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दशहरा और दीपावली में खाया जाने वाला ओल या सुरन

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पटना में 120 रुपए kg दिल्ली में 300 रुपए मिल रहा है। ओल खाने के फायदे इतने और जानकारी इतनी कम की फेसबुक पर 10 से ज्यादा पोस्ट नही दिखेंगे, दशहरा दीपावली में घरों में खाया जाता है सदियों से परंपरा चली आ रही साल में 2,3 बार खाना चाहिए शरीर को फिट रखने में सहायता करता है।
ओल की सब्जी में जंबीरी नींबू डाल दीजिए, दुनिया की सब सब्जी फीकी है. ओल का सन्ना (चोखा) और ओल का रसदार दोनो परफेक्ट।
ओल खाने में तो स्वादिष्ट हैं ही ये मटन को टक्कर देता हैं साथ ही इसके आयुर्वेदिक गुण भी भरपूर हैं……
दीपावली की रात ओल खाने की परंपरा
दीपावली की रात में जिमीकंद, सूरन या ओल की सब्जी या चोखा बनाने की परंपरा सर्दियों पुरानी है. जैसे मकर संक्रांति पर खिचड़ी, होली पर कटहल की सब्जी खाने की परंपरा है ठीक उसी तरह दीपावली की रात में ओल का चोखा और सब्जी खाना शुभ माना जाता है. इस दिन ज्यादातर घरों में ओल की सब्जी और चोखा बनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि ओल के चोखे का दिवाली के दिन सेवन करने से धन के भंडार में बढ़ोतरी होती है। साथ ही इसको सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है. क्योंकि इस कंद के भीतर खुद धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए दिवाली के दिन यूपी और बिहार के ज्यादातर घरों में ओल का चोखा खाया जाता है।
क्या होता है ओल?
ओल एक ऐसी सब्जी होती है, जिसके उत्पादन के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं होती है। ग्रामीण क्षेत्र में इस सब्जी को ऐसे जमीनों पर लगाया जाता है, जो खेती के काम में नहीं आती है. जैसे कि घर के बगल में टिला नुमा कोई खाली जगह होने पर वहां पर ओल के जड़ को गाड़ दिया जाता है. कुछ ही महीनों में जमीन के अंदर खरबूजे के आकार में यह अंदर ही अंदर विकसित हो जाता है. ओल को अगर आप जड़ से काट या निकाल देते है तो भी वह उग जाता है।
ओल के फायदे
दिवाली के अलावा इस सब्जी को समान्य दिनों में भी लोग काफी पसंद करते हैं. क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में कई सारे पोषक पदार्थ पाए जाते हैं। ओल आपकी शरीर को कई बीमारियों से भी रक्षा करता है। इसमें कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन, पोटेशियम, घुलनशील फाइबर पर्याप्त मात्रा में होते हैं, साथ ही इसमें विटामिन बी6, विटामिन बी1, राइबोफ्लेविन, फॉलिक एसिड, नियासीन आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। ओल में विटामिन A, बीटा-कैरोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ओल में  कैंसर तक को ठीक करने के तत्व पाए जाते हैं.
ओल में में ग्लूकोज की मात्रा बहुत कम होती है। शर्करा ना होने के कारण डायबिटीज के रोगी इसका सेवन कर सकते हैं. साथ ही ओल में काफी कम मात्रा में कैलोरी होती है। इसमें फाइबर की अधिकता होती है। बवासीर में भी जिमीकंद उपयोगी है। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो कब्ज से उत्पन्न हुए बवासीर रोग को ठीक करता है।
दोस्तों इसकी खेती में मेहनत नही है बस पेड़ लगाए और फल पाए। जो लोग मॉल वाले कल्चर में है एक बार मॉल में रेट देख लीजिएगा आज 500 रुपए से कम रेट नही होगा , दिवाली का तो कन्फर्म हु।
फेसबुक से साभार

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