीय लोग पहुंचे. उन्हें बचाने के लिए तालाब में कूदे. तब तक चार बच्चियां डूब चुकी थीं. एक बच्ची राशि को किसी तरह बचा लिया गया. दूसरी घटना औरंगाबाद के ही मदनपुर के कुशहा गांव की है. यहां भी जिउतिया में नहाने के दौरान हादसा हुआ. महिलाएं जौ बुन रहीं थीं इसी दौरान 18 बच्चे आहर में नहाने लगे. सभी डूबने लगे. 14 बच्चों को लोगों ने बचा लियाए लेकिन 4 डूब गए. ग्रामीणों का आरोप है कि आहर की खुदाई के दौरान एक जगह गहरा गड्ढा कर दिया गया था उसी में 3 बच्चियां व एक बच्चा डूब गया. दो बच्चियां डूबी हैं लेकिन उनके शव नहीं मिले हैं.