एक तरफ मुख्यमंत्री असम को कोरोना मुक्त करने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं, दूसरी ओर भाजपा के ही कुछ विधायक दिन में 12 बजे तक सो रहे हैं
कुछ विधायक मुख्यमंत्री की मेहनत पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं।
एक तरफ असम सरकार के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ हिमंत विश्वशर्मा असमवासियों को कोरोना महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। आधी रात को भी हास्पिटल जाकर खोज खबर ले रहे हैं। दुसरी ओर वही उन्हीं के दल के कुछ विधायक जो दुबारा निर्वाचित होकर आए हैं, चादर तानकर दिन के 12 बजे तक सो रहे हैं।
पूछने पर बताते हैं कि रविवार था, यानि रविवार को जनता आपके दरवाजे पर बैठी रहेगी और आप चादर तानकर सोते रहेंगे। चुनाव जीतने के बाद निश्चिंत होकर सोने वालों के लिए भी उपाय होने वाला है। मध्यप्रदेश में पंचायत में रीकाल कानुन लागू हो चुका है। जो काम नहीं करते या ग़लत काम करते हैं, जनता उनके खिलाफ रीकाल ले आती हैं। चुनाव से पहले घर-2 घुमकर वोट के भीख मांगने वाले, जीतने के बाद, उन्हीं वोटर्स के लिए दुर्लभ हो जाते हैं।
12 बजे तक सोने वाले एक विधायक के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि उनका नाम मंत्रीमंडल की सूची में शामिल था, किंतु अंतिम समय में किसी दबाव में उनका नाम छंट गया, किंतु अभी भी संभावना बनी हुई हैं। तो क्या रविवार को 12 बजे तक सोने से मंत्री बन जाएंगे, तो चादर तानकर अगले पांच साल ऐसे होते रहिए, संगठन विचार करता है। उन विधायक जी को क्षेत्र की जनता बहुत कर्मठ विधायक मानती है। इसलिए इस बार थोड़े वोट से जिता दिया। विधायक जी ख़तरे की घंटी शायद समझे नहीं।
भाजपा नेतृत्व को अपने विधायकों की और सांसदों की क्लास लेते रहनी चाहिए और उनका रिपोर्ट कार्ड भी बनाना चाहिए। ताकि अगली बार टिकट देने के लिए सर्वे न कराना पड़े। सर्वे में मैनीपुलेशन भी होता है, लाबिंग भी होती है।