विशेष प्रतिनिधि गुवाहाटी 26 अक्टूबर: आज मालीगांव पांडू, गुवाहाटी स्थित हितेश्वर सैकिया सभागृह में ब्रह्मराष्ट्र एकम् परिवार का चतुर्थ राष्ट्रीय सनातन अधिवेशन असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य की उपस्थिति में आयोजित किया गया। सम्मेलन में काशी उत्तर प्रदेश से 70 लोगों ने भाग लिया। असम के अलावा दिल्ली तथा देश के अन्य भागों से सनातनी लोगों ने अधिवेशन में हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि ब्रह्मराष्ट्र एकम् विश्व महासंघ की स्थापना 5 वर्ष पूर्व वाराणसी में डा. सचिन सनातनी ने किया था। पहला अधिवेशन काशी में, दूसरा हरिद्वार में और तीसरा उज्जैन में किया गया था। सभी संप्रदाय एवं पथ का मूल सनातन धर्म है, गुरुकुल शिक्षा के विकास एवं नशा मुक्त भारत विषय पर अधिवेशन आयोजित किया गया। पौराणिक स्थलों पर संत महात्माओं, विचारकों और अनुयायियों के मध्य भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार हेतु यह राष्ट्रीय समागम आयोजित किया गया|
आज सभागृह में राज्यपाल के पहुंचने पर राष्ट्रगान और असमिया जातीय संगीत के पश्चात दीप प्रज्वलन से प्रथम सत्र का शुभारंभ किया गया। विद्यार्थियों ने वेद मंत्र उच्चारण के साथ अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य संयोजक डॉक्टर सचिन सनातनी ने राज्यपाल और मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। अपने स्वागत वक्तव्य में उन्होंने बताया कि काशी से कामाख्या को जोड़ने का काम इस अधिवेशन के द्वारा हो रहा है। ब्रह्म और राष्ट्र मिलकर ब्रह्मराष्ट्र एकम् परिवार की सृष्टि हुई है। काशी के श्रृंगेरी मठ से यात्रा शुरू हुई है, जिसका चौथा पड़ाव गुवाहाटी में हुआ। काशी से आए अमलेश शुक्ला ने बम बम बोल रहा है काशी भजन से सबको प्रभावित किया।
तबला वादक प्रद्युत प्रकाश उर्फ राजा बरुआ, वेदाचार्य निरुपम शर्मा, निस्वार्थ समाज सेवा के लिए डॉक्टर नरेश्वर शर्मा, जनसंख्या नियंत्रण के लिए डॉक्टर इलियास अहमद, सामाजिक एवं धार्मिक कार्य के लिए डॉक्टर मनोज सिंह व गुवाहाटी के वरिष्ठ पत्रकार नव ठाकुरिया को राज्यपाल के हाथों वीर लचित सम्मान से विभूषित किया गया।
मुख्य अतिथि असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि काशी और असम में बहुत समानताएं हैं। काशी जहां एक लघु भारत है, वैसे ही असम भी एक लघु भारत है। यह आराधना की भूमि है, प्राकृतिक सौंदर्य से और विविधताओं से परिपूर्ण है। हमारे देश की संस्कृति सनातन है। उन्होंने वेद मंत्रों का और रामायण की चौपाइयों का उल्लेख करते हुए कहा कि त्याग की भूमि है। कष्ट में पड़े प्राणियों के कल्याण के लिए काम करने की भूमि हैं। उन्होंने कहा कि यह देश राममय है। आज पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति का परचम फहरा रहा है। ब्रह्मराष्ट्र एकम् इसे मजबूत करने में सहायक होगा।
लक्ष्मी कॉलेज दिल्ली की प्राचार्या डॉक्टर प्रत्युष वत्सला, कॉटन विश्वविद्यालय के उपकुलपति डा. रमेश डेका, काशी के अवशेष पांडेय कल्लू महाराज तथा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज अजीत बरठाकुर आदि ने अपने संबोधन में सनातन धर्म की विशेषताओं का वर्णन किया। सभी ने कहा कि मानव का कल्याण सनातन के अनुसार जीवन जीने से होगा। जिसका अंत नहीं वही सनातन है, सनातन से ही सबका जन्म हुआ है।
हिमानी वैश्य ने शिव वंदना पर नृत्य किया, अभिषेक पांडेय ने अश्वत्थामा का अभिनय किया।
कार्यक्रम के दौरान मार्शल आर्ट प्रशिक्षक विषम कुमार सिन्हा, युवा उद्यमी तपन दास, वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार, अध्यापक डा. सुजीत तिवारी, हॉकी के राष्ट्रीय खिलाड़ी संजीत पांडेय, पत्रकार योगेश दुबे, योग के लिए कमलेश तिवारी, भोजपुरी परिषद की श्रीमती वीणापानी मिश्रा, ब्रह्म ज्योति महिला समिति की श्रीमती किरण त्रिपाठी आदि को वीर लचित सम्मान से सम्मानित किया गया।
अधिवेशन में उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों में पंडित सतीश चंद्र मिश्र, पंडित दिवाकर द्विवेदी,संत लिंगया महाराज, डॉक्टर सुनील मिश्रा, हिंदीभाषी डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष जे के पांडेय, उपेंद्र मिश्रा सहित शिलचर के वरिष्ठ समाजसेवी युगल किशोर त्रिपाठी और पत्रकार चंद्रशेखर ग्वाला आदि शामिल थे।
द्वितीय सत्र में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में गीत, नृत्य और भजन से पुरा माहौल आनंदमय हो गया। सहभागी मंच के सामने आकर झुमने- नाचने लगे। विशेषकर अमलेश शुक्ला और पुनीत पागल बाबा के भजनों ने लोगों को झूमने पर मजबुर कर दिया। विष्णुप्रिया मणिपुर सामुहिक नृत्य ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।