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हिंदी प्रकोष्ठ,पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग में दिनाँक 10/10/2024 को हिंदी पखवाड़ा का समापन किया गया।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.प्रभा शंकर शुक्ल ने की।अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत करते हुए प्रो .शुक्ल ने कहा कि भाषा के दृष्टिकोण से भारत का अग्रणी स्थान रहा है।पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय में भी पांच भाषा विभाग हैं ।विश्वविद्यालय के भाषा से जुड़ें लोगों को यह सोचने अथवा विचार करने की आवश्यकता है कि भाषाओं का आदान प्रदान किस प्रकार हो।हिंदी की बात करें तो इस भाषा में अन्य भाषाओं के शब्दों को पिरोने की क्षमता है।हिंदी भारत की ही राजभाषा नहीं बल्कि फिजी देश में भी राजभाषा का दर्जा रखती है।हिंदी एशिया की संपर्क भाषा के रूप में जानी जाती है।मॉरीशस, सूरीनाम के साथ-साथ 132 से अधिक देशों में हिंदी भाषा का प्रवाह है।आज कंप्यूटर और तकनीकी माध्यमों में हिंदी का प्रयोग बढ़ा है।आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और तीसरी विश्व की भाषा को लेकर 2047 में अपनी क्षमता और शक्ति को मजबूत करेगा।यदि क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द हिंदी में शामिल होंगे तो निश्चित रूप से हिंदी समृद्ध होगी।हिंदी भाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर कार्य करने की आवश्यकता है।इससे पूर्व पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल ओमकार सिंह ने विश्वविद्यालय में कर्मचारियों को हिंदी सीखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इस दिशा में विश्वविद्यालय से जो भी आवश्यकता होगी उस पर तीव्र गति से बल दिया जाएगा।इसके अतिरिक्त इस कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो हितेंद्र कुमार मिश्र और खासी विभाग की प्रो स्ट्रीमलेट डख़ार ने भी अपने विचारों को प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में कुलपति के द्वारा कविता,भाषण,अंताक्षरी में पुरस्कार प्राप्त प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।कार्यक्रम का संचालन हिंदी अधिकारी श्री राजेन्द्र राम तथा धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती सी.बुआती ने किया।इस अवसर पर हिंदी विभाग के अतरिक्त अन्य विभागों के अध्यापकगण और छात्र छात्राएं उपस्थित थे।