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सौतेली माँ का फर्ज ( कहानी)

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सौतेली माँ अक्सर बदनाम होती है लेकिन बिमला हालांकि कम उम्र की ससुराल आई लेकिन आते ही वृद्ध एवं बिमार सास दुलारी ने छह बच्चों को इकट्ठा करके कहा कि अब दादी जा रही है अब सबकुछ तुम्हारी नयी माँ बिमला है इसका कहा मानना यह पांच कक्षा पास तथा इमानदार कुंज बिहारी जी की बेटी है इनका बहुत सम्मान है। बिमला को नाङे से खोलकर चाबियों का गुच्छा सौंप दिया दिया तथा बताया कि यह तीन संदुकों की यह ताकी की तथा अन्य चाबियों को सम्भालो। मैं तो आज नहीं कल जाउंगी अब छह बच्चों को इतना प्यार दुलार देना कि माँ की कभी कमी ना खले। एक पोता दो पोती बिमला से बङे थे दोनों पांच छह कक्षा तक पढ़े थे। उनको समझाया कि हालांकि बिमला तुम दोनों से छोटी है लेकिन अब यह तुम्हारी माँ है। इसकी इज्जत मानसम्मान में कोई कमी ना आए। दुलारी मरने से पहले सबकुछ समझा दिया इसलिए बिमला अपने तीनों बच्चों से अधिक उन छहों बच्चों की परवरिश ब्याह शादी धूमधाम से की। सोना चांदी बहू बेटियों में बांट दिया। सर पर काफी कर्ज चढ गया। एक दिन बिष्णुनाथ भी गुजर गए। बिमला तीनों बच्चों को मेहनत मजदूरी करके पढाया एक दिन  तीनों को दादी की खाली संदुकों के साथ नयी बहू को सारा इतिहास बताते हुए कहा कि अब आपको दादी एवं माँ बाप का नाम रोशन करना है। भले ही आपके पास खाली संदुकों की लाइन लगी है लेकिन आप संस्कार फर्ज एवं शिक्षा में उन्नत है। मैंने मेरा फर्ज निभाया अब आप तीनचार लोगों को सबकुछ बेहतर करना है।

मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653

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