कजान. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन में कहा कि संघर्षों व तनाव से प्रभावी तरीके से निपटना आज के समय की विशेष जरूरत है. उन्होंने कहा कि संवाद व कूटनीति से विवादों व मतभेदों का समाधान निकाला जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक बार सहमति हो जाए तो ईमानदारी से उसका पालन होना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय कानून का बिना किसी अपवाद के पालन होना चाहिए. विदेश मंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि आतंकवाद के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला रुख होना चाहिए.
एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया में संघर्ष व फैलने को लेकर व्यापक चिंताएं हैं. उन्होंने कहा कि हम कठिन परिस्थितियों में मिल रहे हैं. विश्व को दीर्घकालिक चुनौतियों पर नए सिरे से सोचने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि अतीत की कई असमानताएं भी जारी हैं. वास्तव में उन्होंने नए रूप व अभिव्यक्तियां ग्रहण की हैं. हम इसे विकासात्मक संसाधनों, आधुनिक तकनीक व दक्षताओं तक पहुंच में देखते हैं. हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रहे हैं. इन सबके अलावाए कोविड महामारी और कई संघर्षों ने वैश्विक दक्षिण द्वारा वहन किए जाने वाले बोझ को और बढ़ा दिया है. विदेश मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य, खाद्य व ईंधन सुरक्षा की चिंताएं विशेष रूप से तीव्र हैं.
भविष्य के शिखर सम्मेलन ने रेखांकित किया कि दुनिया एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी पीछे रह जाने के वास्तविक खतरे में है. उन्होंने सवाल किया कि हम इस विरोधाभास को कैसे सुलझाएगे व यह सुनिश्चित करेंगे कि परिवर्तन का लाभ उन लोगों तक पहुँचे जो वर्तमान में पीछे रह गए है. हम एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं. जयशंकर ने कहा कि सबसे पहले स्वतंत्र प्रकृति के प्लेटफ़ॉर्म को मज़बूत व विस्तारित करके. और विभिन्न डोमेन में विकल्पों को व्यापक बनाकर व उन पर अनुचित निर्भरता को कम करके जिनका लाभ उठाया जा सकता है. यह वास्तव में वह जगह है जहां ब्रिक्स वैश्विक दक्षिण के लिए बदलाव ला सकता है. दूसराए स्थापित संस्थाओं और तंत्रों में सुधार करके विशेष रूप से स्थायी व अस्थायी श्रेणियों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद. इसी तरह बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार किया जाना चाहिए.
जिनकी कार्यप्रणाली संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी है. भारत ने अपने जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान एक प्रयास शुरू किया था हमें खुशी है कि ब्राजील ने इसे आगे बढ़ाया है. तीसरा अधिक उत्पादन केंद्र बनाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करना. कोविड का अनुभव अधिक लचीली, निरर्थक व छोटी आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता की तीखी याद दिलाता है. आवश्यक आवश्यकताओं के लिएए प्रत्येक क्षेत्र वैध रूप से अपनी उत्पादन क्षमताएं बनाने की आकांक्षा रखता है. चौथा वैश्विक बुनियादी ढांचे में विकृतियों को ठीक करके जो औपनिवेशिक युग से विरासत में मिली हैं. दुनिया को तत्काल अधिक कनेक्टिविटी विकल्पों की आवश्यकता है जो रसद को बढ़ाएं और जोखिमों को कम करें.
यह आम भलाई के लिए एक सामूहिक प्रयास होना चाहिए. जिसमें क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता का अत्यधिक सम्मान हो. और पांचवां अनुभवों और नई पहलों को साझा करके. भारत का डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाए इसका एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस व गति शक्ति अवसंरचना सभी एक बड़ी प्रासंगिकता रखते हैं. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, मिशन लाइफ़ व अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन भी समान रूप से साझा हित की पहल हैं. एक प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में, चाहे वह प्राकृतिक आपदाएं हों, स्वास्थ्य आपात स्थितियां हों या आर्थिक संकट हम अपना उचित हिस्सा निभाने का प्रयास करते हैं.