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ट्रेन से चोरी हुआ पैसेंजर का बैग, रेलवे देगा 4.7 लाख रुपये- जानें कब और कैसे मिलता है मुआवजा

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Railway Compensation Rules: नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने रेलवे को पैसेंजर को 4.7 लाख का मुआवजा देने को कहा है. चलिए बताते हैं रेलवे में कब और कैसे समान चोरी होने पर मिलता है मुआवजा. 

Railway Compensation Rules: भारतीय रेलवे में रोजाना करोड़ों यात्री सफर करते हैं. यात्रियों के लिए भारतीय रेलवे कई हजारों ट्रेन चलता है. ट्रेन का सफर काफी सुविधा युक्त और सहूलियत भरा होता है. इसीलिए ज्यादा यात्री ट्रेन से सफर करना पसंद करते हैं. लेकिन कई बार देखा गया है कि रेलवे में यात्रा करने के दौरान कई दुर्घटनाएं सामने आई है.

जिनमें यात्रियों को बहुत सा नुकसान हुआ है. कई बार ट्रेन में यात्रियों का सामान भी चोरी हो गया है. हाल ही में एक व्यक्ति का बैग ट्रेन में चोरी हुआ था. जिसके लिए नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने रेलवे को उस पैसेंजर को 4.7 लाख रुपये देने का आदेश दिया है. चलिए आपको बताते हैं रेलवे में कब और कैसे समान चोरी होने पर मिलता है मुआवजा.

रेलवे सामान चोरी होने पर यात्री को देगा 4.7 लाख का मुआवजा

नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमिशन यानी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने रेलवे को एक पैसेंजर का सामान चोरी होने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसे 4.7 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए कहा है. दरअसल मामला साल 2007 का है जब दुर्ग के रहने वाले दिलीप कुमार चतुर्वेदी कटनी रेलवे स्टेशन से दुर्ग रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन के स्लीपर कोच में यात्रा कर रहे थे. इस दौरान कुछ कैश और सामान जिसकी कीमत 9.3 लाख रुपए थी, वह करीब सुबह 2:30 बजे चोरी हो गया.

इसके बाद उन्होंने दुर्ग डिस्टिक कंज्यूमर कमिशन में इसकी शिकायत की उसके बाद साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे ने उन्हें कंपनसेशन देने के लिए कहा लेकिन दुर्ग और बिलासपुर जीआरपी थाना इंचार्ज ने साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे के फैसले को स्टेट कमिशन में चैलेंज किया. इसके बाद दिलीप चतुर्वेदी ने एनसीडीआरसी यानी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में रिव्यू पिटीशन दायर की.

जिसमें उन्होंने बताया कि टीटीई की लापरवाही के चलते कोच में अनाधिकृत लोग घुसे और उन्होंने चोरी की घटना को अंजाम दिया. समान चैन से बना हुआ था उसकी सुरक्षा के लिए पूरी तैयारी थी. लेकिन टीटीई की लापरवाही से सामान चोरी हुआ और इसी वजह से रेलवे के एक्ट की धारा 100 इस मामले में नहीं लगती.

कब मिलता है मुआवजा?

भारतीय रेलवे ने सामान चोरी होने को लेकर मुआवजा देने के लिए कुछ नियम बनाएं हैं. रेलवे अधिनियम की धारा 100 के तहत भारतीय रेलवे तक किसी सामान की  ज़िम्मेदार नहीं होगा, जब तक कि रेलवे कर्मचारी ने सामान बुक न कर लिया हो और यात्री को रसीद न दे दी हो. या फिर नियमों के मुताबिक अगर यात्री अपने साथ में सामान ले जा रहा है. तो रेलवे तब तक इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं होगा, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि रेलवे के कर्मचारियों की गलती या लापरवाही के चलते सामान को चोरी हुआ है या खोया है या किसी तरह का नुकसान पहुंचा है.

इस प्रक्रिया को करें फाॅलो

जब किसी यात्री का सामान ट्रेन में खो जाता है. तो ऐसी स्थिति में यात्री को सबसे पहले ट्रेन कंडक्टर कोच अटेंडेंट, गार्ड या जीआरपी एस्कॉर्ट से  कांटेक्ट करना होता है. इसके बाद यात्री को एक शिकायत फॉर्म दिया जाता है. जिसे भरने के बाद जीआरपी थाने में भेज दिया जाता है. इसके 6 महीने बाद अगर आपको समान नहीं मिलता तो आप उपभोक्ता फॉर्म में जाकर शिकायत कर सकते हैं. इसके बाद जितनी राशि का आपका समान होता है. रेलवे की ओर से आपको उतने रुपये का मुआवजा दिया जाता है .

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