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शिलचर, 21 दिसंबर: शहीद कनकलता जन्म शताब्दी समारोह समिति, कछार ने आज पेंशनर्स भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत छोड़ो आंदोलन की महान वीरांगना शहीद कनकलता बरुआ की जन्म शताब्दी पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष गौरीदत्त विश्वास, उपाध्यक्ष शिहाब उद्दीन अहमद, सुब्रत चंद्र नाथ, शिक्षिका स्मृति पाल, सलाहकार निहार रंजन पाल और दीपांकर चंद समेत कई गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।
समिति की संपादक दुलाली गांगुली ने बताया कि शहीद कनकलता की जन्म शताब्दी को यादगार बनाने के लिए पूरे वर्ष विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, चर्चा बैठकें और जागरूकता अभियान आयोजित किए गए। उन्होंने घोषणा की कि 22 दिसंबर को सुबह 7 बजे सिलचर के खुदीराम बोस की मूर्ति से एक भव्य बाइक रैली की शुरुआत होगी। यह रैली शिलचर से गहपुर, उनके जन्मस्थान बरंगाबाड़ी और समाधि स्थल तक 900 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
बाइक रैली का कार्यक्रम:
बाइक सवार शिलचर से हाफलोंग, माईबोंग, लैमडिंग, लंका होते हुए नागांव पहुंचेंगे और वहां रात बिताएंगे। 23 दिसंबर को वे गहपुर के ऐतिहासिक थाने के सामने स्थित कनकलता और मुकुंद काकती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद शहीद कनकलता के जन्मस्थान बरंगाबाड़ी पहुंचकर श्रद्धांजलि देंगे और तेजपुर लौटेंगे। रैली 24 दिसंबर को शिलचर लौटकर समाप्त होगी।
समिति के अध्यक्ष गौरीदत्त विश्वास ने कहा, “इस रैली का उद्देश्य युवाओं और छात्रों को शहीद कनकलता के बलिदान और उनकी वीरता से परिचित कराना है। उनका इतिहास आज के समय में भुलाया जा रहा है, जबकि वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।”
सलाहकार निहार रंजन पाल ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में असम की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक आंदोलन में असम के कई सत्याग्रहियों ने अपने प्राण न्योछावर किए, लेकिन इसका इतिहास व्यापक रूप से लिखा नहीं गया है। उन्होंने सरकार और समाज से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की।
30 दिसंबर को विशेष कार्यक्रम:
समिति ने घोषणा की कि 30 दिसंबर को शिलचर के गांधी भवन में एक भव्य सांस्कृतिक समारोह का आयोजन होगा। इसमें नृत्य, चर्चा सत्र, स्मारकों का अनावरण और युवा संगठन ‘कोम्सोमोल’ द्वारा शहीद कनकलता के चित्र पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।
समिति के उपाध्यक्ष शिहाब उद्दीन अहमद ने सभी नागरिकों से इस आयोजन में भाग लेकर इसे सफल बनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “जिन वीर सपूतों ने हमें आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, उन्हें याद रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है।”
यह आयोजन न केवल शहीद कनकलता को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि युवाओं को उनके साहस और बलिदान से प्रेरित करने का भी एक प्रयास है।