नई दिल्ली. राज्यसभा में शुक्रवार 29 नवम्बर को भी जमकर हंगामा हुआ. विपक्षी सांसदों ने मणिपुर में कानून व्यवस्था पर चर्चा करने की मांग की. कई सांसद संभल में हुए उपद्रव और उसके बाद उत्पन्न कानून व्यवस्था पर चर्चा चाहते थे. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चर्चा कराने की मांग भी राज्यसभा में की गई. विपक्षी सांसद चाहते थे कि नियम 267 के अंतर्गत यह बहस कराई जाएं, लेकिन सभापति की ओर से इसकी स्वीकृति प्रदान नहीं की गई. इसके बाद सदन में काफी हंगामा हुआ और कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई.
गौरतलब है इसी सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र प्रारंभ हुआ था. मंगलवार को संविधान दिवस के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उस कार्यक्रम के अलावा अब तक चार दिनों में एक दिन भी सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी है. शुक्रवार को चर्चा के लिए विपक्ष के 17 सदस्यों ने नोटिस दिया था.
सभापति जगदीप धनखड़ ने इस संबंध में बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत चर्चा के लिए 17 नोटिस दिए गए हैं. रामजीलाल सुमन, डॉ जॉन बिटास, एए रहीम व बी शिवादासन आदि सांसद संभल में हुई हिंसा और कानून व्यवस्था की स्थिति पर राज्यसभा में चर्चा चाहते थे. वहीं विपक्ष के तिरुचि शिवा, संतोष कुमार पी आदि सांसद मणिपुर में कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की मांग कर रहे थे. आम आदमी पार्टी के एक सांसद ने दिल्ली में बढ़ते अपराध को लेकर चर्चा की मांग सभापति के समक्ष रखी. आम आदमी पार्टी के ही सांसद राघव चड्ढा ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के पुजारी की गिरफ्तारी पर चर्चा की मांग की.
विपक्ष के सांसद चाहते थे कि नियम 267 के तहत यह चर्चा हो. नियम 267 के तहत चर्चा होने पर सदन की अन्य सभी कार्यवाहियों को स्थगित कर दिया जाता है. इसके साथ ही इस नियम में चर्चा के बाद वोटिंग का प्रावधान भी है. हालांकि सभापति ने इसकी अनुमति प्रदान नहीं की. इससे नाराज विपक्षी सांसदों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया. चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर विपक्षी सांसद अपने स्थान पर खड़े हो गए और अपनी मांग दोहराने लगे. इस दौरान कई सांसदों ने नारेबाजी की. सदन में हंगामे और नारेबाजी को देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी.
इससे पहले सभापति ने कहा कि इस सप्ताह ये मुद्दे बार-बार उठाए गए. इसका नतीजा यह हुआ कि तीन कार्य दिवस व्यर्थ हो गए. सभापति ने कहा कि हमें अपेक्षाओं के अनुरूप अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए. सभापति ने कहा कि नियम 267 को एक हथियार की तरह सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.