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महाराजा अग्रसेन अपने समय के एक ऐसे समाजवादी राजा थे कि उन्होंने ऐसी ऐसी परंपरा स्थापित की जिनका अनुसरण किया जाए तो निश्चित रूप से सुदृढ़ एवं संपन्न समाज बन सकता है। आज समाज में एक अग्रवाल अत्यधिक गरीब तो एक बहुत ही बङा अमीर है उनमें समानता का भाव लाने के लिए समय समय पर हमने संबोधन पढा पुस्तकों का अध्ययन किया। अग्रवालों के पांचवे अग्रोहा धाम में दर्जनों यात्रा की। 1990-91 में वयोवृद्ध श्री नंद किशोर गोयनका ने अग्रोहा अग्रसेन अग्रवाल का प्रचारक बनाया। कहा कि आप जगह जगह अग्रवाल समाज की स्थापना करें अपनी लेखनी से अग्रवालों को प्रेरित करें। अग्रोहा धाम पत्रिका के सदस्य बनाकर सभी को कहें कि अग्रोहा धाम की यात्रा करें। मैंने यथासंभव अपनी क्षमता के अनुसार काम किया। 1993 में अग्रवाल सेवा समिति बनाकर सामाजिक बोद्धिक एवं सांस्कृतिक रूप से उन्हें प्रशिक्षण दिया। अध्यक्ष सचिव को लिखित भाषण रटा रटा कर तैयार किया। बच्चों को नाटक मंचन नृत्य गायन के लिए तैयार किया। देखते देखते हमारे युवा युवती शानदार एंकर कलाकार बनते गए आज सब प्रशिक्षित है।
हर समाज अपने महापुरुषों के जन्मोत्सव नियत तिथि पर मनाते है लेकिन सुविधा के अनुसार अग्रवाल समाज 15 दिन के भीतर आयोजन की बजाय डेढ़ दो महीने बाद उत्सव मनाने के कारण लोगों में उत्साह खत्म हो जाता है।
नियमन दो साल बाद अध्यक्ष सचिव बदलने से युवाओं में आशा जगती है कि कभी तो मुझे भी अवसर मिलेगा। लेकिन कभी कभी ऐसा अवसर आता है कि उनके पास ना तो अनुभव होता ना ही समय तो समाज में धर्मसंकट पैदा हो जाता है।
महाराज अग्रसेन ने धर्म कर्म से शासन किया जिसमें एक एक बहुत छोटी किंतु अदभुत परंपरा थी कि नये अतिथि को राजकोष से सौ मुद्रा एवं सौ इंट देने के साथ साथ सभी राज्यों के लोग एक एक मुद्रा तथा एक इंट देने से मिलजुल कर अपने समकक्ष बना लेते थे। एक स्तर के सबके घर एक समान व्यापार होने से ही वहाँ कोई गरीब अमीर नही सब बराबर होते थे।
क्या आज भी संभव नहीं है लेकिन कोई भी हिम्मत नहीं करना चाहते इसलिए असमानता है। कोविद काल में भी मैंने ऐसा लेख लिखा था सैंकड़ों पाठकों ने प्रशंसा की लेकिन समर्थवान कोई भी सामने नहीं आया।
अग्रसेन महाराज सबको सुख समृद्धि संपन्नता के साथ साथ उतम स्वास्थ्य एवं स्वस्थ चिंतन प्रदान करें
मदन सुमित्रा सिंघल
प्रचारक
अग्रोहा अग्रसेन अग्रवाल
शिलचर असम
मो 9435073653