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चमकीली दुनिया की दिखावट से
उजले चेहरों की झूठी मुस्कुराहट से
हर सवाल पर झूठ मूठ
बताये गये अच्छे हाल से
इर्द गिर्द बुने हुए
मतलब के जाल से
कथनी-करनी के अंतर से
चापलूसी के मंतर से
फिज़ूल की दौड़ से
आपस की होड़ से
नफ़रत के चलन से
लोगों की जलन से
रिश्तों के वार से
वक़्त की मार से
तब हमारे पास आना
हम वो सरफिरे हैं
जो दूसरों का दर्द
अपने दिल में सजाते हैं
जो नफ़रत के दौर में भी
मुहब्बत का गीत गाते हैं
जो उसूलों पे आँच आने नहीं देते
जो मायूसी का बादल छाने नहीं देते
जो सादगी का चलन बनाये हुए हैं
जो ज़मीन पर क़दम जमाये हुए हैं
पीड़ा के बदले जो मुस्कान देते हैं
दूसरों की भावनाओं को जो मान देते हैं
आना हमारे पास
हम यहीं मिलेंगे
एक उजली भोर थामे हुए
इंसानियत की डोर थामे हुए
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डॉ.पूनम यादव
😊🙏❤️