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शिव कुमार शिलचर 14 नवंबर : शिलकुड़ी में 83वें बरम बाबा मेले का आयोजन इस बार भी अत्यंत धूमधाम और श्रद्धा के माहौल में किया गया। शिलचर रामकृष्ण मिशन के पूज्य स्वामी गुणोंतीतानंदजी महाराज ने अपने कर-कमलों से इस मेले का शुभारंभ किया। इस आयोजन में स्थानीय लोगों के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जो बरम बाबा के प्रति उनकी गहरी आस्था और समर्पण को दर्शाता है। मेले के उद्घाटन समारोह में शिलचर और करीमगंज के सांसद परिमल शुक्ल वैद्य और कृपानाथ मल्लाह, लखीपुर के विधायक कौशिक राय, पूर्व विधायक राजदीप ग्वाला, शिलकुड़ी चाय बागान के मैनेजिंग डायरेक्टर एम.के. बगला, बरम बाबा मंदिर के प्रधान आचार्य सविता प्रसाद शर्मा, और पूर्व जिला परिषद सदस्य मानव सिंह जैसे गणमान्य अतिथियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। सभी अतिथियों का स्वागत और सम्मान उत्तरीय ओढ़ाकर किया गया, जिससे आयोजन का माहौल और भी गरिमामय बन गया। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आयोजित इस मेले में हजारों श्रद्धालु बरमबाबा में जलाभिषेक करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और भाईचारे को भी प्रोत्साहित करता है। पिछले 83 वर्षों से इस मेले में लाखों श्रद्धालु शामिल होते आए हैं, जिससे बराक घाटी की सांस्कृतिक धरोहर को नया बल मिला है। इस बार भी अनुमानित तीन लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति मेले की भव्यता को और बढ़ा रही है। इस अवसर पर सांसद कृपानाथ मल्लाह ने बरम बाबा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हुए अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि बाबा की कृपा से उनके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं और यह मंदिर हर व्यक्ति के लिए एक अद्वितीय आस्था का स्थल है। लखीपुर के विधायक कौशिक राय ने भी इस मौके पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा के मार्गदर्शन में मंदिर और इस क्षेत्र का विकास करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री ने जगन्नाथ मंदिर का निरीक्षण किया और विकास योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने सार्वजनिक धर्मशाला, तालाब के घाट का निर्माण, शादी-ब्याह और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए स्थान उपलब्ध कराने जैसी सुविधाओं का ऐलान किया।
विधायक राय ने बताया कि आने वाले दिनों में बागान क्षेत्र के निवासियों के कल्याण के लिए भी कई योजनाओं को लागू किया जाएगा ताकि उनके सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सकें। विधायक कौशिक राय ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा के नेतृत्व में बराक घाटी में चल रही विकास योजनाओं का उल्लेख किया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंदिर परिसर में एक तालाब के घाट और धर्मशाला का निर्माण किया जाएगा, ताकि श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधाएँ मिल सकें। विधायक राय ने कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से मंदिर और मेले की व्यवस्थाओं में और भी सुधार आएगा, जिससे श्रद्धालु अपनी धार्मिक गतिविधियों को अधिक सुविधाजनक तरीके से निभा सकेंगे। आगामी मार्च तक जगन्नाथ मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य भी रखा गया है ताकि होली के अवसर पर इसका उद्घाटन किया जा सके। इसके साथ ही, प्रस्तावित धर्मशाला में विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन की योजना भी है, जिससे स्थानीय समाज में एक नई दिशा मिल सकेगी।
लखीपुर के पूर्व विधायक तथा बराक चाय श्रमिक यूनियन के महासचिव श्रमिक नेता राजदीप ग्वाला ने चाय जनगोष्ठी और बराक घाटी के कल्याण के लिए बरम बाबा से प्रार्थना की। सांसद परिमल शुक्लवैद सहित सभी वक्ताओं ने बरम बाबा की महिमा का गुणगान करते हुए इस मेले को ऐतिहासिक मेले की आख्या दी। अन्य उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में डॉ रंजन सिंह, रवि नुनिया, बाबुल नारायण कानू आदि शामिल थे। फकीरटीला सार्वजनिक शिव मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष पृथ्वी राज ग्वाला और सचिव सत्राजित कुर्मी ने मेले में आए श्रद्धालुओं को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि बरम बाबा का मेला हमारी धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है। उन्होंने सभी को इस पवित्र अवसर पर बधाई दी और कामना की कि बाबा का आशीर्वाद सब पर बना रहे। बरम बाबा मेला परिचालना समिति के सदस्यों रंजन सिंह, सुबचन ग्वाला, प्रदीप कुर्मी, जय कुमार कानू, कैलाश ग्वाला, दिनेश लाल छत्री और अन्य सभी ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए। इन सदस्यों की कड़ी मेहनत से मेले का संचालन सुचारू और सुव्यवस्थित तरीके से हो पाया। मंदिर कमेटी ने इस आयोजन के संचालन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी का विशेष योगदान रहा। बरम बाबा का मेला न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक ऐसा आयोजन भी है जहाँ लोग आपसी प्रेम, भाईचारा और सामाजिक समरसता का अनुभव करते हैं। इस प्रकार के आयोजन समाज में सहिष्णुता, एकता और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने का कार्य करते हैं।