दिसपुर. असम में हुए विधानसभा उपचुनाव में समागुरी निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस की करारी हार हुई है. यह सीट 2000 से उसके पास थी. जिससे भाजपा और उसके सहयोगियों को असम की पांच विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में क्लीन स्वीप हासिल करने में मदद मिली. भाजपा ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके उम्मीदवारों ने हर एक पर जीत हासिल की. सामागुरी में डिप्लू रंजन सरमा, बेहाली में दिगंता घाटोवाल व धोलाई में निहार रंजन दास. इसने दो अन्य विधानसभा क्षेत्रों में अपने सहयोगियों का समर्थन किया.
असम गण परिषद की दीप्तिमयी चौधरी ने बोंगाईगांव सीट पर जीत हासिल की, वहीं यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के निर्मल कुमार ब्रह्मा ने सिडली में महत्वपूर्ण बढ़त के साथ जीत हासिल की. इनमें से चार सीटें पहले उन्हीं पार्टियों के विधायकों के पास थीं. भाजपा की सबसे बड़ी जीत समागुरी में है.
एक बड़ी अल्पसंख्यक आबादी वाली सीट जिसका प्रतिनिधित्व 2000 से लगातार पांच बार असम कांग्रेस के दिग्गज नेता रकीबुल हुसैन ने किया था. रकीबुल के विधायक के रूप में लंबे कार्यकाल से पहले उनके पिता नुरुल हुसैन, जो एक कांग्रेस नेता भी थे, ने 1980 और 1990 के दशक में दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था.
उपचुनाव में कांग्रेस ने रकीबुल के 26 वर्षीय बेटे तंजील को सीट से मैदान में उतारा था, रकीबुल उनके अभियान का नेतृत्व कर रहे थे. प्रचार सीट पर चुनाव संबंधी हिंसा की कई घटनाएं देखी गईं. जिसके परिणामस्वरूप दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता घायल हो गए.
पूरे दिन मतगणना के दौरान रुझान दोनों उम्मीदवारों के बीच बदलता रहा. हालांकि शाम 5.30 बजे तक गिनती जारी थी. 19 में से 15 राउंड की गिनती के बाद डिप्लू रंजन सरमा 22833 वोटों से आगे थे. अपनी जीत स्पष्ट होने के बाद सरमा ने अपनी जीत को विकास की कहानी का परिणाम बताया. जब हम राजनीति करते हैं तो ये चीजें (मतदाताओं की जनसांख्यिकी) होती हैं. लेकिन मैंने व्यक्तिगत रूप से कभी भी लोगों को अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक के रूप में नहीं सोचा.