गुवाहाटी, 25 मई (हि.स.)। असम के पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक भरत नरह ने कहा है कि सरकार फिलहाल अरुणोदय योजना पर रुपए खर्च करने के बदले कोरोना संकट से निपटने को तरजीह दे। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर सरकार कोविड-19 रोधी टीके लगवाने के लिए राज्य की जनता से चंदा मांग रही है, वहीं दूसरी ओर अरुणोदय योजना के मद में भारी रकम आवंटित किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य की जनता मर रही है। लोग जीना चाहते हैं। लोगों को इस संकट से उबारने के प्रति सरकार को पूरी गंभीरता दिखानी चाहिए।उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि एनआरसी पुनरीक्षण के पचड़े में फिलहाल सरकार को नहीं पड़ना चाहिए। एनआरसी उच्चतम् न्यायालय की निगरानी में शुद्ध रूप से तैयार हो चुका है। सरकार को इसे लागू करना चाहिए। भरत नरह ने ये बातें सोमवार को असम संविधान सभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के तीसरे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार को सभी जाति, धर्म, भाषा-भाषी लोगों को समान दृष्टि से देखना चाहिए। सरकार का अपना कोई धर्म नहीं होता है। सभी को साथ लेकर ही असम के सर्वांगीण विकास की बात करने से कोई लाभ हो सकेगा।
अपने संबोधन में कांग्रेस विधायक ने सन् 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पालन करने की दी गई नसीहत का भी हवाला दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सन् 1952 से असम की मतदाता सूची में शामिल अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को विदेशी कह कर उन्हें जमीन से हटाया जा रहा है। भरत नरह ने कहा कि सबको साथ लेकर ही असम के विकास की बात हो सकती हैं। अपने संबोधन में कांग्रेस विधायक ने अन्य कई मुद्दों की भी चर्चा की।