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कवच 4.0 : भारतीय रेल अपना रही एक उन्नत संरक्षा प्रौद्योगिकी प्रणाली

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अद्यतन घटक और तकनीकी तत्वों के एकीकरण की विशेषता

गुवाहाटी, 03 नवंबर । भारतीय रेल अपने नेटवर्क में ट्रेन परिचालन को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई एक स्वदेशी उन्नत संरक्षा प्रौद्योगिकी प्रणाली- कवच 4.0 के सफल कार्यान्वयन की ओर अग्रसर है। कवच 4.0 दुर्घटनाओं को रोकने और ट्रेनों के सुचारू परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रेल द्वारा विकसित एक उन्नत व्यापक, प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान है, जो संरक्षा एवं नियंत्रण की एक अतिरिक्त स्तर प्रदान करता है। यह प्रणाली स्वचालित रूप से ब्रेक लगाने में सक्षम है, यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल हो जाता है। चूँकि यह ड्राइवर के कैब में वास्तविक समय लाइन-साइड सिग्नल को प्रदर्शित करता है और रेडियो-आधारित संचार के माध्यम से निरंतर गतिविधियों का अपडेट प्राधिकरण को प्रदान करता है। अन्य प्रमुख विशेषताओं में समपार फाटकों पर स्वचालित सीटी के बजने, टकराव को रोकने के लिए इंजन से इंजन का संचार और आपात स्थिति में अधिकारियों को सचेत करने के लिए एक एसओएस कार्य प्रणाली शामिल हैं।

पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने आज बताया है कि कवच 4.0 प्रणाली कई महत्वपूर्ण तकनीकी घटकों पर आधारित है, जिसमें स्टेशन कवच शामिल है, जो इंजन को दिशा देने के लिए लोको कवच और सिग्नलिंग सिस्टम से सूचना प्राप्त करता है और आरएफआईडी टैग, जो नियमित अंतराल पर पटरियों के साथ लगाए जाते हैं तथा ट्रेन के स्थान एवं दिशा की निगरानी के लिए सिग्नल प्वाइंट पर लगाए जाते हैं। संचार की रीढ़, जिसमें ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल और संचार टावर का संयोजन हैं तथा इंजन एवं स्टेशन के बीच सूचनाओं का निर्बाध आदान-प्रदान सुनिश्चित करते हैं। इसके अतिरिक्त, ड्राइवर मशीन इंटरफेस (डीएमआई) सीधे कैब के भीतर लोको पायलटों को त्वरित निर्णय के लिए आवश्यक सूचना जैसे सिग्नल पहलूओं और परिचालन गतिविधियाँ संबंधित प्राधिकार को प्रदान करता है।

इस प्रणाली में रिले-आधारित इंटरलॉकिंग, सिग्नल संचार के लिए यूएचएफ रेडियो, सटीक स्थान ट्रैकिंग के लिए आरएफआईडी, सुरक्षित संचार के लिए जीएसएम और सटीक समय समन्वय के लिए जीपीएस जैसी कई उन्नत तकनीक शामिल है। आधुनिक तकनीक का यह एकीकरण रेलवे की संरक्षा और दक्षता बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक समाधान अपनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारतीय रेल द्वारा 10,000 इंजनों में कवच 4.0 का क्रियान्वयन इसके बुनियादी ढांचे को आधुनिक और संरक्षा मानकों को बेहतर बनाने की एक व्यापक पहल है। कवच 4.0 जैसी तकनीक के लाभ से कनेक्टिविटी सिस्टम सुचारू रूप से परिचालन सुनिश्चित करेगी, मानवीय त्रुटि को कम करेगा और सबसे महत्वपूर्ण रूप से दुर्घटनाओं की रोकथाम करेगा। इस प्रकार, यह पहल हमारे रेल यात्रियों के लिए एक सुरक्षित यात्रा वातावरण प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चूंकि कवच प्रणाली को पहले ही भारतीय रेल नेटवर्क के प्रमुख रूटों पर स्थापित किया जा चुका है, इसलिए उन्नत 4.0 प्रणाली को पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर मौजूदा प्रणालियों की जगह प्रतिस्थापित किया जाएगा। पूसीरे देश की रेल कनेक्टिविटी प्रणाली का एक हिस्सा होने के कारण जल्द ही इस उन्नत तकनीक प्रणाली से एकीकृत किया जाएगा, जिससे इसके आसपास के क्षेत्र में सुरक्षित, अधिक विश्वसनीय और कुशल रेल सेवाएं उपलब्ध होंगी।

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